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आपदा में अवसर : झारखंड के निजी स्कूलों में बढ़ी 5 से 12 फीसदी तक फीस, जानें रांची के प्रमुखों स्कूलों की वर्तमान फीस

राशि जमा नहीं करने पर अभिभावकों को फोन कर व नोटिस देकर नये-नये तरीके से शुल्क भुगतान का दबाव बनाया जा रहा है. स्कूलों द्वारा निर्धारित समय पर शुल्क जमा नहीं करने पर ऑनलाइन कक्षा से छात्र-छात्राओं का नाम भी हटा दिया जा रहा है.

  • महामारी में परेशान अभिभावकों पर स्कूलों ने डाला बढ़ी फीस का बोझ

  • कई स्कूल एनुअल, बिल्डिंग, कंप्यूटर चार्ज की भी कर रहे हैं वसूली

  • पहली लहर के दौरान फीस वृद्धि पर सरकार ने लगायी थी रोक

  • इस बार इसे लेकर कोई निर्देश नहीं, इसका फायदा उठा रहे स्कूल प्रबंधन

Jharkhand Private School Fees News रांची : कोरोना संक्रमण काल में इस समय देश का हर तबका परेशान है. सभी आर्थिक तंगी से उबरने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसे में राजधानी के लगभग सभी निजी स्कूलों ने पांच से 12 प्रतिशत तक मासिक ट्यूशन फीस में बढ़ोतरी कर अभिभावकों की परेशानी बढ़ा दी है. कुछ स्कूल तो अभिभावकों को एनुअल चार्ज, बिल्डिंग चार्ज, मिसलिनियस चार्ज, कंप्यूटर चार्ज, गेम्स चार्ज, सिक्यूरिटी चार्ज, सीसीटीवी चार्ज, स्कूल चार्ज, एसएमएस चार्ज, मेडिकल चार्ज, आउटरिच चार्ज, डेवलपमेंट चार्ज सहित कई तरह के चार्ज जोड़ कर भुगतान करने को कह रहे हैं.

राशि जमा नहीं करने पर अभिभावकों को फोन कर व नोटिस देकर नये-नये तरीके से शुल्क भुगतान का दबाव बनाया जा रहा है. स्कूलों द्वारा निर्धारित समय पर शुल्क जमा नहीं करने पर ऑनलाइन कक्षा से छात्र-छात्राओं का नाम भी हटा दिया जा रहा है.

पिछली बार सरकार ने लगायी थी रोक, इस बार नहीं

कोरोना की पहली लहर के दौरान सत्र 2020-21 के लिए फीस वृद्धि पर राज्य सरकार ने रोक लगा दी थी. सरकार ने आदेश दिया था कि जब तक स्कूल नहीं खुलेगा, तब तक केवल ट्यूशन फीस ही लेनी है. मासिक ट्यूशन फीस में भी वृद्धि नहीं करनी है. यह निर्देश उन स्कूलों के लिए था, जो ऑनलाइन क्लास चला रहे हैं.

जो ऑनलाइन कक्षाएं संचालित नहीं कर रहे हैं, उन्हें ट्यूशन फीस भी नहीं लेनी है. लेकिन नये सत्र 2021-22 के लिए सरकार ने इस तरह का कोई आदेश जारी नहीं किया, जबकि स्कूल अब भी नहीं खुले हैं और अॉनलाइन कक्षाओं का ही संचालन हो रहा है. इसका फायदा स्कूल प्रबंधन उठा रहे हैं.

मनमानी से अभिभावक हो रहे प्रताड़ित

निजी स्कूल के एक अभिभावक पंकज कुमार ने कहा कि स्कूल प्रबंधन ने ट्यूशन फीस के अलावा कई तरह के चार्ज में भी पिछले वर्ष की तुलना में वृद्धि कर दी है. साथ ही किताब की कीमतों में भी वृद्धि की गयी है. बच्चों की किताब व कॉपी को जोड़ कर एक सेट का मूल्य कक्षा के अनुसार, चार हजार से लेकर सात हजार रुपये तक आ रहा है. स्कूल की मनमानी से अभिभावक मानसिक रूप से प्रताड़ित हो रहे हैं.

स्कूल वर्ष 2020 2021

सेक्रेड हर्ट स्कूल 1700 1870

बिशप गर्ल्स स्कूल 2110 2365

संत अंथोनी स्कूल 2600 2850

सरला-बिरला 2600 2750

संत माइकल्स 1540 1695

लोयला कॉन्वेंट स्कूल 1520 1700

संत फ्रांसिस स्कूल 1925 2125

ऑक्सफोर्ड स्कूल 2700 2850

संत फ्रांसिस स्कूल, बनहोरा 1200 1330

शारदा ग्लोबल स्कूल 2900 3300

स्कूल वर्ष 2020 2021

जेवीएम श्यामली 3150 3395

सुरेंद्रनाथ स्कूल 2010 2205

ब्रिजफोर्ड स्कूल 1800 2300

संत जेवियर्स 3150 3360

डीएवी कपिलदेव 2480 2755

बिशप डोरंडा 3905 4200

केराली स्कूल 1650 1800

होली क्रॉस स्कूल 1150 1250

संत थॉमस 2400 2425

संत मेरीज स्कूल 1350 1800

(नोट :: निजी स्कूलों की फीस विभिन्न कक्षाओं के हैं.)

कुछ स्कूलों ने डेवलपमेंट चार्ज सहित अन्य शुल्क भी ट्यूशन फीस में ही जोड़ दिये

राजधानी के कई स्कूलों द्वारा पूर्व में लिये जा रहे डेवलपमेंट चार्ज, री-एडमिशन फीस, बिल्डिंग फीस, वार्षिक चार्ज को जोड़ कर एक साथ ट्यूशन फीस के रूप में लिया जा रहा है. वहीं, कई स्कूलों द्वारा अभिभावकों को तीन किस्तों में इसे जमा करने का ऑफर दिया जा रहा है.

इधर स्कूलों का पक्ष

निजी स्कूलों के प्राचार्यों ने कहा कि वर्तमान में 40 से 50 प्रतिशत अभिभावक ट्यूशन फीस नहीं दे रहे हैं. स्कूल बैंक से कर्ज लेकर शिक्षकों व गैर शैक्षणिक कर्मियों को वेतन दे रहे हैं. इसके अलावा बिजली, टैक्स, गार्ड व अन्य चार्ज का भी भुगतान कर रहे हैं. ऐसे में अगर स्कूल फीस नहीं लेंगे, तो स्कूल बंद करने की नौबत आ जायेगी.

Posted By : Sameer Oraon

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