Jharkhand News, Ranchi News रांची : ‘पूत के पांव पालने में ही नजर आ जाते हैं’ कहावत को झारखंड के सपूत आइवान अभय मिंज ने सही साबित कर दिखाया है. नौ साल के इस बच्चे को ‘फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन ऑफ यूनाइटेड नेशन’, ‘यूनाइटेड नेशन फूड समिट’ और ‘ग्लोबल इंडिजेनस यूथ फोरम’ के संयुक्त आयोजन में वक्तव्य के लिए आमंत्रित किया गया है. यह ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन रोम से 16 से 18 जून तक आयोजित की जायेगी.
आइवान ने उस दिन के लिए अपने वक्तव्य से पहले पारंपरिक सरना प्रार्थना से इसकी शुरुआत करने की तैयारी की है. वह अपने आदिवासी देशज ज्ञान और खेती पर अपनी बातों को केंद्रित करेंगे. आइवान के नाम की अनुशंसा येफेड के निदेशक अनीश श्रेष्टा ने की थी, जो ग्लोबल इंडिजेनस यूथ फोरम में मानद सदस्य भी हैं.
आइवान पांच मिनट का स्वागत वक्तव्य 16 जून को देंगे. रांची स्थित हेहल डेलाटोली के रहनेवाले आइवान के पिता डॉ अभय सागर मिंज डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विवि में एंथ्रोपोलॉजी के शिक्षक हैं, जबकि माता डॉ मीनाक्षी मुंडा भी शिक्षिका रह चुकी हैं.
यूनाइटेड नेशन फूड समिट यह समझती है कि किसी भी समुदाय के भविष्य वहां के युवाओं पर निर्भर करती हैं. आदिवासी युवा आज बेहतर ढंग से नयी तकनीक और पारंपरिक ज्ञान का सामंजस्य बना सकते हैं. ऐसे में आदिवासी युवा पीढ़ी को आगे आना ही होगा.
इसलिए इस प्रकार के सम्मेलन में आदिवासी युवाओं का मुखर होना आवश्यक है. 2017 के रोम में आयोजित महत्वपूर्ण सम्मेलन में या साझा तय हुआ था की आदिवासी युवाओं को भी अपने समृद्ध देशज ज्ञान और खाद्य व्यवस्था को संरक्षित और संवर्धन के प्रयास का अवसर प्राप्त हो.
Posted By : Sameer Oraon