झारखंड के किसानों के लिए शुरू हुआ सिंगल विंडो सेंटर 99 फीसदी बंद, जो चालू वो भी ढंग से नहीं करते काम
हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री बनने के बाद 10 फरवरी 2020 को हुई समीक्षा बैठक में ‘सिंगल विंडो सेंटर’ की जांच के आदेश दिये थे. इसके बाद कृषि विभाग ने पूरे राज्य में संचालित सभी सेंटरों की जांच करायी थी
रांची: वर्ष 2016 में तत्कालीन राज्य सरकार ने हर जिले में कृषि विभाग के अधीन ‘सिंगल विंडो सेंटर’ खोले थे. इनका संचालन निजी संस्थाओं को सौंपा गया था, जिसके लिए उन्हें राशि भी दी गयी थी. इन सेंटरों के जरिये किसानों के हितों में विभिन्न प्रकार के कार्य होने थे. लेकिन, आज इनमें 99 प्रतिशत सेंटर बंद हैं. जो चालू हैं, वे भी ढंग से काम नहीं करते. यह खुलासा खुद कृषि विभाग की जांच रिपोर्ट में हुआ है. मजे की बात यह है कि कृषि विभाग की यह जांच रिपोर्ट तीन साल बाद आयी है. यानी सेंटरों की सही तरीके से निगरानी नहीं कर पानवाले विभाग ने जांच रिपोर्ट बनाने में भी ढुलमुल रवैया अपनाया.
गौरतलब है कि हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री बनने के बाद 10 फरवरी 2020 को हुई समीक्षा बैठक में ‘सिंगल विंडो सेंटर’ की जांच के आदेश दिये थे. इसके बाद कृषि विभाग ने पूरे राज्य में संचालित सभी सेंटरों की जांच करायी थी. इसमें पाया गया कि कई सेेंटर खुलते ही नहीं हैं. कुछ सेंटर महीने में एक-दो बार खुलते हैं. सिंगल विंडो सेंटर में 12 पैमानों पर काम होना था.
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कुछ में इस पर काम नहीं हो रहा है. जो सेंटर संचालित हैं, उसके कर्मी समय पर केंद्र में नहीं आते हैं. वहीं, मृदा स्वास्थ्य कार्ड से संबंधित कार्य भी सिंगल विंडो सेंटर पर नहीं किया जाता है. कुछ सेंटर पर मिट्टी नमूना संग्रह का कार्य भी नहीं किया जाता है, जबकि कुछ सेंटर पर आवश्यक पंजी का संधारण भी नहीं हो रहा है.
अब निदेशक करायेंगे गहन जांच :
इस स्कीम में हुई गड़बड़ी का जांच अब निदेशक स्तर से करायी जायेगी. कृषि निदेशक ने अलग-अलग जिलों के लिए जांच टीम बनायी है. जांच टीम में तीन सदस्यों को रखा गया है.