झारखंड में ‘प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना’ के काम में पहली बार दूसरे राज्यों खासकर पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के ठेकेदार भी हिस्सा ले रहे हैं. बिहार के ठेकेदार तो ज्यादा आ ही रहे हैं. राज्य में उच्च गुणवत्ता वाली सड़कें बनाने के उद्देश्य से इस बार ग्रामीण कार्य विभाग ने बड़े-बड़े पैकेज में सड़क निर्माण की योजनाएं ली हैं. ऐसे में टेंडर की अर्हताएं पूरी नहीं कर पानेवाले राज्य के छोटे ठेकेदारों स्वत: काम से बहार हो जा रहे हैं.
पीएमजीएसवाइ के तहत राज्य में करीब 5000 करोड़ रुपये की योजनाएं शुरू होनी हैं. इसमें पीएमजीएसवाइ-3 के तहत 2800 करोड़ से नयी सड़कों का निर्माण होगा, जबकि 2200 करोड़ से पुरानी सड़कों की मरम्मत होगी. विभाग के इंजीनियरों के अनुसार, पूर्व में दो करोड़ से अधिकतम पांच-छह करोड़ तक की छोटी-छोटी योजनाएं ली गयी थीं, जिससे यहां के छोटे ठेकेदारों को काम मिल रहा था.
जबकि, इस बार पीएमजीएसवाइ के तहत पैकेज बना कर 15 करोड़ से 50 करोड़ तक की बड़ी-बड़ी योजनाएं ली जा रही हैं. पीएमजीएसवाइ से जुड़े इंजीनियरों का कहना है कि बड़े ठेकेदारों के आने से काम गुणवत्ता बेहतर होगी. उम्मीद है कि इस बार ली गयी सड़क योजनाएं उच्च गुणवत्ता के साथ तय समय में पूरी होंगी.
दो प्रतिशत देना पीएमजीएसवाइ खाते में :
इस बार सड़क निर्माण के टेंडर में प्रावधान किया गया है कि ठेकेदारों को योजना की लागत राशि का दो प्रतिशत अर्नेस्ट मनी के रूप में पीएमजीएसवाइ के खाते में ट्रांसफर करना है. राज्य के कई छोटे ठेकेदार यह राशि जमा कराने में सक्षम नहीं हैं.