झारखंड सरकार के स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ मानी जानेवाली 42 हजार सहिया भी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चली गयी हैं. जमशेदपुर में करीब 2100 सहिया कर्मियों ने कार्य बहिष्कार किया, इसके अलावा धनबाद के टुंडी सहित अन्य जगहों से इसी तरह की जानकारी मिली है. विरोध के दौरान सहिया कर्मियों ने मानदेय बढ़ाने और नियमितिकरण की मांग की. खास बात यह है कि सहियाओं पर संस्थागत प्रसव के साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं के 14 बिंदुओं पर काम करने की अहम जिम्मेदारी है.
इधर, सहियाओं की हड़ताल की घोषणा से स्वास्थ्य विभाग में हलचल तेज हो गयी है. पहले से ही करीब छह से सात हजार अनुबंधकर्मियों के हड़ताल पर रहने से स्वास्थ्य सेवाओं पर खराब असर पड़ रहा है. अब राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने हड़ताल से निबटने के इंतजाम शुरू कर दिये हैं. इसके तहत एहतियातन सभी सिविल सर्जन को पत्र लिख कर जिम्मेदारी तय की गयी है.
पत्र में हड़ताल की संभावना जताते हुए सहिया कर्मियों को हर हाल में शत-प्रतिशत उपस्थिति दर्ज कराने की जिम्मेदारी सौंपी गयी है. गौरतलब है कि झारखंड प्रदेश स्वास्थ्य सहिया संघ ने शुक्रवार को बैठक कर स्वास्थ्य अनुबंधकर्मियों की मांगों का समर्थन करते हुए 23 जनवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की घोषणा कर दी थी.
सहिया द्वारा सुरक्षित मातृत्व, जच्चा-बच्चा की सुरक्षा, टीकाकरण अभियान जैसी अहम जिम्मेदारियों को देखते हुए उनके ऊपर सख्ती बरतने की भी तैयारी हो रही है. जिन जगहों पर स्वास्थ्य सेवाएं सहिया की अनुपस्थिति से बाधित होंगी, वहां सहियाओं पर ग्रामसभा एवं ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण समिति को कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है.
2260 सहिया साथियों (आशाकर्मियों), 582 ब्लॉक प्रशिक्षकों और 24 जिला सामुदायिक मोबलाइजर के माध्यम से राज्य में मातृ, नवजात शिशु और बाल स्वास्थ्य सहिया सदस्यों के सहयोग से समाज के अंतिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंच रही हैं. स्वास्थ्य के कुल 14 इंडिकेटर में बेहतर करनेवाली कुल पांच स्वास्थ्य सहियाओं को स्वर्ण, रजत, कांस्य और श्वेत बैच से सम्मानित किया जाता है.
लगभग डेढ़ दशक से अधिक समय से काम करने के बाद भी सहिया को महज दो हजार प्रोत्साहन राशि दी जा रही है. यह राशि भी समय से नहीं मिलती. संघ की सचिव माया सिंह ने कहा कि पिछले साल मोरहाबादी मैदान में हमारे धरने को स्वास्थ्य मंत्री ने आश्वासन देकर खत्म कराया था, लेकिन अब तक सेवा नियमितीकरण को लेकर कोई पहल नहीं की गयी है.