जमानतीय वारंट जारी होने के बाद हाईकोर्ट पहुंचे झारखंड के परिवहन सचिव, मांगी माफी, जानें पूरा मामला
अदालत ने परिवहन सचिव को कहा कि निर्धारित समय में हर हाल में एमवीआइ की नियमित नियुक्ति कर ली जाये. इसके बाद अदालत ने अवमानना याचिका को ड्रॉप कर दिया
झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस एस चंद्रशेखर की अदालत ने एमवीआइ की नियमित नियुक्ति के मामले में दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई की. सुनवाई के दाैरान परिवहन सचिव के श्रीनिवासन सशरीर हाजिर हुए. उन्होंने जवाब दायर नहीं होने पर अदालत से माफी मांगी. अदालत को बताया कि 15 मई तक आदेश का अनुपालन करते हुए नियमावली में आवश्यक बदलाव किया जायेगा तथा विज्ञापन निकाल कर मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर (एमवीआइ) की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी कर ली जायेगी.
इस पर अदालत ने कहा कि निर्धारित समय में हर हाल में एमवीआइ की नियमित नियुक्ति कर ली जाये. इसके बाद अदालत ने अवमानना याचिका को ड्रॉप कर दिया. इससे पूर्व रांची के एसएसपी किशोर कौशल, परिवहन सचिव श्रीनिवासन के साथ अदालत में पहुंचे थे. बार-बार निर्देश देने के बावजूद परिवहन सचिव द्वारा जवाब दायर नहीं किये जाने पर अदालत ने उसे गंभीरता से लेते हुए पिछली सुनवाई के दाैरान उनके खिलाफ जमानतीय गिरफ्तारी वारंट जारी किया था. 14 अप्रैल को उन्होंने जमानत ले ली थी. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी सुनील कुमार पासवान ने अवमानना याचिका दायर की थी.
क्या था मामला :
पेयजल व स्वच्छता तथा जल संसाधन विभाग के 15 जूनियर इंजीनियरों को एमवीआइ के पद पर रखा गया है. जल संरक्षण व पेयजल के लिए नियुक्त होनेवाले इंजीनियर एमवीआइ के रूप में वाहनों का फिटनेस जांचते हैं. वाहन मालिकों को सर्टिफिकेट देते हैं, जबकि एमवीआइ के पास मैकेनिकल इंजीनियरिंग डिग्री का होना अनिवार्य है. राज्य में सिर्फ तीन नियमित एमवीआइ मुकेश कुमार, विजय गौतम व शाहनवाज खान कार्यरत हैं.
एक-एक एमवीआइ को कई जिलों में अतिरिक्त प्रभार दिया गया है. राज्य में एमवीआइ के 49 पद स्वीकृत हैं. नियमित सहित प्रतिनियुक्ति वाले 18 एमवीआइ से पूरे राज्य में काम लिया जा रहा है. परिवहन सचिव को व्यक्तिगत रूप से शपथ पत्र दायर कर एमवीआइ की नियुक्ति के लिए टाइम लाइन बताने का निर्देश दिया था, लेकिन सचिव की ओर से जवाब दायर नहीं किया गया.