झारखंड के वित्त रहित स्कूल व कॉलेज के शिक्षक और कर्मचारियों के बैंक खाते में सीधे अनुदान राशि भेजी जायेगी. अब तक अनुदान संबंधित शिक्षण संस्थान को दिया जाता था. फिर शिक्षण संस्थान के द्वारा शिक्षक व कर्मचारी को अनुदान राशि दी जाती थी. इसके लिए अनुदान नियमावली 2015 में बदलाव किया जायेगा. राज्य के वित्त रहित शिक्षण संस्थान के अनुदान को भी दोगुना किया जायेगा.
इसके लिए माध्यमिक शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गयी थी. कमेटी ने अपनी अनुशंसा विभाग को सौंप दी है. कमेटी ने शिक्षण संस्थानों का अनुदान दोगुना कने की अनुशंसा की है. विभागीय स्तर पर इसकी सहमति भी बन गयी है.
राज्य में अब तक अनुदान नियमावली 2015 के तहत शिक्षण संस्थानों को अनुदान दिया जाता था. अब उसमें संशोधन किया जायेगा. इसमें अनुदान वितरण की प्रक्रिया में भी बदलाव होगा.
इसके तहत अनुदान के लिए ऑनलाइन आवेदन करते समय ही शिक्षक व कर्मचारियों के बारे में जानकारी देनी होगी. शिक्षक व कर्मचारी के पद व मिलने वाले मानदेय की जानकारी शिक्षण संस्थानों द्वारा दी जायेगी. बैंक खाता की जानकारी भी ऑनलाइन दी जायेगी. इसके बाद विभाग स्तर से ही अनुदान की राशि सीधे शिक्षक व कर्मचारी के बैंक खाता में ट्रांसफर कर दी जायेगी.
झारखंड राज्य वित्तरहित शिक्षा संयुक्त संघर्ष मोर्चा काफी दिनों से इसकी मांग कर रहा था. मोर्चा के रघुनाथ सिंह ने बताया कि शिक्षा सचिव की अध्यक्षता में पिछले दिनों बजट राशि के खर्च की समीक्षा के दौरान इसकी मांग की गयी थी. मोर्चा का कहना था कि जब बच्चों को डीबीटी के माध्यम से योजनाओं की राशि दी जाती है, तो शिक्षकों को सीधे अनुदान की राशि क्यों नहीं दी जा सकती है. शिक्षा सचिव द्वारा इस पर कार्रवाई का आश्वासन दिया गया था.
हाइस्कूल, इंटर कॉलेज के अलावा मदरसा व संस्कृत स्कूल के शिक्षक व कर्मियों को भी अनुदान राशि सीधे उनके बैंक खाता में दी जायेगी. जिन स्कूल, कॉलेजों को अनुदान दिया जाता है, उनमें राज्य भर में लगभग आठ हजार शिक्षक व कर्मचारी कार्यरत हैं. मोर्चा ने विभाग से अनुदान नियमावली में बदलाव की प्रक्रिया जल्द पूरी करने की मांग की है.
रांची. राज्य के 22 हाइस्कूल व इंटर कॉलेजों को स्थायी मान्यता मिलेगी. विभागीय स्तर पर इसके लिए गठित कमेटी ने इसे अपनी स्वीकृति दे दी है. विभागीय स्तर पर इसकी प्रक्रिया पूरी होने के बाद इस संबंध में पत्र जारी किया जायेगा.