Jharkhand: चार साल से निष्क्रिय है झारखंड राज्य वित्त आयोग, बिना अध्यक्ष कार्यालय बना कबूतरखाना

डोरंडा स्थित राजा रानी कोठी के तीन कमरे में चल रहा झारखंड राज्य वित्त आयोग का कार्यालय चार वर्षों से निष्क्रिय है. यहां न अध्यक्ष हैं और न ही पदाधिकारी. एक कमरे के दरवाजे के पास टंगे बोर्ड पर लिखा है- 'एनके मिश्रा, अध्यक्ष'. जबकि, वे वर्ष 2018 तक ही अध्यक्ष रहे.

By Prabhat Khabar News Desk | July 17, 2022 2:23 PM

सुनील चौधरी

Ranchi News: डोरंडा स्थित राजा रानी कोठी के तीन कमरे में चल रहा झारखंड राज्य वित्त आयोग का कार्यालय चार वर्षों से निष्क्रिय है. यहां न अध्यक्ष हैं और न ही पदाधिकारी. एक कमरे के दरवाजे के पास टंगे बोर्ड पर लिखा है- ‘एनके मिश्रा, अध्यक्ष’. जबकि, वे वर्ष 2018 तक ही अध्यक्ष रहे. वहीं, कार्यालय के कमरे की दीवारें सीलन से भरी हैं. छत पर लगा फॉल्स सीलिंग जहां-तहां से टूट कर गिर रहा है. अक्सर कार्यालय में कबूतर आते थे, जो गंदगी फैलाते थे. इस कारण रोशनदान को ढंक दिया गया है. कमरे में लगे सोफा-कुर्सी व टेबल को कपड़े से ढंक कर रखा गया है. वहीं, एक उच्चवर्गीय लिपिक प्रतिनियुक्त हैं. वे प्रत्येक सप्ताह में दो दिन आकर हाजिरी बनाकर चले जाते हैं. कोई पत्राचार आदि है, तो उसे संबंधित विभाग को भेज देते हैं. एक डेली वेजेज सफाई कर्मचारी है, जो ताला खोलकर सफाई करता है.

वर्ष 2004 में वित्त आयोग बना था

झारखंड पंचायती राज अधिनियम 2001 की धारा 114 के तहत राज्य में वित्त आयोग के गठन का प्रावधान है. वर्ष 2004 में जब राज्य वित्त आयोग बना था. इसके पहले अध्यक्ष आइएएस अधिकारी शिव बसंत बनाये गये थे. एनके मिश्र वर्ष 2018 तक अध्यक्ष रहे. उनके बाद से यह पद खाली है. अब राज्य सरकार ने 11 जुलाई 2022 को हुई कैबिनेट की बैठक में झारखंड राज्य वित्त आयोग नियमावली-2022 को मंजूरी दी. नौ जुलाई 2022 को डॉ नितिन मदन कुलकर्णी को बतौर अध्यक्ष पदस्थापित किया गया है. हालांकि, यह पदस्थापन भी विवादों में घिर गया है. वजह है कि डॉ कुलकर्णी राज्यपाल के प्रधान सचिव के प्रभार में भी हैं. उनके स्थानांतरण पर राज्यपाल ने भी नाराजगी जतायी है, जिसके कारण डॉ कुलकर्णी ने पदभार नहीं संभाला है.

राज्य वित्त आयोग के कार्य

भारतीय संविधान के अनुच्छेद-243(आइ) तथा 243(वाइ) में आयोग के गठन के लिए दी गयी व्यवस्था के अनुसार राज्य वित्त आयोगों का गठन प्रत्येक पांच वर्ष पर संबंधित राज्य के राज्यपाल द्वारा किया जाता है. राज्य वित्त आयोग का प्रमुख कार्य पंचायतों तथा नगरपालिकाओं की वित्तीय स्थिति की समीक्षा करना है. राज्य वित्त आयोग में सामान्यतः अध्यक्ष, सदस्य सचिव तथा अन्य सदस्य शामिल होते हैं. राज्य वित्त आयोग को केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुरूप अनुदान प्राप्त होता है. राज्य की संचित निधि से राज्य में विभिन्न पंचायती राज संस्थाओं और नगर निकायों को धन आवंटन का कार्य करता है. वित्तीय मुद्दों के संबंध में राज्य और केंद्रीय सरकारों के बीच एक मध्यस्थ के रूप में कार्य करता है. राज्य सरकार द्वारा कर, फीस, टोल के रूप में वसूली गयी निधि को राज्य के विभिन्न नगर निकायों तथा पंचायती राज संस्थानों के बीच वितरित करता है.

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