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झारखंड में UPA प्रतिनिधिमंडल द्वारा राज्यपाल को सौंपे गये ज्ञापन में क्या है? जानें विस्तार से

झारखंड में सियासी उथल पुथल के बीच यूपीए के प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल रमेश बैस को ज्ञापन सौंप दिया. जिसमें कहा गया है कि राजभवन कार्यालय से एक खास तथ्य के लीक होने से अस्थिरता का महौल है.

रांची: आठ सदस्यीय यूपीए प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को राज्यपाल रमेश बैस को पांच पन्नों का ज्ञापन भी सौंपा है. राज्यपाल को सौंपे गये ज्ञापन में कहा गया है कि आपके कार्यालय से एक खास तथ्य के लीक होने की वजह से झारखंड में अस्थिरता का माहौल है. राजनीतिक से लेकर प्रशासनिक जगत तक में अनिश्चय की स्थिति है. आपके कार्यालय की ओर से सही जानकारी सार्वजनिक नहीं किये जाने की वजह से राज्य की एक चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने की साजिश हो रही है.

इसमें प्रतिनिधिमंडल के सभी आठ सदस्यों समेत रायपुर गये 29 विधायकों यानी कुल 34 लोगों का हस्ताक्षर है. राज्यपाल को सौंपे गये ज्ञापन में कहा गया है कि 25 अगस्त से ही मीडिया में चर्चा है कि राज्यपाल ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा की सदस्यता रद्द कर दी है. लेकिन, राजभवन से अब तक कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं हुई है.इसके समर्थन में अखबारों में प्रकाशित खबरों की प्रति भी शामिल की गयी हैं.

प्रतिनिधिमंडल में राज्यसभा सांसद धीरज साहू, महुआ माजी, लोकसभा सांसद गीता कोड़ा, विजय हांसदा, पूर्व विधायक बंधु तिर्की, झामुमो के विनोद कुमार पांडेय, सुप्रियो भट्टाचार्य, राजद के प्रदेश उपाध्यक्ष विनोद भोक्ता उपस्थित थे. वहीं ज्ञापन में हस्ताक्षर करने वाले 29 विधायकों में सुदिव्य कुमार, विकास मुंडा, दिनेश विलियम मरांडी, अनूप सिंह, प्रदीप यादव, सोनाराम सिंकू, चमरा लिंडा,

जिगा सुसारन होरो, बैद्यनाथ राम, भूषण तिर्की, उमा शंकर अकेला, मंगल कालिंदी, दीपिका पांडेय सिंह, शिल्पी नेहा तिर्की, स्टीफन मरांडी, पूर्णिमा नीरज सिंह, सीता सोरेन, नलिन सोरेन, मथुरा प्रसाद महतो, समीर कुमार मोहंती, राम दास सोरेन, संजीब सरदार, दशरथ गगराई, नीरल पूर्ति, भूषण बाड़ा, अंबा प्रसाद, सरफराज अहमद, रामचंद्र सिंह व सुखराम उरांव शामिल हैं. सबने हस्ताक्षर के साथ अपनी सीट का नाम और रायपुर भी लिखा है.

भाजपा मांग रही सीएम का इस्तीफा

यूपीए की ओर से सौंपे गये ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि 9ए के मामले में राजभवन की ओर से केंद्रीय निर्वाचन आयोग को जो रिपोर्ट दी गयी है, उसके बारे में अब तक कोई सार्वजनिक घोषणा नहीं हुई है. लेकिन, राज्य का सबसे बड़ा विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस रिपोर्ट के बारे में सार्वजनिक घोषणा कर दी है. इसी आधार पर वह मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का इस्तीफा मांग रही है. इतना ही नहीं, राज्य में मध्यावधि चुनाव की संभावना भी जताने लगी है.

राजभवन अपनी स्थिति स्पष्ट करे

पत्र में कहा गया है कि आपको मालूम है कि मुख्यमंत्री की सदस्यता रद्द होने का सरकार पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है, क्योंकि झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) गठबंधन के पास पूर्ण बहुमत है. इसलिए बहुत भारी मन से हम आग्रह करते हैं कि निर्वाचन आयोग की सिफारिश पर राजभवन ने जो निर्णय लिया है, उसके बारे में स्थिति जल्द से जल्द स्पष्ट करें.इसमें देर से संवैधानिक कर्तव्यों और मूल्यों के खिलाफ जाता है.

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