सरना धर्म कोड नहीं देने वाली पार्टियों को नहीं मिलेगा वोट, आदिवासी समाज ने भरी हुंकार
शक्ति प्रदर्शन के लिए आगामी लोक सभा चुनाव से पूर्व नयी दिल्ली में महारैली की जायेगी. इस महारैली के जरिये भारत सरकार से सरना धर्म कोड की मांग कर रहे हैं.
राष्ट्रीय आदिवासी समाज सरना धर्म रक्षा अभियान के बैनर तले मोरहाबादी मैदान में सरना धर्म कोड महारैली का आयोजन किया गया, जिसमें झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओड़िशा, छत्तीसगढ़ और बिहार सहित नेपाल, भूटान के प्रकृति पूजक आदिवासी शामिल हुए. महारैली के माध्यम से केंद्र सरकार से सरना धर्म कोड की मांग की गयी. मंच से कहा गया कि सरना धर्म कोड नहीं देनेवाली पार्टी को वोट नहीं देंगे.
शक्ति प्रदर्शन के लिए आगामी लोक सभा चुनाव से पूर्व नयी दिल्ली में महारैली की जायेगी. सरना धर्मगुरु बंधन तिग्गा ने कहा कि पूरे देश के आदिवासी जो खुद को हिंदू, सिख, ईसाई, मुस्लिम, बौद्ध या जैन धर्म में शामिल नहीं करते हैं, इस महारैली के जरिये भारत सरकार से सरना धर्म कोड की मांग कर रहे हैं. सृष्टि का धर्म सरना विश्व का प्राचीनतम धर्म है.
कहा जाये तो सभी धर्मों का सृजन सरना धर्म से ही हुआ है. सरना धर्म है तभी प्रकृति, मानव और सभी जीव जंतु हैं. केंद्र सरकार को सरना धर्म कोड देना होगा. यह हमारी आस्था का विषय है. वैसे लोगों से जो दूसरे धर्म में चले गये हैं, हमारी लड़ाई नहीं है. महारैली को डॉक्टर करमा उरांव, रवि तिग्गा, शिवा कच्छप, सुशील उरांव, बलकु उरांव, नारायण उरांव ,रेणु टिर्की, निर्मल मरांडी सहित कई लोगों ने संबोधित किया. नेपाल से अंजू उरांव,
रामकिशुन उरांव, छत्तीसगढ़ से मिटकू भगत, शिवकुमार भगत, पश्चिम बंगाल से जीतू उरांव, भगवान दास मुंडा, बिहार से मनोज उरांव, ललित उरांव, ओड़िशा से मणिलाल केरकेट्टा सहित विभिन्न राज्यों से बड़ी संख्या में सरना धर्मावलंबी शामिल थे. महारैली में वक्ताओं ने गैर आदिवासी से विवाह करनेवाली महिला का आदिवासी का दर्जा समाप्त करने की मांग की. कहा कि आदिवासी धार्मिक स्थलों का अतिक्रमण हो रहा है. चाहे वह पारसनाथ मरांग बुरु हो या रांची का पहाड़ी मंदिर.