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Explainer: वज्रपात से बचने के लिए करें ये उपाय, झारखंड में औसतन हो रही 350 लोगों की मौत

बारिश के मौसम में वज्रपात होना आम बात है. झारखंड के ग्रामीण इलाकों में तो अक्सर इस तरह की घटनाएं देखने और सुनने को मिलती है. लेकिन कई बार मन में यही सवाल होता है कि इस आपदा से कैसे बचें और इसके लिए क्या करें और क्या ना करें.

By Nutan kumari | August 4, 2023 2:56 PM
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Lightning in Jharkhand: मानसून का सीजन चल रहा है और इन दिनों झारखंड के कई जिलों में झमाझम बारिश हो रही है. एक तरफ लगातार हो रही बारिश से किसानों के चेहरे खिल उठे हैं तो, वहीं दूसरी तरफ यही बारिश कई लोगों के लिए जानलेवा शाबित हो रही है, जब आसान से बिजली गिरती है. जिसे आकाशीय बिजली, वज्रपात या ठनका कहते हैं. इसके (आसमानी बिजली, वज्रपात, ठनका) गिरने से आमजन प्रभावित होते हैं. खेतों में काम कर रहे किसानों को कई बार अपनी जान तक गवानी पड़ती है. आज के इस आर्टिकल में हम आपको बतायेंगे कि इस आपदा से कैसे बच सकते हैं और इसके लिए क्या करें और क्या ना करें तो, आइये जानते हैं…

क्या है आकाशीय बिजली, वज्रपात, ठनका

आकाशीय बिजली का गिरना एक ऐसी प्राकृतिक आपदा है, जिसमें पलक झपकते ही लोगों की मौत हो जाती है. अक्सर यह मानसून की बारिश के समय आसमान में बिजली कड़कती या चमकती है. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, आकाश में मौजूद बादलों के घर्षण से एक बिजली उत्पन्न होती है. जिससे नेगटिव चार्ज उत्पन्न होता है. वहीं पृथ्वी में पहले से पॉजिटिव चार्ज मौजूद होता है. ऐसे में धरती और आकाश के दोनों नेगटिव एवं पॉजिटिव चार्ज एक दूसरे की तरफ आकर्षित होते हैं. जब इन दोनों चार्जों के बीच में कोई कंडक्टर आता है तो इलेक्ट्रिक डिस्चार्ज होता है. लेकिन आसमान में कोई कंडक्टर नहीं होता है तो यही इलेक्ट्रिक डिस्चार्ज ठनका के रूप में धरती पर गिरती है. आकाशीय बिजली को ठनका या वज्रपात भी कहते हैं.

कहां गिरती है आकाशीय बिजली

आमतौर पर वज्रपात होने की सबसे अधिक संभावना ऊंचे इलाके जैसे पहाड़ या कोई ऊंचा पेड़ में होती है. इसके साथ ही उन इलाकों में भी वज्रपात की संभावना होती है जहां पानी अधिकांश मात्रा में उपलब्ध हो. पानी बिजली के लिए एक कंडक्टर के रूप में काम करती है इसलिए पानी के स्त्रोत के आस पास वज्रपात होने का खतरा अधिक होता है.

वज्रपात से बचने के लिए क्या करें

  • यदि आप खुले स्थान पर हैं तो जल्द से जल्द किसी पक्के मकान में शरण लें.

  • सफर के दौरान अपने वाहन में ही बने रहें.

  • यदि आप जंगल में हों, तो छोटे एवं घने पेड़ों की शरण में चले जायें.

  • बिजली की सुचालक वस्तुएं एवं धातु (METAL) से बने कृषि यंत्र-डंडा आदि से अपने को दूर कर लें.

  • घायल व्यक्ति को तत्काल नजदीकी प्राथमिक चिकित्सा केंद्र ले जाने की व्यवस्था करें.

  • स्थानीय रेडियो एवं अन्य संचार साधनों से मौसम की जानकारी प्राप्त करते रहें.

खेत खलिहान में काम करने के दौरान बिजली गिरे तो क्या करें

  • यदि आप खेत खलिहान में काम कर रहे हैं, और किसी सुरक्षित स्थान की शरण न ले पाये हों तो सबसे पहले आप जहां है वहीं रहें, हो सके तो पैरों के नीचे सूखी चीजें जैसे-लकड़ी, प्लास्टिक, बोरा या सूखे पत्ते रख लें.

