राज्यपाल रमेश बैस का स्थापना दिवस समारोह में न होना बना चर्चा का विषय, जानें क्यों हुई ऐसी स्थिति उत्पन्न

झारखंड स्थापना दिवस को लेकर आयोजित समारोह में राज्यपाल रमेश बैस का शामिल नहीं होना राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया. राज्य सरकार द्वारा मोरहाबादी मैदान में स्थापना दिवस समारोह के लिए छपे कार्ड में राज्यपाल रमेश बैस को मुख्य अतिथि बनाया गया था, लेकिन राज्यपाल समारोह में नहीं पहुंचे.

By Prabhat Khabar News Desk | November 16, 2022 7:19 AM

रांची: झारखंड स्थापना दिवस को लेकर आयोजित समारोह में राज्यपाल रमेश बैस का शामिल नहीं होना राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया. राज्य सरकार द्वारा मोरहाबादी मैदान में स्थापना दिवस समारोह के लिए छपे कार्ड में राज्यपाल रमेश बैस को मुख्य अतिथि बनाया गया था, लेकिन राज्यपाल समारोह में नहीं पहुंचे.

बताया जाता है कि स्थापना दिवस समारोह में शामिल होने के लिए मुख्यमंत्री व्यक्तिगत रूप से पूर्व में निमंत्रण देने राजभवन नहीं पहुंचे थे, बल्कि रविवार रात 8:30 बजे मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को फोन कर समारोह में शामिल होने का आग्रह किया. आयोग द्वारा सदस्यता के मामले में सीएम द्वारा हाइकोर्ट में याचिका दायर होने से भी राज्यपाल नाराज हैं.

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मंगलवार सुबह में कोकर स्थित बिरसा मुंडा समाधिस्थल पर राज्यपाल श्रद्धांजलि देने पहुंचे, लेकिन सीएम नहीं पहुंचे. राज्यपाल ने कुछ देर उनका इंतजार भी किया. बाद में राज्यपाल बिरसा चौक स्थित बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने पहुंचे, तो थोड़ी देर बाद सीएम भी पहुंचे. बिरसा चौक से राज्यपाल व मुख्यमंत्री एक ही कार से एयरपोर्ट राष्ट्रपति का स्वागत करने पहुंचे और उलिहातू के कार्यक्रम में शामिल हुए.

अर्जुन मुंडा राष्ट्रपति के साथ गये जबलपुर :

केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा के कार्यालय से बताया गया कि पूर्व में उन्हें भी स्थापना दिवस समारोह में शामिल होना था, क्योंकि समारोह में एकलव्य विद्यालय का उद्घाटन राष्ट्रपति द्वारा किया जाना था. लेकिन कार्यक्रम में फेरबदल होने के बाद उन्हें जबलपुर में जनजातीय गौरव दिवस के कार्यक्रम में शामिल होने राष्ट्रपति के साथ जाना पड़ा.

राज्य सरकार ने राज्यपाल की तस्वीर नहीं दी : सेठ

सांसद संजय सेठ ने झारखंड स्थापना दिवस के विज्ञापन में राज्य सरकार की ओर से राज्यपाल रमेश बैस की तस्वीर नहीं दिये जाने पर आपत्ति जतायी है. श्री सेठ ने कहा कि राज्यपाल राष्ट्रपति के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करते हैं. यह राष्ट्रपति का अपमान है.

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