Loading election data...

Jharkhand Teachers News : झारखंड के हाइस्कूलों में नियुक्त 36 शिक्षकों की बीएड डिग्री के फर्जी होने का संदेह, ऐस‍े हुआ मामले का खुलासा

जबकि, एनसीटीइ ने स्पष्ट किया है कि उक्त यूनिवर्सिटी बीएड डिग्री देने के लिए अधिकृत ही नहीं है. राजस्थान सरकार ने भी 24 नवंबर 2015 को जारी आदेश के जरिये विवि द्वारा जारी अंक पत्र व उपाधियों का दुरुपयोग रोकने का आदेश दिया है. इसी तरह 13 शिक्षकों ने डॉ सीवी रमण कॉलेज अॉफ एजुकेशन (गुरु घासीदास विवि से संबद्ध) से वर्ष 2009, 2010 और 2015 में ली गयी डिग्री जमा की है. जबकि, एनसीटीइ ने 2017 में उक्त विवि को स्वतंत्र रूप से बीएड की डिग्री देने के लिए मान्यता दी है.

By Prabhat Khabar News Desk | February 20, 2021 7:02 AM

jharkhand crime news, jharkhand news, jharkhand teacher b. ed fraud degree certificate रांची : झारखंड के विभिन्न जिलों में नियुक्त 36 शिक्षकों द्वारा जमा की गयी बीएड की डिग्री संदेह के घेरे में है. प्रथमदृष्टया इन डिग्रियों को फर्जी माना जा रहा है. इन शिक्षकों ने वैसे विश्वविद्यालय से डिग्री हासिल की है, जिन्हें एनसीटीइ ने मान्यता ही नहीं दी है या फिर मान्यता समाप्त कर चुकी है. जानकारी के अनुसार, 13 शिक्षकों ने जोधपुर नेशनल यूनिवर्सिटी से बीएड की डिग्री का प्रमाण पत्र जमा किया है.

जबकि, एनसीटीइ ने स्पष्ट किया है कि उक्त यूनिवर्सिटी बीएड डिग्री देने के लिए अधिकृत ही नहीं है. राजस्थान सरकार ने भी 24 नवंबर 2015 को जारी आदेश के जरिये विवि द्वारा जारी अंक पत्र व उपाधियों का दुरुपयोग रोकने का आदेश दिया है. इसी तरह 13 शिक्षकों ने डॉ सीवी रमण कॉलेज अॉफ एजुकेशन (गुरु घासीदास विवि से संबद्ध) से वर्ष 2009, 2010 और 2015 में ली गयी डिग्री जमा की है. जबकि, एनसीटीइ ने 2017 में उक्त विवि को स्वतंत्र रूप से बीएड की डिग्री देने के लिए मान्यता दी है.

वहीं, चार शिक्षकों ने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ वाराणसी से बीपीएड की डिग्री जमा की है, लेकिन विवि द्वारा जारी डिग्री सूची में इन शिक्षकों के नाम ही नहीं हैं. उधर, चार शिक्षकों ने पेसिफिक विवि उदयपुर राजस्थान की वर्ष 2013 में ली गयी बीएड डिग्री जमा की है, जबकि उक्त संस्थान 2015-16 तक मोहनलाल सुखाड़िया विवि से संबद्ध था.

एनसीटीइ ने इस विवि को 2016 में बीएड डिग्री देने के लिए अधिकृत किया है. दो शिक्षकों ने सिंघानिया विवि से क्रमश: 2014 व 2012 में बीएड/बीपीएड की डिग्री हासिल की है, जबकि आरटीआइ के तहत मांगी गयी जानकारी में एनसीटीइ ने स्पष्ट किया है कि सिंघानिया विवि को बीएड कोर्स की मान्यता ही नहीं दी गयी है.

अधिवक्ता सुनील महतो ने कहा: पूरे मामले की हो जांच

आरटीइ कार्यकर्ता सह झारखंड हाइकोर्ट के अधिवक्ता सुनील महतो ने सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत उक्त जानकारी हासिल की है. उन्होंने प्राप्त जानकारी के आधार पर पूरे मामले की जांच के लिए संबंधित जिला के जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीइअो) से आग्रह किया है. झारखंड के हाइस्कूलों में शिक्षकों नियुक्त तथा Hindi News से अपडेट के लिए बने रहें हमारे साथ.

Posted By : Sameer Oraon

Next Article

Exit mobile version