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Jharkhand:सूफी महोत्सव में सिंगर रिचा शर्मा और कव्वाल निजामी ब्रदर्स ने कहा- करीब से महसूस हुआ सूफी संगीत

रांची के लोगों ने सूफी संगीत के असर को बेहद करीब से महसूस किया. मौका था सूफी महोत्सव 2022 का. हजरत कुतुबुद्दीन रिसालदार बाबा दरगाह परिसर में शनिवार शाम सुरों की महफिल सजी. यहां बॉलीवुड की जानी-मानी गायिका रिचा शर्मा और अंतरराष्ट्रीय कव्वाल निजामी ब्रदर्स ने अपनी जादुई आवाज में जो नगमे पेश किये.

By Rahul Kumar | October 23, 2022 12:54 PM

अभिषेक रॉय, रांची

Ranchi News: रांची के लोगों ने सूफी संगीत के असर को बेहद करीब से महसूस किया. मौका था सूफी महोत्सव 2022 का. हजरत कुतुबुद्दीन रिसालदार बाबा दरगाह परिसर में शनिवार शाम सुरों की महफिल सजी. यहां बॉलीवुड की जानी-मानी गायिका रिचा शर्मा और अंतरराष्ट्रीय कव्वाल निजामी ब्रदर्स ने अपनी जादुई आवाज में जो नगमे पेश किये, वह लोगों को इबादत की दुनिया में ले गये. देर रात तक महोत्सव में शामिल लोगों ने संगीत खुद को जोड़े रखा. रिचा शर्मा ने अपनी दमदार आवाज में जिंदगी में कोई कभी आये न रब्बा… जैसे गीतों की प्रस्तुति से मंत्रमुग्ध कर दिया. वहीं, निजामी ब्रदर्स के गुलाम वर्गीस निजामी और यूसूफ खान निजामी ने कोई पुकारे अल्लाह तुझको, कोई कहे भगवान… और मेरे रसके कमर तूने पहली नजर… जैसी कव्वाली से श्रोताओं को बांधे रखा. इनदोनों फनकारों से बातचीत के अंश…

काम के प्रति होगी गंभीरता तो सबकुछ होगा आसान : रिचा शर्मा

Q झारखंड में दूसरी बार और रांची में पहली बार का अनुभव कैसा है ?

रांची में सूफी महोत्सव में पहली बार परफॉर्म करना मेरे लिए सोने पे सुहागा वाली बात है. मुझे खुशी है जनता बैक स्टेज से मुझे बुला रही है. यह लम्हा मंच तक पहुंचने के इंतजार को कम करता है.

Qक्लासिकल, सूफी और बॉलीवुड के हिट नंबर के बीच कैसे संबंध जोड़ती है?

ऊपर वाले का ध्यान करती हूं. फिर चाहे बॉलीवुड हो, सूफी हो, भजन हो, ठुमरी हो, गजल हो, वो सब उसमें समा जाते हैं. मैं जब भी गाती हूं, तो यह नहीं सोचती कि क्या गा रही हूं. गाते वक्त भी सिर्फ ऊपर वाले का ध्यान करती हूं.

Qबॉलीवुड में जितना हिट है उतना ही सूफी संगीत में, दोनों के रियाज में क्या अलग करती हैं ?

रियाज किसी भी शैली का हो, इसका तरीका एक समान होता है. रियाज के लिए जरूरी है आपकी सच्चाई. नियमित रियाज के दौरान लगन और मन लगाना जरूरी है. अपने काम के प्रति गंभीर रहेंगे, तो सब कुछ आसान हो जायेगा.

Qयूथ अब वेस्टर्न म्यूजिक को फॉलो कर रहे हैं, इससे बात आती है कि क्लासिकल से यूथ दूर हो रहे. इस पर क्या कहेंगी?

यह किसी भी मायने में बुरा नहीं है. बदलाव सृष्टि का नियम है. इस बीच अपनी मर्यादा और जड़ों को हमेशा याद रखने की जरूरत है. संगीत की असली बुनियाद भारतीय शास्त्रीय संगीत ही है और रहेगा.

Qरियलिटी शो का जमाना है, पर कम ही लोग आगे चल कर बॉलीवुड सिंगर बन पाते हैं. क्या कहेंगी ?

रियलिटी शो का काम है बच्चों को एक मंच देना. इससे जुड़ने का मकसद कभी बॉलीवुड गाने को हासिल करना न रखें. शो के बाद मेहनत से असली सफर को शुरू करने की जरूरत है.

हिंदुस्तान को सूफी संतों ने प्यार से जुड़ने की सीख और प्रेरणा दी : निजामी ब्रदर्स

Qसूफी संगीत को ईश्वरीय संवाद कहा गया है, इससे कैसे जुड़ाव महसूस करते हैं?

सूफी कलाम को सूफी संतों ने फैलाया है. यह प्यार का पैगाम है. हमारे हिंदुस्तान को सूफी संतों ने प्यार से जुड़ने की सीख और प्रेरणा दी है.

Qसूफी संगीत आज, जबकि फिल्मी संगीत को लोग तब्बजो देते हैं, कैसे कायम है?

हम जैसे कव्वाल इस प्यार के पैगाम को प्रस्तुति के जरिये लोगों के बीच फैलाने का काम कर रहे हैं. हम खुशनसीब हैं कि लंदन के रॉयल अलबर्ट हॉल में परफॉर्म करने का मौका मिला. इससे पैगाम पूरी दुनिया में फैल रही है.

Qआपने बॉलीवुड से जुड़कर काम किया है. इससे क्या अलग पहचान मिली ?

हमारी खुशनसीबी है कि सिकंदरा घराने का संगीत पूरे हिंदुस्तान में मशहूर हुआ. बॉलीवुड का अनुभव हमें प्रेरित करता है ताकि ताउम्र संगीत से लोगों के बीच प्यार का पैगाम पहुंचा सकें.

Qसूफी कलाम को फिल्मों के माध्यम से प्रचलन में लाना क्या संदेश देता है ?

फिल्मों के गाने सूफी कलाम की वजह से हिट हो रहे हैं. इसलिए बॉलीवुड सिंगर भी सूफी संगीत से जुड़ रहे हैं. इससे संतों का पैगाम लोगों के बीच फैल रहा.

Qसूफी संगीत में आधुनिक वाद्य यंत्रों के प्रयोग को कैसे देखते हैं ?

जो बुजुर्गों के दौर से चला रहा है, कव्वाल उसे ही अपना कर आगे बढ़ रहे हैं. आज की पीढ़ी को भी पारंपरिक वाद्ययंत्र सीखने की जरूरत है. इलेक्ट्रॉनिक म्यूजिक कभी परंपरा को पीछे नहीं कर सकेगा.

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