Jharkhand: जिन्होंने दी पथ निर्माण के लिए जमीन वो मुआवजा के लिए लगा रहे हैं 65 किमी की दौड़, जानें मामला
पतरातू-हेंदगीर-मैक्लुस्कीगंज पथ परियोजना के लिए रैयतों ने अपनी जमीन दी लेकिन उन्हें अब तक अपना हक नहीं मिला और वो मुआवजा के लिए हर दिन रांची का चक्कर लगा रहे हैं. जबकि साल 2021 में इन विस्थापितों की सूची भी जारी कर दी गयी
रांची: पतरातू-हेंदगीर-मैक्लुस्कीगंज पथ परियोजना के लिए रैयतों ने सात वर्ष पहले जमीन दी़ 45 किमी लंबी इस सड़क परियोजना की शुरुआत 2016 में हुई़ इस परियोजना में खलारी, हुटाप, मायापुर और कुर्मीराय सहित कई गांवों के ग्रामीणों की जमीन गयी़ वर्ष 2021 दिसंबर को इन गांवों के विस्थापितों की अंतिम सूची भी जारी कर दी गयी़ 14 रैयतों की जमीन का मूल्यांकन का काम भी पूरा हो गया़ अब मुआवजा के लिए 65 किमी चल कर रैयत रांची का चक्कर काट रहे हैं, लेकिन मुआवजा का ठिकाना नहीं है़
छह महीने से परेशान हैं रैयत :
पिछले छह महीने से रैयत अधिकारियों का दरवाजा खटखटा रहे हैं, लेकिन इनको मुआवजा नहीं मिल रहा है़ इस सड़क का निर्माण कार्य झारखंड राज्य राज्यपथ प्राधिकार (साज) के द्वारा शुरू किया गया था़ यह सड़क डालटनगंज, बालूमाथ के रास्ते बिहार, यूपी और मध्यप्रदेश को जोड़ती है. खलारी-चतरा और हजारीबाग के पिछड़े माओवाद प्रभावित इलाके के लिए लाइफलाइन है.
सात वर्षों में 150 करोड़ की अनुमानित योजना लागत बढ़कर 175 करोड़ हो चुकी है. 45 किमी में से 43.5 किमी सड़क पूरी हो चुकी है़, लेकिन रैयतों को इंसाफ नहीं मिला है़ विभिन्न स्तरों पर मुआवजे का भुगतान लटका कर रखा गया है़ सरकार ने इस सड़क के लिए रैयतों को 27 हजार रुपये प्रति डिसमिल की दर से मुआवजा निर्धारण किया है़ इन 14 रैयतों से 10 से लेकर 70 डिसमिल तक जमीन सड़क निर्माण के लिए अधिग्रहित की गयी है़
इनकी सूची वर्ष 2021 में ही हुई तैयार, पर भुगतान नहीं :
धीरज महतो- खाता संख्या : 106, जगरनाथ महतो- खाता संख्या : 38, चमन महतो- खाता संख्या : 89, अशोक महतो- खाता संख्या : 74, फागू महतो-खाता संख्या : 36, शहदेव महतो-खाता संख्या : 66, कांति देवी-खाता संख्या : 35, कालेश्वर महतो-खाता संख्या: 102, कमल महतो-खाता संख्या: 89, दिलीप गंसू – खाता संख्या 66, शरीफ अंसारी-खाता संख्या : 12, रितू प्रसाद सिंह- खाता संख्या : 19, सोखी महतो-खाता संख्या : 36, मुकेश्वर सिंह-खाता संख्या : 26, 30
रांची के भू-अर्जन पदाधिकारी व्यस्त
खलारी के विस्थापितों ने बताया कि रांची में भू-अर्जन पदाधिकारी के पास कई बार गुहार लगा चुके है़ं मामला रांची के उपायुक्त के पास भी पहुंचा है़ भू-अर्जन पदाधिकारी के पास ज्यादा कार्यभार होने की बात कही जा रही है़ मुआवजा से जुड़ी प्रक्रिया पूरा करने का जिम्मा ओरमांझी सीओ को दिया गया है़ रैयतों का कहना है कि इनसे भी संपर्क किया गया है, लेकिन अधिकारियों को स्थल भ्रमण से लेकर दस्तावेज पूरा करने का समय नहीं है़
रैयतों की पीड़ा : हमारे साथ धोखा हुआ
हमारे साथ धोखा हुआ है़ हमारी जमीन भी चली गयी़ सड़क निर्माण का काम हमारे क्षेत्र में पूरा हो रहा है, लेकिन हम ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. दर्जनों बार रांची के चक्कर लगा चुके है़ं अधिकारियों का रवैया ठीक नहीं है़ अधिकारी कहते हैं कि समय नहीं है़ ओरमांझी सीओ विजय केरकेट्टा को काम दिया गया है, उनको भी समय नहीं मिल रहा है़
Posted By: Sameer Oraon