  • दोनो पैरों को आपस में सटा लें, दोनो हाथों को घुटनों पर रख कर अपने सिर को जमीन के तरफ झुका लें.

  • अपने कान बंद करें और सिर को जमीन से न सटने दें. जमीन पर कभी भी न लेटें.

  • आकस्मिक स्थिति में किसी भी मरीज को एम्बुलेंस द्वारा स्वास्थ्य केंद्र पर पहुंचाने के लिए फ्री में राज्य हेल्पलाईन नंबर 108 (टॉल फ्री) पर कॉल करें.

आकाशीय बिजली गिरने पर क्या ना करें

  • आसमान से बिजली गिरने के दौरान इन चीजों को बिल्कुल नहीं करना चाहिये. अगर आप घर पर हैं तो खिड़कियों, दरवाजे, बरामदे के समीप और छत पर न जायें.

  • पानी का नल फ्रिज, टेलीफोन आदि को न छूएं.

  • तालाब और जलाशय के समीप न जायें.

  • बिजली के उपकरण या तार के संपर्क से बचें.

  • बिजली के उपकरणों क बिजली के संपर्क से हटा दें.

  • समूह में न खड़े हों, बल्कि अलग-अल खड़े रहे.

  • पैदल जा रहे हों, तो धातु की डंडी वाले छातों का उपयोग न करें.

  • बाइक, बिजली या टेलीफोन का खंभा, तार की बाड़, मशीन आदि से दूर रहें.

  • ऊंची इमारतें, बिजली एवं टेलीफोन के खंभो के नीचे कभी भी शरण नहीं लें.

वज्रपात के चपेट में आने पर क्या करें

वज्रपात से पीड़ित व्यक्ति को प्राथमिक उपचार देने से उनकी जान बच सकती है. ऐसी स्थिति में पीड़ित और बचावकर्ता दोनों हीं निरंतर बिजली के खतरे से अवगत रहें. यदि आप पेड़ या खुले स्थान पर हैं तो पीड़ित को सुरक्षित स्थान पर ले जाएं. दरअसल, किसी व्यक्ति पर आकाशीय बिजली गिरती है तो इंसान की एनर्जी खत्म हो जाती है, दिल को झटका लगता है. दिल की धड़कन बंद हो जाती है या तो बेहद धीमा हो जाता है, और सांस लेने में दिक्कत होने लगती है. ऐसे में यदि किसी व्यक्ति के दिल की धड़कन बंद होने लगे तो उसे तुरंत CPR (कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन) दें. उसके हथेलियों और तलवे को जोर-जोर से रगड़ें. इसके साथ ही तत्काल प्राथमिक चिकित्सा देने की व्यवस्था करें ताकि जल्द से जल्द इंसान को ठीक किया जा सके. आपातकालीन सेवा को तुरंत 108 पर सूचित करें.

वज्रपात का पूर्वानुमान कैसे लगायें

  • तेज हवा, काले बादल या गड़गड़ाहट की आवाज आकाशीय बिजली / वज्रपात का संकेत देता है. यदि आपको आकाश से गर्जन सुनाई दे रही हो, तो आप वज्रपात वाले स्थल से करीब हैं. यदि आपके गर्दन के पीछे का बाल खड़ा हो गया हो, तो इसका मतलब यह है कि बिजली गिरना तय है और यह आपके स्थल के आस पास ही होगा.

  • इसके साथ ही मौसम विभाग के वेब पोटल www.imdjharkhand.gov.in पर जिलावार चेतावनी प्राप्त की जा सकती है.

  • इसके अलावा झारखंड मौसम विभाग द्वारा आकाशीय बिजली या वज्रपात की संभावना की जानकारी 24 घंटे पहले दे दी जाती है.

  • मौसम विभाग जरूर समय से पहले मैसेज के जरिये अलर्ट करता है. लेकिन ग्रमीण क्षेत्रों के लोगों तक अब भी इसकी जानकारी नहीं पहुंच पाती है.

