Jharkhand Rajya Sabha Elections 2016 : हॉर्स ट्रेडिंग के आरोपी पूर्व एडीजी अनुराग गुप्ता को हाईकोर्ट से झटका, निचली अदालत में चलेगी सुनवाई
Jharkhand Rajya Sabha Elections 2016, रांची न्यूज (राणा प्रताप) : झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की अदालत ने राज्यसभा चुनाव 2016 से जुड़े हॉर्स ट्रेडिंग मामले में आरोपी सीआइडी के पूर्व एडीजी अनुराग गुप्ता की ओर से दायर क्रिमिनल क्वैशिंग याचिका पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई की. अदालत ने इस मामले में अनुसंधान व निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. प्रार्थी को अंतरिम राहत देते हए 11 अगस्त तक के लिए गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है.
Jharkhand Rajya Sabha Elections 2016, रांची न्यूज (राणा प्रताप) : झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की अदालत ने राज्यसभा चुनाव 2016 से जुड़े हॉर्स ट्रेडिंग मामले में आरोपी सीआइडी के पूर्व एडीजी अनुराग गुप्ता की ओर से दायर क्रिमिनल क्वैशिंग याचिका पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई की. अदालत ने इस मामले में अनुसंधान व निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. प्रार्थी को अंतरिम राहत देते हए 11 अगस्त तक के लिए गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है.
झारखंड हाईकोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई के दौरान अदालत ने प्रार्थी और राज्य सरकार की दलीलों को सुना और हॉर्स ट्रेडिंग मामले के अनुसंधान व निचली अदालत की प्रोसीडिंग पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. इस मामले में जांच जारी रहेगी. हालांकि अदालत ने प्रार्थी को अंतरिम राहत देते हुए गिरफ्तारी पर 11 अगस्त तक के लिए रोक लगा दी.
अदालत ने राज्य सरकार को शपथ पत्र के माध्यम से जवाब दायर करने का निर्देश दिया है. अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 11 अगस्त की तिथि निर्धारित की है. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा व अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से पक्ष रखते हुए अदालत को बताया कि इस मामले में वह निर्दोष हैं. उन पर लगाया गया आरोप बेबुनियाद है. पुलिस के पास आरोपों को साबित करने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं है.
प्रार्थी की ओर से मामले का अनुसंधान व निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगाने का आग्रह किया गया था. राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन व अधिवक्ता मनोज कुमार ने प्रार्थी की दलील का विरोध करते हुए कहा कि प्रार्थी को पुलिस जमानत मिली हुई है. इसलिए उनकी गिरफ्तारी की बात बेमानी है. अनुसंधानकर्ता को जांच में पर्याप्त सबूत मिले हैं. इसके बाद अनुसंधानकर्ता ने निचली अदालत में पीसी एक्ट लगाने का आवेदन दिया है.
Posted By : Guru Swarup Mishra