झारखंड के शिक्षकों का ट्रांसफर के लिए बनी नियमावली, पर तबादला एक का भी नहीं, सदन में गरमाया था मामला
झारखंड में वर्ष 2016 में शिक्षकों के स्थानांतरण के लिए नयी नियमावली बनाने का निर्णय लिया गया था. वर्ष 2016 में शुरू हुई प्रक्रिया के तहत वर्ष 2019 में शिक्षकों के स्थानांतरण के लिए नियमावली बनायी गयी.
झारखंड में शिक्षकों के स्थानांतरण के लिए पिछले पांच साल में दो नियमावली बनायी गयी, लेकिन एक भी शिक्षक का स्थानांतरण नहीं हुआ. विभाग के स्तर से स्थानांतरण पर रोक लगी हुई है. अब फिर से स्थानांतरण की प्रक्रिया में बदलाव की तैयारी है. वर्ष 2019 व 2022 की नियमावली में स्थानांतरण की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन की गयी थी, लेकिन यह प्रक्रिया ट्रायल में फेल हो गयी. ऐसे में बदलाव करते हुए स्थानांतरण की प्रक्रिया ऑफलाइन करने की तैयारी की जा रही है.
राज्य में वर्ष 2016 में शिक्षकों के स्थानांतरण के लिए नयी नियमावली बनाने का निर्णय लिया गया था. वर्ष 2016 में शुरू हुई प्रक्रिया के तहत वर्ष 2019 में शिक्षकों के स्थानांतरण के लिए नियमावली बनायी गयी. इस नियमावली में सामान्य परिस्थिति में शिक्षकों के अंतर जिला स्थानांतरण का प्रावधान समाप्त कर दिया गया. शिक्षकों ने इसका विरोध किया. इसके बाद शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के निर्देश पर वर्ष 2020 में इसमें बदलाव की प्रक्रिया शुरू की गयी. वर्ष 2022 में नियमावली में बदलाव की प्रक्रिया पूरी हुई. इस दौरान पांच शिक्षा सचिव बदल गये.
सदन में उठा था मामला :
मार्च 2021 में आधा दर्जन से अधिक विधायकों ने शिक्षकों के स्थानांतरण का मामला विधानसभा में उठाया. विधायक मथुरा महतो ने इस संंबंध में सवाल पूछा था. विधायक प्रदीप यादव, दीपिका पांडेय सिंह, सुदिव्य कुमार सोनू, तत्कालीन विधायक बंधु तिर्की समेत कई अन्य विधायकों ने भी शिक्षकों के गृह जिला स्थानांतरण का मामला उठाया था. उस समय प्रभारी मंत्री आलमगीर आलम ने सदन में यह आश्वासन दिया था कि नियमावली में बदलाव किया जा रहा है, इसके लिए पोर्टल भी तैयार किया गया है
सदन में दिये गये आश्वासन को भी दो वर्ष होने को जा रहा है, लेकिन अब तक शिक्षकों का स्थानांतरण शुरू नहीं हुआ. नयी नियमावली के तहत शिक्षकों के स्थानांतरण की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होनी थी, लेकिन विभाग पोर्टल ही नहीं बना सका.
स्थानांतरण पर रोक, लेकिन हो रही प्रतिनियुक्ति
एक ओर शिक्षकों का जहां अपने जिला के अंदर तबादला नहीं हो रहा है, वहीं दूसरी ओर प्राथमिक शिक्षा निदेशालय प्रतिनियुक्ति पर शिक्षकों को एक जिला से दूसरा जिला भेज रहा है. पिछले माह भी प्राथमिक शिक्षा निदेशालय द्वारा कुछ शिक्षकों की अंतर जिला प्रतिनियुक्ति की गयी.
शिक्षक–जिला–प्रतिनियुक्त जिला
रीना दत्त–गढवा–पलामू
निवास महतो–धनबाद–दुमका
कुमारी लक्ष्मी–पूर्वी सिंहभूम–धनबाद
ममता कुमारी यादव–गिरिडीह–कोडरमा
कृष्णकांत घोष–पूर्वी सिंहभूम–जामताड़ा
प्रदीप कुमार दास–सरायकेला-खरसावां–धनबाद
विष्णु कुमार महतो–सरायकेला-खरसावां–जामताड़ा
प्रतिनियुक्ति का खेल : 10 साल जेसीइआरटी में रहा, फिर निदेशालय में पहुंचा
प्राथमिक शिक्षा निदेशालय द्वारा पिछले दिनों प्राथमिक शिक्षक कीर्तीवास कुमार की प्रतिनियुक्ति निदेशालय में की गयी. कीर्तिवास इससे पहले 10 साल से अधिक समय तक जेसीइआरटी में प्रतिनियुक्त थे. पिछले वर्ष प्रतिनियुक्ति समाप्त कर विद्यालय भेजे गये थे. अब फिर एक वर्ष के अंदर ही शिक्षक को विद्यालय से वापस बुला लिया गया है, उन्हेंं फिर से प्राथमिक शिक्षा निदेशालय में प्रतिनियुक्त कर दिया गया है.
शिक्षकों की स्थानांतरण प्रक्रिया जल्द शुरू होगी. स्थानांतरण की प्रक्रिया ऑनलाइन की गयी थी, जिसमें परेशानी हो रही थी. काफी समय लग रहा था. इसकी प्रक्रिया को अब ऑफलाइन किया जायेगा. शिक्षकों के स्थानांतरण को लेकर जिला स्तर पर जोन निर्धारण कर लिया गया है. छात्र अनुपात में शिक्षकों का पदस्थापन भी करने को कहा गया है. स्थानांतरण के लिए पत्र भी जारी किया गया है.
जगरनाथ महतो, शिक्षा मंत्री
अलग-अलग जिले में शिक्षक दंपती
पति-पत्नी दोनों के सरकारी सेवा में होने पर एक जिले में स्थानांतरण का प्रावधान है. प्लस टू स्कूल के शिक्षक डीके मिश्रा पलामू में पदस्थापित हैं और उनकी पत्नी रांची में. उनका तबादला नहीं हो पा रहा है.
दिव्यांग शिक्षक नहीं जा पा रहे गृह जिला
दिव्यांग सकलदेव राम की नियुक्ति वर्ष 2019 में हुई थी. वे मूलरूप से करोडरमा के रहनेवाले, लेकिन उनका पदस्थापन फिलहाल बोकारो जिला में है. लाख कोशिशों के बाद भी उनका तबादला नहीं हो रहा है.