अब झारखंड के शिक्षक अपने मन पसंद स्थान पर ले सकते हैं ट्रांसफर, शिक्षक स्थानांतरण नियमावली ड्राफ्ट हुआ तैयार
वर्ष 2019 की नियमावली समाप्त कर 1994 की नियमावली का प्रावधान लागू करने का सुझाव पारित हो गया है, जिसे शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के पास भेज दिया गया है. इससे अब शिक्षक अपने गृह जिले में भी अपनी सेवा दे सकता है.
रांची : राज्य के प्राथमिक से लेकर प्लस टू शिक्षकों तक के स्थानांतरण को लेकर नियमावली में संशोधन का ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है. नियमावली में संशोधन को लेकर माध्यमिक शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने अपनी रिपोर्ट शिक्षा सचिव को सौंप दी है. स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग के सचिव की सहमति के बाद संशोधित नियमावली तैयार की जायेगी.
नियमावली को शिक्षा मंत्री की सहमति के लिए भेजा जायेगा. इसके बाद नियमावली विधि व कार्मिक विभाग को भेजी जायेगी. इन विभागों की सहमति के बाद नियमावली को कैबिनेट की स्वीकृति के लिए भेजा जायेगा. नियमावली संशोधन के लिए आवश्यक प्रक्रिया जल्द पूरी की जायेगी. नियामवली संशोधन में अंतर जिला स्थानांतरण को लेकर फिर से वर्ष 1994 की नियमावली के प्रावधानों को लागू करने का सुझाव दिया गया है.
वैसे शिक्षक जो झारखंड के नहीं हैं, उन्हें भी अपनी इच्छा के अनुरूप जिला चयन का अवसर दिया जा सकता है. इसके तहत राज्य में शिक्षकों को पांच साल की सेवा पूरी होने के बाद पूरे सेवा काल में अंतर जिला स्थानांतरण का अवसर मिलेगा. इसके तहत शिक्षक अपने गृह जिला का भी चयन कर सकते हैं. महिला शिक्षकों के स्थानांतरण के लिए वर्ष की बाध्यता नहीं होगी.
नियमावली में क्यों हो रहा है संशोधन :
वर्ष 2019 की नियमावली में सामान्य परिस्थिति में शिक्षकों के अंतर जिला स्थानांतरण का प्रावधान समाप्त कर दिया गया था. नियमावली में दिव्यांग व गंभीर रोग से ग्रसित होने पर पति-पत्नी दोनों के शिक्षक के होने की स्थिति में ही अंतर जिला स्थानांतरण का प्रावधान था. शिक्षक संगठन इसका विरोध कर रहे थे. शिक्षक संगठनों की मांग थी कि उन्हें पूरे सेवा काल में अंतर जिला स्थानांतरण का एक अवसर दिया जाये. माध्यमिक शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने वर्ष 2019 की नियमावली में पांच बिंदुओं पर संशोधन को लेकर अपना प्रस्ताव दिया है.
Posted by : Sameer Oraon