रांची : सुरंग से बाहर निकले विश्वजीत ने प्रभात खबर के प्रतिनिधि को मोबाइल से अपने 17 दिनों के संघर्ष की विस्तृत जानकारी दी. दोनों बताया कि 12 नवंबर की सुबह 5:30 बजे टनल का कुछ भाग गिरा. टनल के उस हिस्से के गिरने के बाद वो लोग वहां से भाग कर टनल के लास्ट फेस पर चले गये. उस इलाके में टनल पूरी तरह से कंप्लीट था. इसी बीच उन लोगों ने देखा कि टनल का जो हिस्सा गिरा था, वहां पर पानी के पाइप से टनल के अंदर ही पानी गिरने लगा था.
विश्वजीत के अनुसार उसी पाइप से टनल के अंदर के पानी को बाहर निकाला जाता था. यह देख उन लोगों ने सर्वसम्मति से तत्काल निर्णय लिया और पानी के उस पाइप को काट कर पानी को बाहर निकाल दिया. विश्वजीत के अनुसार अगर उस पाइप को सब नहीं काटते, तो पानी अंदर भरने से बड़ी घटना हो सकती थी, पर पाइप के काट देने से वही पाइप बाद में उन सबके लिए जीवनदायिनी बन गयी. टनल धंसने की सूचना पर वहां पहुंचे कंपनी के लोगों ने पानी के उसी पाइप के जरिये अंदर ऑक्सीजन भेजना शुरू कर दिया. बाद में घटना की रात ही लगभग नौ बजे उसी पाइप के जरिये मुड़ही व ड्राई फ्रूट भेजा गया.
सुरंग में फंसे सभी मजदूर एक दूसरे की हिम्मत बढ़ाते थे : विश्वजीत व सुबोध ने बताया कि टनल में उनलोगों के पास मोबाइल था. उसी के टाइम टेबल से रात और सुबह होने की जानकारी लेते रहे. शाम पांच बजे मोबाइल को स्विच ऑफ कर देते थे और फिर सुबह होने पर चालू कर के समय देख पुनः बंद कर देते थे. इसी तरीके से सुबह, शाम या रात का समय तय करते थे. सभी मजदूरों को सकुशल बाहर निकलने की उम्मीद थी. सब एक दूसरे की हिम्मत बढ़ाते थे. इसी बीच पाइप के जरिये रेस्क्यू टीम व अधिकारियों ने बात की परिवार वालों से बात करवायी, तो हौसला बढ़ता गया. जब छह इंच के पाइप से खाना, ड्राई फ्रूट, सेव, मोबाइल चार्जर आदि चीजें भेजी गयीं, तो और उम्मीद जगी.
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सरकार ने सभी मजदूरों को दिया एक-एक लाख का चेक, मजदूरों में लौटी खुशी : विश्वजीत ने बताया कि टनल से बाहर निकलने के बाद हमलोग सोचते थे कि सरकार हमारे परिवार की क्या मदद करेगी, पर जब बताया गया कि उत्तराखंड सरकार ने सभी मजदूरों को एक-एक लाख रुपये देने की घोषणा की है, तो काफी खुशी मिली. बुधवार की सुबह सभी मजदूरों को सहायता स्वरूप एक-एक लाख रुपये का चेक दिया गया.
विश्वजीत ने बताया कि सभी मजदूर सकुशल हैं और सभी का इलाज चिनाली सोड अस्पताल में किया जा रहा है. यह टनल के नाम से संचालित है. उन्होंने प्रधानमंत्री व झारखंड सरकार से मांग की कि टनल में काम करने के लिए उनलोगों को नही भेजे. झारखंड में ही उनलोगों को रोजगार मिले.
विश्वजीत व सुबोध के अनुसार 10 दिनों तक तास, लूडो व चोर-सिपाही का खेल खेलकर उन लोगों ने समय बिताया. सुरंग के सभी 41 मजदूर एक परिवार व भाई की तरह रहे. कागज के टुकड़ों पर कलम से तास के पत्ते और चोर सिपाही बनाया और उससे सभी लोग खेलते रहे. जब छह इंच के पाइप से मोबाइल का चार्जर भेजा गया, तो मोबाइल को चार्ज कर मोबाइल देखकर समय बिताया.
बिश्वजीत ने बताया कि टनल बनने में जो सामान उपयोग किया जाता है, उसी में से जियो को गद्दा, जीइओ वाटर फ़्रूप को बिछावन बनाकर वो लोग सोते और बैठते रहे. उसने बताया कि कहा कि टनल के अंदर के अंदर केवल सुबह को हल्की ठंड लगती थी उस समय जियो वाटर प्रूफ को ओढ़ते थे.