झारखंड समेत पूरे देश में गर्मियों के मौसम में कई नदियां पूरी रह सूख जाती हैं. नदियां जल का स्रोत ही नहीं, जीवनदायिनी भी हैं. इसलिए इनको सूखने से बचाना बेहद जरूरी है. अगर नदियों का संरक्षण नहीं हुआ, तो वे सूख जायेंगी और नदियां सूख गयीं, तो सभ्यता मर जायेगी. दुनिया के जिन देशों में नदियां सूखी हैं, वहां की सभ्यता सूख गयीं हैं. ऐसे देशों के लोगों को अमेरिका और यूरोप जैसे विकसित देश क्लाइमेट रिफ्यूजी यानी जलवायु परिवर्तन शरणार्थी कहते हैं. अभी भारत के लोगों की बहुत इज्जत है, क्योंकि वे कामधेनु गाय की तरह हैं. उनके लिए बड़ा बाजार हैं. लेकिन, हमारे यहां भी बड़ी संख्या में नदियां सूख रहीं हैं. इनको बचाने के गंभीर प्रयास नहीं हुए, तो आने वाले दिनों में हम भी क्लाइमेंट रिफ्यूजी बन जायेंगे. ये बातें जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने रांची में प्रभात खबर की ओर से आयोजित ‘प्रभात संवाद’ कार्यक्रम में कहीं. आप भी सुनिए, उनका पूरा वीडियो.
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VIDEO: …तो क्या हम भी बन जायेंगे क्लाइमेट रिफ्यूजी?
नदियों का संरक्षण नहीं हुआ, तो वे सूख जायेंगी और नदियां सूख गयीं, तो सभ्यता मर जायेगी. दुनिया के जिन देशों में नदियां सूखी हैं, वहां की सभ्यता सूख गयीं हैं. ऐसे देशों के लोगों को अमेरिका और यूरोप जैसे विकसित देश क्लाइमेट रिफ्यूजी यानी जलवायु परिवर्तन शरणार्थी कहते हैं.
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