रांची के पूर्व डीसी समेत कई अफसर फंस सकते हैं मुश्किल में, टॉफी, टी-शर्ट गड़बड़ी मामले में आया नाम
फैसले के तहत सरकार ने लुधियाना की कुडू फैब्रिक्स को 100 रुपये की दर से पांच लाख टी-शर्ट और जमशेदपुर की लल्ला इंटरप्राइजेज को टॉफी आपूर्ति का काम दिया था. सरकार के इस फैसले के आलोक में इसे लागू किया गया.
एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने स्थापना दिवस के अवसर पर टॉफी व टी-शर्ट खरीद में हुई गड़बड़ी मामले में रांची के पूर्व डीसी मनोज कुमार सहित तीन लोगों के खिलाफ जांच की अनुमति सरकार से मांगी है. एसीबी ने जिनके खिलाफ जांच की अनुमति मांगी है उनमें रतन श्रीवास्तव और सौरभ कुमार का नाम शामिल है. वर्ष 2016 में राज्य के स्थापना दिवस के अवसर पर सरकार ने प्रभातफेरी में शामिल होनेवाले पांच लाख बच्चों को टी-शर्ट और टॉफी देने का फैसला किया था.
इसके तहत 6.97 करोड़ की लागत से सामान क्रय करने का निर्णय लिया गया. फैसले के तहत सरकार ने लुधियाना की कुडू फैब्रिक्स को 100 रुपये की दर से पांच लाख टी-शर्ट और जमशेदपुर की लल्ला इंटरप्राइजेज को टॉफी आपूर्ति का काम दिया था. सरकार के इस फैसले के आलोक में इसे लागू किया गया. बाद में टी-शर्ट और टॉफी खरीद में गड़बड़ी का आरोप लगा. इसके बाद सरकार ने इस मामले में निगरानी जांच (एसीबी) का आदेश दिया.
इसके बाद निगरानी ने पीइ दर्ज कर मामले की प्रारंभिक जांच शुरू की. इसमें रांची के तत्कालीन डीसी मनोज कुमार, जेइपीसी के तत्कालीन नोडल अफसर रतन श्रीवास्तव और सौरभ कुमार की संलिप्तता पायी गयी. एसीबी ने प्रारंभिक जांच में पाया कि रतन श्रीवास्तव ने कुल 1000 बैग टॉफी रिसिव किया. हर बैग में टॉफी के 500-500 पैकेट थे.
रतन श्रीवास्तव ने 13 नवंबर को टॉफी के 100 बैग और 14 नवंबर को 900 बैग टॉफी रिसिव किया. प्रारंभिक जांच में इस बात की भी जानकारी मिली कि बहुत सारे टी-शर्ट लुधियाना से रांची के लिए भेजे जाने से पहले ही यहां वितरित दिखाया गया. सामग्री की आपूर्ति के पहले किसी ने गुणवत्ता की जांच नहीं की. इस स्थिति को देखते हुए एसीबी ने संशोधित पीसी एक्ट की धारा 17(A)(1)(b) के तहत तत्कालीन उपायुक्त सहित तीनों अधिकारियों के खिलाफ जांच करने की अनुमति सरकार से मांगी है.