झारखंड के निजी स्कूलों को देना होगा जमीन का ब्योरा, होगी जांच, जानें क्या है सरकार की योजना
झारखंड के निजी स्कूलों को अपने जमीन की जानकारी देनी होगी, दरअसल सरकार की योजना है कि वो उस जमीन की जांच करें कि कहीं ये सरकारी जमीन पर संचालित तो नहीं. ये जांच भी किया जाएगा कि स्कूलों को कौन सी सरकारी सहायता प्राप्त हो रही है.
Jharkhand News, Ranchi News रांची: झारखंड के निजी स्कूलों को अपनी जमीन की जानकारी देनी होगी. यह जांच की जायेगी कि विद्यालय कहीं सरकारी जमीन पर तो संचालित नहीं हैं. यह जानकारी केंद्र सरकार के निर्देश के अनुरूप मांगा जायेगा. केंद्र ने निजी स्कूलों में पढ़नेवाले बीपीएल बच्चों के शिक्षण शुल्क भुगतान को लेकर राज्यों को दिशा-निर्देश दिये हैं. इसके अनुसार, अगर कोई निजी विद्यालय को किसी प्रकार की सरकारी सहायता प्राप्त है, तो उन्हें बीपीएल बच्चों को नि:शुल्क पढ़ाना होगा. इसके लिए स्कूलों को शिक्षण शुल्क नहीं दिया जायेगा.
स्कूलों से मांगा गया था स्व घोषणा पत्र :
केंद्र के निर्देश के अनुरूप सभी जिलों को इस संबंध में स्कूलों से स्व घोषणा पत्र लेने को कहा गया था. जिसमें स्कूलों को यह बताने के लिए कहा गया था कि वे किसी प्रकार की सरकारी सहायता लेते हैं कि नहीं.
राज्य के अधिकतर स्कूलों द्वारा जमा घोषणा पत्र में कहा गया गया है कि उन्हें किसी प्रकार की सरकारी सहायता नहीं मिली है. बीपीएल बच्चों के शिक्षण शुल्क को लेकर शनिवार को ऑनलाइन हुई बैठक में इस संबंध में जिलों को दिशा-निर्देश दिया गया. जिलों को कहा गया कि वे इस बात की जांच कर लें कि स्कूलों द्वारा दिया गया स्व घोषणा पत्र सही है या नहीं. इसी क्रम अब स्कूलों से जमीन की जानकारी भी मांगी जायेगी.
पीएसयू की जमीन पर संचालित स्कूलों ने भी कहा : नहीं लेते मदद
राज्य में रांची, धनबाद, जमशेदपुर, बोकारो, हजारीबाग और रामगढ़ में कुछ स्कूल सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (पीएसयू) की जमीन पर संचालित हैं. जिलों द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार, इनमें से भी कई विद्यालयों ने इस आशय का घोषणा पत्र जमा किया है कि उन्हें कोई सरकारी सहायता नहीं मिलती है. स्कूलों द्वारा ऐसी जानकारी देने के बाद जिलों को स्कूलों से जमीन का कागजात मांगने को कहा गया है. जिला स्तर पर इस बात की जांच होगी कि स्कूलों की जमीन अपनी है या सरकार की. इसके अलावा अगर कोई और मदद मिलती हो तो इसकी भी जांच करने के लिए कहा गया है.
25% बीपीएल बच्चों का लेना है नामांकन
शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत निजी स्कूलों में इंट्री क्लास में कुल सीट की 25% सीट पर बीपीएल बच्चों के नामांकन का प्रावधान है. निजी स्कूलों में नामांकित बच्चों का शुल्क सरकार की ओर से दिया जाता है. शुल्क का 60 % केंद्र व 40 % राशि राज्य सरकार के द्वारा दी जाती है. एक विद्यार्थी के लिए विद्यालय को प्रति वर्ष 5100 रुपये शुल्क दिया जाता है.
वर्ष 2021-22 के लिए केंद्र ने दिये हैं 6.92 करोड़
स्कूलों को शैक्षणिक सत्र 2021-22 के लिए शुल्क देने की प्रक्रिया शुरू की गयी है. केंद्र ने शिक्षण शुल्क के लिए 6.92 करोड़ रुपये दिये हैं. शिक्षण शुल्क भुगतान को लेकर जिलों से जानकारी मांगी गयी है. इसी क्रम में स्कूलों द्वारा दिये गये घोषणा पत्र की जांच भी करने के लिए कहा गया है. जांच में इस बात की पुष्टि होने पर ही स्कूलों को शिक्षण शुल्क दिया जायेगा कि वे किसी प्रकार की सरकारी सहायता नहीं लेते हैं. राज्य के निजी स्कूलों में वर्तमान में 21178 बच्चे नामांकित हैं. वर्ष 2011-12 से स्कूलों में बीपीएल बच्चों का नामांकन लिया जा रहा है.
राजधानी के स्कूलों में प्रारंभिक कक्षा में सीट की जांच जारी
राजधानी के निजी स्कूलों में प्रारंभिक कक्षा में बच्चों के नामांकन की जांच जारी है. स्कूलों में गर्मी छुट्टी होने से फिलहाल जांच की प्रक्रिया प्रभावित हुई है. गर्मी छुट्टी के बाद जून अंत तक स्कूलों में प्रारंभिक कक्षा में उपलब्ध सीट की जांच प्रक्रिया पूरी कर ली जायेगी. डीएसइ कार्यालय की जांच कमेटी की रिपोर्ट पर आगे की कार्रवाई होगी.
Posted By: Sameer Oraon