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वज्रपात किस प्रकार प्रभावित करता है

  • वज्रपात किसी व्यक्ति को सीधे स्ट्राइक कर सकता है. यह स्थिति अत्यंत घातक हो सकता है.

  • जब बिजली किसी वस्तु जैसे कि कार या धातु के खंभे से टकराती है. जिससे पीड़ित व्यक्ति टच कर रहा होता है. ऐसी स्थिति में पीड़ित व्यक्ति घायल हो सकता है.

  • जब बिजली छिटक जाए या किसी वस्तु से टकरा जाती है, तब हादसा का शिकार हो सकता है.

  • जब बिजली पीड़ित के पास जमीन से टकराती है और ग्राउंड करंट जमीन से होकर पीड़ित को स्ट्राइक करता है.

वज्रपात का खतरा किन लोगों पर ज्यादा होता है

वज्रपात या आकाशीय बिजली का खतरा उन लोगों पर ज्यादा होता है, जो लोग खेत खलिहान में काम कर रहे होते हैं. किसी पेड़ के नीचे छुपे होते हैं या फिर नदी तालाब और जलाश्य में मौजूद होते हैं. इसके चपेट में आने से कई बार लोगों को अपनी जान तक गवानी पड़ती है.

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झारखंड में हर साल वज्रपात से इतने लोगों की होती है मौत

आंकड़े के मुताबिक पूरे राज्य में हर साल 350 लोगों की मौत वज्रपात से हो जाती है. जबकि यहां हर साल करीब 4.5 लाख बार थंडरिंग और वज्रपात होता है. इसमें जनजातीय लोगों की संख्या सर्वाधिक 68 फीसदी है. विशेषज्ञों का कहना है कि झारखंड के ग्रामीण इलाकों में जनजातीय समुदाय के लोग सबसे अधिक निवास करते हैं. चूंकि वो प्रकृति के ज्यादा करीब रहते हैं, इसलिए बारिश के मौसम में उन्हें वज्रपात की आशंका सबसे अधिक रहती है.

वज्रपात के शिकार लोगों को मिलता है मुआवजा

  • वज्रपात से एक व्यक्ति की मौत पर मृतक के परिजनों को 4 लाख का मुआवजा मिलता है.

  • घायल व्यक्ति को स्थिति के अनुरूप 4000 से दो लाख रुपये तक का मुआवजा मिलता है.

  • वज्रपात से कच्चा या पक्का घर पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त होने पर ‍95,100 मुआवजा मिलता है.

  • झोपड़ीनुमा मकान के क्षति पर प्रति झोपड़ी 2,100 रुपये मुआवजा मिलता है.

  • दुधारू गाय, भैंस की मौत पर प्रति पशु 30 हजार रुपये मुआवजा देती है.

  • बैल, भैंसा जैसे पशु की मौत पर प्रति पशु 25 हजार रुपये मुआवजा मिलता है.

  • भेड़ व बकरी समेत अन्य पशु की मौत पर प्रति पशु तीन हजार रुपये मुआवजा मिलता है.

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मध्य प्रदेश में गिरती है सबसे ज्यादा बिजली

पूरे देश में हर साल करीब 36 लाख से अधिक बार बिजली गिरती है. इसमें सबसे अधिक बिजली मध्य प्रदेश में गिरती है. यहां करीब 6.5 लाख बार लाइटनिंग होती है. इसके बाद छत्तीसगढ़ का नंबर आता है. झारखंड बिजली गिरने वाले राज्यों में पांचवें स्थान पर है. सबसे कम बिजली दिल्ली में गिरती है. झारखंड में निचले स्तर से बादल से बिजली गिरती है. इस कारण झारखंड में जानमाल को ज्यादा नुकसान पहुंचाता है.

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झारखंड में क्या है इसका प्लान

झारखंड में वज्रपात रोकने के लिए कोई स्टेट एक्शन प्लान नहीं है. मौसम विज्ञान विभाग भविष्यवाणी तो कर रहा है, लेकिन यह पंचायत स्तर या गांव स्तर पर नहीं पहुंच पा रहा है. यहां संस्थानों में करीब 10 साल पहले तड़ित चालक लगे थे. उसकी स्थिति दुरुस्त नहीं है.

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