‘अपने निर्णयों पर अडिग रहे हेमंत सरकार’, राज्य समन्वय समिति की बैठक में सुझाव, BJP पर भी साधा निशाना
राज्य समन्वय समिति की पहली बैठक शनिवार को मोरहाबादी स्थित शिबू सोरेन के आवास पर हुई. बैठक में कहा गया कि भाजपा के दबाव में राजभवन से लौटाये गये महत्वपूर्ण विधेयकों को राज्य सरकार विधानसभा से दोबारा पारित कराकर अनुमोदन के लिए राज्यपाल को भेजे.
रांची : राज्य समन्वय समिति की पहली बैठक शनिवार को मोरहाबादी स्थित शिबू सोरेन के आवास पर हुई. बैठक में कहा गया कि भाजपा के दबाव में राजभवन से लौटाये गये महत्वपूर्ण विधेयकों को राज्य सरकार विधानसभा से दोबारा पारित कराकर अनुमोदन के लिए राज्यपाल को भेजे. इन विधेयकों में प्रमुख रूप से 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति, एससी, एसटी और पिछड़ा वर्ग का आरक्षण बढ़ाने, मॉब लिचिंग संबंधी विधेयक और नियोजन नीति संबंधी शामिल हैं. समन्वय समिति ने कहा कि इस दिशा में जनभावना के अनुरूप लिए गये अपने निर्णयों पर हेमंत सरकार को मजबूती से फिर कदम बढ़ाने चाहिए. ऐसे सभी विधेयकों की त्रुटियों को तत्काल दूर कर अनुमोदन के लिए राजभवन को भेजने की आवश्यकता है. हेमंत सरकार को ये सुझाव राज्य समन्वय समिति की ओर से दिये गये हैं.
बैठक के बाद समन्वय समिति के सदस्य विनोद कुमार पांडेय ने पत्रकारों को बैठक में लिये गये निर्णयों की जानकारी देते हुए कहा कि हेमंत सरकार राज्य की जनभावना के अनुरूप काम कर रही है, लेकिन भाजपा कभी राज्यपाल, तो कभी हाइकोर्ट का सहारा लेकर युवाओं को रोजगार और राज्य को विकास से वंचित करने का षडयंत्र रच रही है. भाजपा को उसके मंसूबे में कभी कामयाब नहीं होने दिया जायेगा. समिति ने राज्य सरकार को जनहित में लिए गए निर्णयों को अविलंब मजबूती के साथ लागू करने की सलाह दी है.
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उन्होंने कहा कि एससी, एसटी और ओबीसी आरक्षण बढ़ाने से संबंधित विधेयक को राजभवन ने समीक्षा करने का सुझाव देते हुए राज्य सरकार को लौटा दिया है. इसकी त्रुटियों को दूर करके दोबारा अनुमोदन की दिशा में तत्काल निर्णय लिया जाये. इसी प्रकार मॉब लिचिंग से संबंधित विधेयक को भी राजभवन से वापस किया गया. भाजपा के दवाब में राजभवन में राज्य सरकार द्वारा जनभावना के अनुरूप लिए गए निर्णयों को तवज्जो नहीं दिया जाता और कोई न कोई त्रुटि दिखा कर राज्य सरकार को वापस करने का काम किया जा रहा है. सरकार से इस विधेयक की त्रुटियों को भी दूर करके दोबारा अनुमोदन की दिशा में पहल का अनुरोध किया गया है. श्री पांडेय ने कहा कि राज्य सरकार ने नियोजन नीति बनाकर लागू किया, लेकिन भाजपा कार्यकर्ताओं ने हाइकोर्ट में इसे चुनौती दी. न्यायालय से यह खारिज हो गया. सरकार जनभावना के अनुरूप कार्य कर रही है, लेकिन भाजपा के रवैये से यह खारिज हो गया. सरकार इस पर अविलंब पुनर्विचार करे.उन्होंने कहा कि इसी प्रकार राजभवन द्वारा लौटाये गये 1932 खतियान आधारित स्थानीयता नीति पर भी सरकार अविलंब निर्णय ले.
सरना धर्म कोड को लेकर राष्ट्रपति से मिलेंगे
श्री पांडेय ने कहा कि सरना आदिवासी धर्म कोड को राज्य सरकार ने कैबिनेट और विधानसभा से पारित कराकर केंद्र सरकार को प्रेषित किया.केंद्र सरकार भी इसे जल्द अनुमोदित करे. समिति ने सुझाव दिया है कि राज्य की एक उच्च स्तरीय कमेटी केंद्र सरकार और राष्ट्रपति से मिल कर सरना धर्म कोड लागू कराने का अनुरोध करे. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा ने कहा कि विपक्ष जनहित में लिए जा रहे निर्णयों में राज्य सरकार का सकारात्मक रूप से सहयोग करे. सरकार को यह सुझाव दिया गया है कि वैकल्पिक व्यवस्था किए बगैर कॉलेजों में प्लस टू की पढ़ाई नहीं बंद किया जाये.
जीएम लैंड की रसीद सुगमता से कटे
सदस्य फागू बेसरा ने कहा कि राज्य में जीएम लैंड का रसीद सुगमता से कटे. रसीद 2013 से नहीं कट रहा था. सरकार ने सकारात्मक पहल की है. नियमितीकरण की दिशा में सरकार प्रभावी कार्य करे.उन्होंने कहा कि राज्य में ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने के लिए टीवीएनएल के विस्तारित परियोजना पर अविलंब सरकार काम करे. समिति के आमंत्रित सदस्य बंधु तिर्की ने कहा कि जमीन से संबंधित मामलों का जल्द निष्पादन के लिए राजस्व कर्मियों की कमी दूर करने के लिए बहाली तेजी से किया जाए. विभिन्न अंचलों में राजस्व कर्मियों की स्वीकृत पद से भी कम कार्य कर रहे हैं.
समिति के प्रमुख सुझाव
-राज्य के निजी क्षेत्र में 40 हजार रुपये तक वेतनवाले 75 फीसदी पदों पर स्थानीय को आरक्षण का प्रावधान सख्ती से लागू किया जाये, ताकि राज्य के युवाओं का नियोजन हो और उनकी सरकार से उम्मीद पूरी हो सके.
-नेता प्रतिपक्ष नहीं होने के कारण आयोग में नियुक्तियों में उत्पन्न हो रही अड़चनों को दूर करने पर विचार हो. वैकल्पिक व्यवस्था पर सरकार निर्णय ले.
-समन्वय समिति के सदस्यों के भ्रमण कार्यक्रम में अधिकारियों का अपेक्षित सहयोग मिले
-सीसीएल, बीसीसीएल, ईसीएल, वन परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण की स्थिति में 20 साल पूर्व बंदोबस्ती के मामलों में रैयतों के बराबर लाभ दिया जाये.
-विस्थापन से संबंधित नियोजन, पुर्नवास, मुआवजा को लेकर राज्य सरकार के दिशा-निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए उपायुक्त की अध्यक्षता में बनी समिति की नियमित बैठकें हों.