रांची, मनोज लाल : झारखंड में गांव के बेरोजगारों को उनके ही गांव में रोजगार देने की योजना फेल हो रही है. अब मजदूरों को उनके गांव में ही रोजगार देना संभव नहीं हो रहा है. ऐसा मनरेगा की योजनाओं में नया नियम लागू कर देने से हो गया है. ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार ने सबसे अहम मनरेगा का बजट घटा दिया है, जिससे अब गरीबों को रोजगार देना मुश्किल होगा.
हर पंचायत में एक बार में मात्र 20 योजनाएं ही ली जा सकेंगी
केंद्र सरकार के नये नियम के तहत अब हर पंचायत में एक बार में मात्र 20 ही योजनाएं ली जा सकेंगी. इन योजनाओं की समाप्ति के बाद ही नयी योजना ली जा सकती है. स्थिति यह है कि किसी-किसी पंचायत में 25 से 30 गांव भी हैं. इस तरह कई गांव योजना से वंचित रह जाएंगे. वहीं, एक योजना छह महीने या इससे अधिक समय तक चलती है. इस वजह से दूसरी योजना लेने में भी काफी समय लगेगा. कुल मिलाकर रोजगार पूरी तरह घट जाएगा. मानव दिवस सृजन करने का अभियान फेल हो जाएगा.
बजट में मनरेगा का 34 प्रतिशत की कटौती
जानकारी के मुताबिक, केंद्र सरकार ने वर्ष 2023-24 के लिए मनरेगा का बजट 60,000 करोड़ रुपये किया है, जबकि वित्तीय वर्ष 2022-23 में इसका बजट 89,000 करोड़ था. इस तरह 34 प्रतिशत की बजट में कटौती हुई है. इस वजह से सभी राज्यों को कम पैसा मिल रहा है.
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शुरू हो गया है मजदूरों का पलायन
राज्य में ज्यादा से ज्यादा मजदूरों को रोजगार देने में मनरेगा काफी हद तक कारगर साबित हो रहा था, लेकिन अब रोजगार घटने से मजदूरों का पलायन शुरू हो गया है. पहले ही मजदूरों का भुगतान नहीं हो रहा था. पिछले चार माह का इनका बकाया आज भी है. ऐसे में मजदूर दूसरे कामों में जा रहे थे. इस वित्तीय वर्ष में तो बहुत कम ही मजदूर बच जायेंगे.
कैसे घटा है रोजगार
कोराना काल में यहां योजनाएं बढ़ायी गयी, जिससे काम भी बढ़ा. इस समय हर दिन 11 लाख से अधिक मानव दिवस सृजन हो रहे थे. सामान्य तौर पर आठ-नौ लाख मजदूर हर दिन काम कर रहे थे. ऐसे सामान्य दिनों में छह से सात लाख मजदूर काम करते हैं. अभी यह घट कर 3.5 लाख से नीचे आ गया है.
गरीबों को रोजगार देना होगा मुश्किल : आलमगीर आलम
ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार ने सबसे अहम मनरेगा का बजट घटा दिया है, जिससे अब गरीबों को रोजगार देना मुश्किल होगा. यहां पलायन शुरू हो रहा है. यहां बेरोजगारों को रोजगार कैसे देंगे, यह बड़ा सवाल खड़ा हो गया है. यहां कल-कारखाना भी नहीं है.
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