अनगड़ा, जितेन्द्र कुमार : झारखंड में कई ऐसे पर्यटन स्थल हैं, उन्हीं में से एक है जोन्हा फॉल (Johna Fall). यह फॉल झारखंड और बंगाल में बेहद लोकप्रिय है. दरअसल, दो दिनों से हो रही बारिश से मृतप्राय हो चुके जोन्हा फॉल में रौनक फिर से लौट आयी है. झरना पानी से लबालब भरा हुआ है. दूर से ही पानी के गिरने की आवाज सुनायी देने लगी है. जोन्हा जलप्रपात के मनोरम दृश्य देखने के लिए पर्यटकों की भीड़ उमड़ने लगी है. लोगों को उम्मीद है कि फॉल में पानी बढ़ने से इस साल संख्या में पर्यटक पहुंचेंगे.
जोन्हा फॉल, राजधानी रांची से 40 किमी दूर स्थित है. यह रांची-मुरी मार्ग पर पड़ता है. गौतम पहाड़ी पर बने इस जलप्रपात को गौतमधारा भी कहा जाता है. यहां भगवान बुद्ध के दो मंदिर है. 140 फीट की ऊंचाई से गिरता झरना स्पॉट के सुरम्य आकर्षण को बढ़ाता है. जोन्हा स्टेशन और गौतमधारा स्टेशन यहां से काफी नजदीक है. फॉल की उंचाई 140 फुट है. जोन्हा फॅाल सबसे सुरक्षित पर्यटन स्थल माना जाता है. यहां पर्यटन मित्र और ग्रामीण पर्यटकों के लिए गाइड का काम करते है. यहां तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क है. 500 सीढ़ियां उतरने के बाद मनमोहक दृश्य का आनंद पर्यटक उठाते हैं.
परिवार के साथ झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल सहित देश के कई हिस्सों से लोग यहां आते हैं. यहां बौद्ध धर्म के कई चिह्न मौजूद हैं. पहाड़ी पर भगवान बुद्ध का एक प्राचीन मंदिर है. इस मंदिर का निर्माण सैकड़ों साल पूर्व राजा बलदेवदास बिड़ला ने पहाड़ को खोदकर कराया था. यहां मुख्य मार्ग के किनारे भी मंदीर और धर्माशाला का भी निर्माण कराया गया है. ग्रामीण मंदिर में प्रतिदिन पूजा अर्चना होती है. मान्यता है कि भगवान बुद्ध कभी यहां आए थे, उनके नाम पर ही इस फाल का नाम गौतमधारा पड़ा था. गौतमधारा जोन्हा फॉल का ही पुराना नाम है. फॉल के पास भोजन के लिए कैंटिन और कई ढाबे हैं. यह रांची-मुरी मार्ग पर पड़ता है. रेलमार्ग से भी यहां लोग आते हैं.
जोन्हा फॉल में बौद्ध धर्म से जुड़े कई प्राचीन शिला लेख हैं. इन शिला लेखों में बताया गया है कि हिंदू एवं बौद्ध आर्य धर्म की दो शाखाएं हैं. स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि बिड़ला परिवार के द्वारा बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार के दौरान जोन्हा फॉल में मुख्य मार्ग के किनारे मंदिर एवं धर्मशाला का भी निर्माण कराया गया था.
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