झारखंड की इन 5 ऐतिहासिक धरोहरों की सैर करने से पहले जान लें ये जरूरी बातें
अगर आप गर्मियों की छुट्टियों में इस साल झारखंड की ऐतिहासिक धरोहर वाले स्थान पर जाना चाहते हैं तो आपको उनकी खासियतों के बारे पहले जान लेना चाहिए. ताकि आप जब जाएं तो उस स्थान का अच्छे लुत्फ उठा सकें.
झारखंड में कई ऐसी ऐतिहासिक धरोहर है, जो राज्य की गौरवशाली दास्तां को बयां करती हैं. इन धरहरों को बचाने के लिए न सिर्फ सरकार प्रयास कर रही है, बल्कि निजी स्तर पर भी कई काम हो रहे हैं. हर साल देश विदेश के लाखों सैलानी इन जगहों पर आते हैं और इतिहास से रू-ब-रू होते हैं. इन जगहों के आस-पास मौजूद प्राकृतिक सौंदर्य भी इन ऐतिहासिक धरोहर की खूबसूरती में चार चांद लगा देता है. अगर आप भी गर्मियों की छुट्टी में इन जगहों पर आना चाहते हैं तो हम आपको आज उन तमाम स्थानों की खासियतों के बारे बतायेंगे जो आप नहीं जानते हैं.
रांची का पहाड़ी मंदिररांची के रेलवे स्टेशन से 7 किमी की दूरी पर स्थित पहाड़ी मंदिर की खूबसूरती देखते ही बनती है. हिल्स के सबसे ऊपरी छोर पर शिव मंदिर है. जहां हर साल श्रावण मास में यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है. स्थानीय लोग इसे फांसी टुंगरी के नाम से भी जानते हैं. कहा जाता है कि ब्रिटिश काल में अंग्रेज इस जगह पर स्वतंत्रता सेनानियों को फांसी पर लटकाते थे. इस पहाड़ की ऊंचाई 2140 फीट है. जहां से आप पूरे शहर को देख सकते हैं. पड़ाड़ी मंदिर के पास एक लेक भी है, जहां पर आप वोटिंग का मजा ले सकते हैं.
देवघर का बाबा बैधनाथ मंदिर भी सबसे खूबसूरत मंदिरों में से एक है. सावन के माहीने में यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है. कहा जाता है कि ये जगह भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. यहां स्थित शिवलिंग को ‘कामना लिंग’ भी कहते हैं. बैद्यनाथ धाम मंदिर की उंचाई जमीन से 72 फीट की है और यह एक पिरामिड के आकार का टावर है.
आंजनधाम मंदिर गुमलाझारखंड के गुमला जिला से 20 किमी पर स्थित है माता अंजनी का मंदिर. कहा जाता है कि भगवान हनुमान का जन्म यहीं हुआ था. यहां तक की शबरी आश्रम भी यहीं है. जहां माता शबरी ने भगवान राम व लक्ष्मण को जूठे बेर खिलाये थी. पंपापुर सरोवर भी यहीं है. जहां भगवान राम अपने भाई लक्ष्मण के साथ रुककर स्नान किये थे. आंजन गांव, जो जंगल व पहाड़ों से घिरा है, इस वजह से लाखों पर्यटक हर साल इस जगह पर पिकनिक के लिए पहुंचते हैं. यहां माता अंजनी का मंदिर एक गुफा में स्थित है. कहा जाता है कि गुफा की लंबाई 1500 फीट से अधिक है. इसी गुफा से माता अंजनी खटवा नदी तक जाती थीं और स्नान कर लौट आती थीं.
गिरिडीह का पारसनाथ मंदिरझारखंड के गिरिडीह में स्थित जैन धर्म के सबसे महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है. कहते हैं कि इसी पहाड़ी पर जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकरों ने निर्वाण प्राप्त किया था. पारसनाथ मंदिर झारखंड की सबसे ऊंची पहाड़ी पर स्थित है, जिसकी ऊंचाई 4,440 फीट है. पहाड़ी की प्राकृतिक छटा ही इसे सबसे खूबसूरत बनाती है. अगर आप मंदिर का दर्शन करने आना चाहते हैं तो आपको 1000 से ज्यादा सीढ़ियां चढ़नी होंगी.
रांची का जगन्नाथपुर मंदिररांची रेलवे स्टेशन से 15 किमी की दूरी पर स्थित जगन्नाथपुर मंदिर झारखंड का सबसे प्रचीन मंदिर है. इसका निर्माण सन् 1691 में नागवंशी राजा ठाकुर एनी नाथ शाहदेव ने किया था. इस मंदिर का निर्माण एक पहाड़ी पर किया गया है, जिसकी ऊंचाई 85-90 मीटर है. मुख्य मंदिर से थोड़ी ही दूरी पर एक और मंदिर है जिसे मौसीबाड़ी के नाम से जाना जाता है. प्रतिवर्ष यहां भव्य रूप से रथ यात्रा निकाली जाती है.