साइंस फिल्म फेस्टिवल: चाईबासा में Buddha Weeps in Jadugoda समेत कई फिल्मों का हुआ प्रदर्शन
वितीय झारखंड साइंस फिल्म फेस्टिवल के तीसरे दिन चाईबासा के टाटा कॉलेज में विभिन्न फिल्मों की स्क्रिनिंग हुई. इसके तहत पंडित रघुनाथ मुर्मू और गुरु कोल लाको बोदरा के जीवन पर अाधारित फिल्मों का प्रदर्शन हुआ, वहीं जादूगोड़ा में यूरोनियम से उत्पन्न स्थिति को दर्शाया गया है.
Jharkhand News: कोल्हान में चल रहे द्वितीय झारखंड साइंस फिल्म फेस्टिवल (2nd Jharkhand Science Film Festival) के तहत तीसरे दिन पश्चिमी सिंहभूम अंतर्गत चाईबासा के टाटा कॉलेज में कई फिल्मों का प्रदर्शन किया गया. इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र तक भी लोगों को वैज्ञानिक सोच विकसित करना है. साइंस फिल्म फेस्टिवल के अंतिम दिन सरायकेला-खरखावां जिला के सिंहभूम कॉलेज, चांडिल में विभिन्न फिल्मों का प्रदर्शन होगा.
गुरु कोल लाको बोदरा के जीवन पर आधारित फिल्म का प्रदर्शन
इस संबंध में साइंस फिल्म फेस्टिवल के को-ऑर्डिनेटर विकास कुमार ने कहा कि आदिवासी हो समाज महासभा, चाईबासा के सहयोग से गुरुवार को चाईबासा के टाटा कॉलेज में विभिन्न फिल्मों का प्रदर्शन किया गया. सबसे पहले प्रबल महतो द्वारा निर्देशित गुरु कोल लाको बोदरा के जीवन पर आधारित फिल्म का प्रदर्शन हुआ. हो भाषा के साहित्यकार गुरु कोल लाको बोदरा ने 1940 के दशक में हो भाषा के लिए ‘ह्वारङ क्षिति’ लिपि की खोज की और उसे प्रचलित किया था. इसके प्रचार प्रसार के लिए उन्होंने ‘आदि संस्कृति एवं विज्ञान संस्थान’ की स्थापना की थी.
पंडित रघुनाथ मुर्मू के जीवन पर आधारित फिल्म का प्रदर्शन
इसके अलावा ओल चिकी लिपि के विकासक पंडित रघुनाथ मुर्मू की जीवन पर आधारित फिल्म को भी दिखाया गया. पंडित रघुनाथ मुर्मू ने 1925 में ओल चिकी लिपि का विकास किया. उन्होंने संताली भाषा का उपयोग करते हुए 150 से अधिक पुस्तकें लिखीं. इस मौके पर लेखक प्रबल महतो के साथ स्क्रीनिंग और चर्चा की गयी.
फिल्मकार श्रीप्रकाश की दो फिल्मों का प्रदर्शन
फिल्मकार श्रीप्रकाश की दो फिल्मों का भी प्रदर्शन हुआ. इसमें Eer – stories in Stone और Buddha weeps in Jadugoda दिखाया गया. इसमें जादूगोड़ा में यूरेनियम से प्रभावित लोगों की स्थिति को विशेष रूप से दर्शाया गया. वहीं, हो जनजाति पर बनाये गये नीत महतो की फिल्म का प्रदर्शन हुआ. इसके अलावा स्नेहा मुंडारी की फिल्म Abu Paika Kabu Bageya का प्रदर्शन हुआ. यह पाइका मार्शल आर्ट्स पर आधारित फिल्म है. डायरेक्टर लिपिका सिंह दराई की फिल्म Some Stories around Witches का भी प्रदर्शन हुआ. यह ओड़िशा में डायन बिसाही के नाम पर प्रताड़ित महिलाओं पर आधारित फिल्म है.
लोगों को जागरूक करने का उद्देश्य
साइंस फिल्म फेस्टिवल के को-ऑर्डिनेटर विकास कुमार का कहना है कि ऐसे फिल्मों का आयोजन करने का उद्देश्य लोगों को जागरूक करना है. साथ ही उनमें वैज्ञानिक सोच विकसित करना है. खासकर ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को इन समस्याओं से हमेशा रूबरू होना पड़ता है.
चांडिल के सिंहभूम कॉलेज में फिल्म फेस्टिवल का आयोजन
चार दिवसीय फिल्म फेस्टिवल के अंतिम दिन सरायकेला-खरसावां जिला अंतर्गत चांडिल के सिंहभूम कॉलेज में शनिवार (20 अगस्त, 2022) को विभिन्न फिल्मों का प्रदर्शन होगा. इस फिल्म फेस्टिवल की शुरुआत जमशेदपुर के करीम सिटी कॉलेज में 17 अगस्त, 2022 को हुई. इसके बाद 18 अगस्त को जमशेदपुर स्थित पटमदा के इंटर कॉलेज परिसर में इसका आयोजन हुआ. तीसरा आयोजन पश्चिमी सिंहभूम के टाटा कॉलेज चाईबासा में और अंतिम आयोजन सिंहभूम कॉलेज, चांडिल में होगा. कोल्हान में हुए चार दिवसीय साइंस फिल्म फेस्टिवल में काफी संख्या में लोग उपस्थित हुए.
Posted By: Samir Ranjan.