रांची : झारखंड सरकार के सभी विभागों के कार्य संविदाओं में होने वाले विवादों के निबटारे के लिए राज्य सरकार न्यायाधिकरण का गठन करने जा रही है. इसके गठन हो जाने से कार्य संविदाओं के अधीन संवेदकों तथा संबंधित विभाग या निगम के बीच उत्पन्न विवादों का त्वरित समाधान हो सकेगा. इसके लिए झारखंड लोक कार्य संविदा विवाद माध्यस्थम न्यायाधिकरण विधेयक 2024 बनाया गया है. जल्द ही न्यायाधिकरण के अध्यक्ष सहित सदस्यों का चयन किया जायेगा. इसके बाद न्यायाधिकरण को अस्तित्व में लाकर विवादों के निबटारे पर काम होगा.
राज्य सरकार ने यह महसूस किया था कि राज्य सरकार, सरकारी कंपनियां व स्थानीय निकायों को बड़ी संख्या में विकास एवं अन्य परियोजनाओं के क्रियान्वयन की जरूरत होती है. ऐसे परियोजनाओं के निबटारा का कार्य दूसरे पक्षों को सौंपा जाता है. अक्सर संविदा के पक्षकारों के बीच विवाद भी उत्पन्न होते हैं. इन विवादों का त्वरित समाधान करना आवश्यक होता है. ऐसे में न्यायाधिकरण के गठन का निर्णय लिया गया.
न्यायाधिकरण का कैसा होगा स्वरूप :
न्यायाधिकरण में अध्यक्ष पद पर उच्च न्यायालय के न्यायाधीश या किसी प्रधान जिला न्यायाधीश (पांच वर्षों तक कार्यरत रहे हों) को ही रखा जायेगा. न्यायाधिकरण में सदस्य के रूप में वही होंगे, जो झारखंड सरकार के सचिव स्तर के पदाधिकारी हो अथवा रहे हों. अभियंता प्रमुख हों या रहे हों या न्यूनतम दो वर्षों से उससे अधिक समय तक मुख्य अभियंता हों या रहे हों अथवा अधीक्षण अभियंता के पद पर तीन वर्षों से कार्यरत हों या रहे हों, ऐसे को अध्यक्ष पद के लिए योग्य माना जायेगा. अध्यक्ष व सदस्य का कार्यकाल चार वर्षों या अधिकतम 70 वर्षों की आयु तक जो पहले समाप्त होगी, मान्य होगा.