आर्थिक तंगी से जूझ रहा है धौनी के गृह राज्य का क्रिकेटर, पेट पालने के लिए कर रहा यह काम
क्रिकेट और तैराकी में कई बार जितेंद्र पटेल वह राज्य का प्रतिनिधित्व करते हुए ट्रॉफी जीत चुके हैं. राष्ट्रीय तैराकी में पदक संग वॉलीबॉल में भी गोल्ड मेडल जीत चुके हैं, लेकिन दुर्भाग्य है कि अब तक राज्य सरकार व जिला प्रशासन की ओर से कोई मदद नहीं दी गयी है.
राज्य के राष्ट्रीय स्तर के दिव्यांग क्रिकेटर सह चितरपुर प्रखंड के लारी निवासी जितेंद्र पटेल इन दिनों आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं. जितेंद्र पिछले नौ वर्ष से क्रिकेट, तैराकी, डांस और वॉलीबॉल में जिले और राज्य का नाम रोशन कर रहे हैं. वह आठ भाई-बहन हैं, जिनमें से चार बहनों की शादी हो चुकी है. आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण वह इंटर तक की ही पढ़ाई कर पाये. खेलकूद के साथ-साथ उन्होंने नृत्य में भी कोलकाता, मुंबई, दिल्ली, उत्तर प्रदेश सहित कई जगहों में अपनी प्रतिभा दिखायी है.
हर माह हजार रुपये प्रोत्साहन भत्ता मिलता है : पूर्व राज्य नि:शक्तता आयुक्त सतीश चंद्र ने बताया कि दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए राज्य सरकार की ओर से दो योजनाएं चलायी जा रही हैं. पहली योजना स्वामी विवेकानंद स्वावलंबन प्रोत्साहन योजना है, जिसमें दिव्यांग खिलाड़ियों को 1000 रुपये प्रति माह देने का प्रावधान है. जितेंद्र पटेल को इस प्रोत्साहन भत्ते का लाभ मिल रहा है. वहीं, दूसरी योजना में खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत अनाज देने का प्रावधान है.
कोरोना संकट में खराब हो गयी आर्थिक स्थिति,
राज्य सरकार दिव्यांग चंद्र राज्य निधि पर भी कार्य कर रही है. इसके माध्यम से प्राथमिकता के आधार पर स्व रोजगार के लिए 50 हजार से एक लाख रुपये दिये जायेंगे. इसी वित्तीय वर्ष में यह शुरू हो सकता है. मैंने खेल विभाग को पत्र लिखकर राष्ट्रीय व राज्यस्तरीय दिव्यांग खिलाड़ियों को भी नौकरी देने की मांग की थी. हालांकि इस पर अभी राज्य सरकार की ओर से निर्णय नहीं लिया जा सका है. सरकार अभी सामान्य खिलाड़ियों को नौकरी दे रही है.
क्रिकेट और तैराकी में जीत चुके हैं कई ट्राॅफी
क्रिकेट और तैराकी में कई बार वह राज्य का प्रतिनिधित्व करते हुए ट्रॉफी जीत चुके हैं. राष्ट्रीय तैराकी में पदक संग वॉलीबॉल में भी गोल्ड मेडल जीत चुके हैं, लेकिन दुर्भाग्य है कि अब तक राज्य सरकार व जिला प्रशासन की ओर से कोई मदद नहीं दी गयी है. कोरोना के कारण राज्य में चल रहे स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह के दौरान स्थिति और भी खराब हो गयी है. उन्होंने बताया कि कोरोना काल में खेलकूद व नृत्य का कोई कार्यक्रम नहीं होने से आर्थिक स्थिति चरमरा गयी है. जैसे-तैसे घर परिवार चल रहे हैं. अभी वह खेती कर रहे हैं. उन्होंने अपने खेतों में मकई की फसल लगायी है.