झारखंड में विभिन्न मामलों से जुड़े आयोग आमजन की समस्या के समाधान की अहम कड़ी होते हैं, लेकिन झारखंड में विभिन्न आयोग में कई महत्वपूर्ण पद वर्षों से रिक्त हैं. इससे विभिन्न मामलों के निष्पादन में परेशानी हो रही है. जानकारी के अनुसार, राज्य महिला आयोग महिलाओं को न्याय देने में विफल रहा है. इसमें ढाई साल से पद खाली हैं. इधर, सामान्य रूप से कार्यालयों में सूचना नहीं मिलने से लोगों को सूचना आयोग की शरण भी नहीं मिल रही है.
इसमें अहम पद खाली होने से लोगों की याचिका पर सुनवाई नहीं हो रही है. लोकायुक्त का पद भी वर्षों से रिक्त है. यहां लोग लोकसेवकों के खिलाफ शिकायत करते थे. वित्त आयोग का हाल भी बेहाल है. इधर, राज्य सरकार आयोग में खाली पदों पर नियुक्ति को लेकर उदासीन बनी हुई है.
राज्य महिला आयोग में ढाई साल से कामकाज ठप है. यहां अध्यक्ष के अलावा सदस्य के पांच पद हैं. ये सभी पद छह जून 2020 से ही खाली हैं. फिलहाल, आयोग में 4774 आवेदन लंबित हैं, जिसमें पहले से दर्ज 2374 मामले भी शामिल हैं. जब से आयोग बंद हुआ है, तब से यहां 31 मई 2022 तक 2150 मामले दर्ज किये गये हैं. वहीं, मई से अब तक आयोग में 250 नये मामले पहुंचे हैं. हर दिन एक-दो महिलाएं न्याय के लिए पहुंच ही जाती हैं. स्पीड पोस्ट से भी आवेदन पहुंच रहे हैं.
आयोग में तीन कर्मी कार्यरत हैं, जिसमें एक कंप्यूटर ऑपरेटर, एक स्वास्थ्य कर्मी व एक सुरक्षा गार्ड शामिल हैं. रोजाना कार्यालय भी खुल रहा है, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है. पूर्व में कार्यरत कर्मियों को अध्यक्ष व सदस्य विहीन होने के कारण हटा दिया गया है.14 माह से उन्हें वेतन नहीं मिला है.
राज्य महिला आयोग में ढाई साल से पद खाली
सूचना आयोग में पद रिक्त रहने से नहीं हो रही सुनवाई
लोकायुक्त का पद वर्षों से रिक्त, वित्त आयोग भी बेहाल
सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार, कदाचार और निष्क्रियता से निबटने के लिए लोकायुक्त कार्यालय की स्थापना की गयी, ताकि आम व्यक्ति का विश्वास एवं आस्था राज्य प्रशासन में कायम रहे. 29 जून 2021 से लोकायुक्त झारखंड का पद रिक्त पड़ा है. इस कारण 16 माह से भ्रष्टाचार से संबंधित दर्ज मामलों की सुनवाई नहीं हो पा रही है.
भ्रष्ट आचरण, भ्रष्टाचार व लोक शिकायत से संबंधित 2000 से अधिक मामले लंबित हैं. लोकायुक्त का पद रिक्त रहने के कारण परिवाद दायर करनेवाले मायूस हो गये हैं. उधर, लोकायुक्त के सचिव द्वारा समन की कार्रवाई शुरू की गयी थी, जिसके बाद कार्मिक ने यह कहते हुए रोक लगी दी कि लोकायुक्त नहीं हैं, इसलिए आप कार्रवाई नहीं कर सकते हैं.
झारखंड राज्य सूचना आयोग पूरी तरह ठप हो गया है. आयोग में न तो मुख्य सूचना आयुक्त (सीआइसी) हैं और न ही सूचना आयुक्त. सीआइसी के एक और सभी 10 आयुक्तों के पद खाली रहने से मई 2020 से आयोग में लंबित अपील व शिकायत से संबंधित मामलों की सुनवाई ठप है. 20 हजार से अधिक मामले लंबित हो गये हैं. कई पीड़ित अब भी शिकायत दर्ज करा रहे हैं.
जन सूचना पदाधिकारी और प्रथम अपीलीय पदाधिकारी से सूचना नहीं मिलने पर लोग राज्य सूचना आयोग के पास पहुंचते हैं. आयुक्तों का पद रिक्त रहने से आयोग पहले से ही बेबस है. वह आवेदकों के मामले में न्याय नहीं कर पा रहा है. वहीं, राज्य सरकार सूचना आयुक्तों की नियुक्ति के लिए दो बार प्रयास कर चुकी है. पहली बार शुरू की गयी नियुक्ति प्रक्रिया बीच में ही रद्द कर दी गयी. दोबारा आवेदन मंगाया गया, लेकिन प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हो पायी है. उधर, झारखंड हाइकोर्ट में भी प्रार्थी राजकुमार की याचिका लंबित है.
झारखंड राज्य वित्त आयोग चार वर्ष से निष्क्रिय है. यहां न तो कोई अध्यक्ष है और न ही कोई पदाधिकारी. मात्र एक उच्चवर्गीय लिपिक प्रतिनियुक्त हैं और वह भी सप्ताह में दो दिन के लिए. बाकी एक दैनिक भत्ते पर नियुक्त सफाई कर्मचारी है, जो ताला खोलकर सफाई करता है. डोरंडा स्थित राजा रानी कोठी में वित्त आयोग का कार्यालय है. राज्य सरकार ने नौ जुलाई 2022 को डॉ नितिन मदन कुलकर्णी को बतौर अध्यक्ष यहां पदस्थापित किया है, लेकिन उन्होंने योगदान तक नहीं दिया. डोरंडा स्थित राजा-रानी कोठी में स्थिति तीन कमरों का यह कार्यालय है. इसमें एक कमरा अध्यक्ष का है. कमरों में सीलन भरा हुआ है.