झारखंड के मात्र 16 फीसदी आदिवासी ही मैट्रिक से आगे की कर पाते हैं पढ़ाई, वार्षिक आमदनी 73 हजार रुपये
Jharkhand Tribal Education Percentage : झारखंड के मात्र 16 फीसदी आदिवासी आबादी ही कर पाते हैं मैट्रिक से आगे की पढ़ाई कर पाते हैं. आदिवासी बहुल गांवों में किये गये अध्ययन में ये बातें सामने आयी है.
Jharkhand Tribal Education, मनोज सिंह, रांची : झारखंड के आदिवासी बहुल गांवों में मात्र 16 फीसदी ही मैट्रिक से आगे की पढ़ाई कर पाते हैं. इसी गांव में रहनेवाले करीब 27.3 फीसदी गैरआदिवासी मैट्रिक से आगे की पढ़ाई कर पाते हैं. झारखंड के करीब 53.1 फीसदी पुरुष और 40.2 फीसदी गैरआदिवासी स्कूल नहीं जाते हैं. स्वयं सेवी संस्था ‘प्रदान’ द्वारा झारखंड सहित कई राज्यों में आदिवासी बहुल गांवों की आजीविका पर किये गये अध्ययन में उक्त आंकड़े सामने आये हैं.
कितनी है आदिवासियों की वार्षिक आबादी
इस अध्ययन के लिए किये गये सर्वे में झारखंड के संताल परगना के गोड्डा, दुमका व साहिबगंज के अतिरिक्त लातेहार, रांची, सरायकेला-खरसांवा, लोहरदगा, गुमला व पूर्वी सिंहभूम के करीब 5000 घरों को शामिल किया गया था. सर्वे की रिपोर्ट शुक्रवार को डॉ रामदयाल मुंडा जनजातीय शोध संस्थान में आयोजित कार्यक्रम में जारी की गयी. रिपोर्ट में बताया गया है कि आदिवासियों की वार्षिक आमदनी करीब 73 हजार रुपये है. वहीं, आदिवासी इलाके में रहने वाले गैरआदिवासियों की वार्षिक आमदनी करीब 70 हजार के आसपास ही है.
कितने फीसदी आदिवासियों को नहीं है अक्षर ज्ञान
सर्वे से दौरान टीम के सदस्यों ने आदिवासी और गैरआदिवासी परिवारों की साक्षरता (लिखना-पढ़ना और हिसाब-किताब) परीक्षा भी ली. इसमें पाया कि 45 फीसदी पुरुषों और 63 फीसदी आदिवासी महिलाओं को अक्षर ज्ञान नहीं है. गैरआदिवासियों में यह प्रतिशत 30 और 52 है. इनमें से करीब 21 फीसदी पुरुष और 14.6 फीसदी महिलाओं को ही हिसाब-किताब का ज्ञान है.
औसतन कितनी एकड़ जमीन है आदिवासियों के पास
झारखंड के आदिवासियों के पास औसतन 2.3 एकड जमीन हैं. वहीं, इनके इलाके में रहनेवाले गैरआदिवासियों के पास करीब 1.3 एकड़ जमीन है. करीब 77 फीसदी मार्जिनल किसान हैं. करीब 11.7 फीसदी पुरुष और 12.5 फीसदी महिला आदिवासियों के पास कोई जमीन नहीं है. जबकि, गैरआदिवासियों में यह स्थिति 30.2 फीसदी पुरुषों और करीब 25 फीसदी महिलाओं में है.
कितने फीसदी आदिवासी और गैरआदिवासी के समक्ष गंभीर भोजन का संकट
अध्ययन में पाया गया कि राज्य के 25 फीसदी आदिवासियों और 19 फीसदी गैरआदिवासियों के समक्ष भोजन का संकट है. इसमें 12 फीसदी आदिवासियों की स्थिति ज्यादा खराब है. उनके तीनों समय खाने का उपाय नहीं है. करीब 16 फीसदी गैरआदिवासी की स्थिति भी ऐसी ही है. करीब 50 फीसदी आदिवासी पुरुष और 53 फीसदी आदिवासी महिलाएं कुपोषण की शिकार हैं.