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रांची से ताल्लुक रखने वाले शिवम ने रचा इतिहास, US की इस प्रतियोगिता में जीता 10 हजार डॉलर का इनाम

रांची से ताल्लुक रखने वाले और आईआईटी बांबे से पीएचडी कर रहे शिवम और उनकी टीम ने सौर ऊर्जा पर हुए एक अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पाया है. इस प्रतियोगिता में 15 विभिन्न देशों की 141 टीमों ने हिस्सा लिया था. शिवम के नेतृत्व में काम कर रही आईआईटी बांबे की टीम ने पहला स्थान पाया.

रांची से ताल्लुक रखने वाले और आईआईटी बांबे से पीएचडी कर रहे शिवम और उनकी टीम ने सौर ऊर्जा पर हुए एक अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पाया है. यह प्रतियोगिता अपने आप में यूनिक प्रतियोगिता थी, जिसमें 15 विभिन्न देशों की 141 टीमों ने हिस्सा लिया था. तीन चरण की इस प्रतियोगिता में 15 देशों की टीम को पछाड़ते हुए शिवम के नेतृत्व में काम कर रही आईआईटी बांबे की टीम ने पहला स्थान पाया. साथ ही अंतरराष्ट्रीय मंच पर आईआईटी बांबे के साथ देश का नाम रोशन किया है.

डीएवी कपिलदेव से 10वीं और गढ़वा से की 12वीं की पढ़ाई

आईआईटी बांबे से सौर ऊर्जा में पीएचडी कर रहे और रांची में जन्में शिवम ने बातचीत के क्रम में बताया कि उन्होंने कपिलदेव डीएवी कडरू से 10 वीं की पढ़ाई की है. वहीं 12वीं की पढ़ाई गढ़वा के आरके पब्लिक स्कूल से ही है. इसके बाद मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक की पढ़ाई एमवीआइटी बेंगलुरू से की. आईआईटी बांबे से एमटेक करने के बाद यहीं से सोलर एनर्जी में पीएचडी कर रहे हैं. शिवम और उनका परिवार मुंबई में ही रहता है. इनके पिता संजय कुमार केसरी ल्यूपिन, मुंबई में बतौर जनरल मैनेजर कार्यरत हैं. वहीं मां वीणा केसरी हाउस वाइफ हैं. छोटा भाई शुभम केसरी पीडब्ल्यूसी मुंबई में एसोसिएट के रूप में काम कर रहा है.

तीन चरण और वर्चुअल मोड में हुई प्रतियोगिता

सौर ऊर्जा पर बेस्ड यह प्रतियोगिता वर्चुअल मोड में ली गई. प्रतियोगिता का आयोजन स्वीच एनर्जी आलियांस, टेक्सास बेस्ड एनजीओ द्वारा किया गया. इसमें टेक्सास यूनिवर्सिटी ने सहयोग प्रदान किया. प्रतियोगिता का नाम स्वीच इंटरनेशनल एनर्जी केस कंपीटिशन (IECC) 2022 है. बतौर विजेता आईआईटी बांबे की इस टीम को 10 हजार यूएस डॉलर पुरस्कार दिया गया. इस प्रतियोगिता में 15 विभिन्न देशों के 141 टीम शामिल हुए. प्रतियोगिता तीन चरण में पूरी हुई. 30 अक्टूबर को पहला राउंड हुआ. इसके बाद 4 नवंबर को सेमिफाइनल राउंड हुआ. इसमें 20 टीम चुन कर आए. इसके बाद 8 नवंबर को टॉप फाइनलिस्ट के नाम जारी किए गए. इसके साथ ही 12 नवंबर को फाइनल राउंड हुआ, जिसमें विजेता के नाम की घोषणा की गई.

क्या था प्रतियोगिता का प्रोजेक्ट

शिवम ने बताया कि इस प्रतियोगिता के पहले चरण में 10 मिनट का वीडियो प्रजेंटेशन दिया गया. जिसमें टीम ने घाना जैसे देश के अगले 30 साल के भविष्य की रूपरेखा रखी. उन्होंने बताया कि घाना ऐसा देश है, जहां महज 22 फीसदी घरों में ही गैस सिलिंडर इस्तेमाल किया जाता है. स्थिति ऐसी है कि यहां हर दिन 12 घंटे का पावर कट रहता है. प्रतियोगिता में टीम ने पावर प्रोजेक्ट के लिए पॉलिसी मेकिंग, टेक्नोलॉजिकल सोल्यूशन और फंड आदि के बारे बताया. जिसे तीन सदस्यीय ज्यूरी ने जज किया.

टीम मेंबर

शिवम कुमार (पीएचडी स्टूडेंट)

रूपमति मीना (पीएचडी स्टूडेंट)

श्रुष्ठि भामरे (बीटेक स्टूडेंट)

श्रुति प्रजापति (बीटेक स्टूडेंट)

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