झारखंड के निजी स्कूल बिना RTE के मान्यता लिये नहीं शुरू कर सकेंगे दाखिला की प्रक्रिया, इन चीजों का होना जरूरी

स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की ओर से केंद्रीय सचिव को प्रजेंटेशन के माध्यम राज्य में स्कूली शिक्षा की स्थिति की जानकारी दी गयी.

By Prabhat Khabar News Desk | July 18, 2023 11:59 AM
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राज्य के निजी विद्यालय बिना मान्यता लिये नामांकन प्रक्रिया शुरू नहीं कर सकेंगे. स्कूलों को पहले शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत मान्यता लेनी होगी. इसके बाद ही नामांकन शुरू कर सकेंगे. केंद्रीय शिक्षा सचिव संजय कुमार ने सोमवार को राज्य के शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ प्रोजेक्ट भवन में बैठक की. राज्य में अब तक सामान्यत: विद्यालयों में पहले नामांकन प्रक्रिया शुरू होती है, इसके बाद मान्यता के लिए आवेदन जमा करते हैं.

स्कूल भवन के निर्माण व अन्य आवश्यक संसाधन होने के बाद विद्यालय मान्यता के लिए आवेदन जमा करेंगे. विद्यालय पहले आरटीइ के तहत मान्यता लेंगे. इसके बाद नामांकन प्रक्रिया शुरू करेंगे. शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत कक्षा एक से आठ के तक विद्यालय को संचालन के लिए मान्यता मिलती है. विद्यालयों को मान्यता के बाद यू डायस कोड मिलता है.

जिससे विद्यालय की जानकारी सरकार के रिकॉर्ड रहती है. स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की ओर से केंद्रीय सचिव को प्रजेंटेशन के माध्यम राज्य में स्कूली शिक्षा की स्थिति की जानकारी दी गयी. बैठक में स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव के रवि कुमार, झारखंड शिक्षा परियोजना की निदेशक किरण कुमारी पासी, माध्यमिक शिक्षा निदेशक सुनील कुमार समेत विभाग के अन्य पदाधिकारी शामिल हुए.

नयी शिक्षा नीति के तहत तैयार हो रहा पाठ्यक्रम

नयी शिक्षा नीति के तहत पाठ्यक्रम तैयार करने की प्रक्रिया चल रही है. इसके लिए राज्यों की ओर से सामग्री उपलब्ध करा दी गयी है. केंद्र के स्तर से अगले शैक्षणिक सत्र के पूर्व पाठ्यक्रम तैयार कर लिया जायेगा. राज्यों को शैक्षणिक सत्र 2024-25 के शुरू होने के पूर्व नया पाठ्यक्रम उपलब्ध करा दिया जायेगा. अगले वर्ष से नयी शिक्षा नीति के पाठ्यक्रम के अनुरूप ही किताब की छपाई होगी.

स्कूलों में नामांकन की ली जानकारी :

केंद्रीय शिक्षा सचिव ने राज्य के विद्यालयों में बच्चों के नामांकन की स्थिति की भी जानकारी ली. बच्चों के ड्राप आउट रेट, एक कक्षा से दूसरी कक्षा में प्रमोशन की स्थिति की जानकारी दी गयी. झारखंड में स्कूली बच्चों का ड्रापआउट पिछले वर्षों की तुलना में कम हुआ है.

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