22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

झारखंड के मजदूर क्यों करते हैं पलायन? आखिर क्या होती है मजबूरी

खीराबेड़ा गांव में आजीविका का कोई स्त्रोत नहीं है. ये गांव रांची-हजारीबाग एक्सप्रेसवे से एक किलोमीटर दूर है. गांव की आबादी की तकरीबन 1000 है. जिनमें से ज्यादातर आदिवासी हैं.

रांची : उत्तराखंड के सुरंग से सभी मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है. इनमें से 15 मजदूर झारखंड के थे. इन मजदूरों में अनिल बेदिया, सुखराम बेदिया और राजेंद्र बेदिया भी थे. जो लगातार 16 दिनों तक जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे थे. ये ओरमांझी के खीराबेड़ा गांव के रहने वाले हैं. इस घटना के बाद लोगों के मन में सवाल ये उठ रहा है कि इनकी ऐसी क्या मजबूरी थी जिनके वजह से इन लोगों को पलायन करना पड़ा.

इन सारी वजहों को जब हमने तलाशने की कोशिश की तो पता चला ”खीराबेड़ा गांव में आजीविका का कोई स्त्रोत नहीं है”. ये गांव रांची-हजारीबाग एक्सप्रेसवे से एक किलोमीटर दूर है. गांव की आबादी तकरीबन 1000 है. इनमें से ज्यादातर आदिवासी हैं. गांव में खेती बारी की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. यही कारण है कि लोगों को उत्तराखंड, सिक्किम, कर्नाटक, महाराष्ट्र जैसे राज्य काम की तलाश में जाना पड़ता है.

Also Read: उत्तराखंड टनल से सुरक्षित बाहर आया झारखंड का ये मजदूर, लेकिन राह देखते पिता ने तोड़ा दम

अजीविका का दूसरा साधन अवैध खनन है. जो जोखिम भरा और गैर कानूनी है. अनिल बेदिया के चाचा मीडिया से बातचीत में कहते हैं कि हमलोग खुश हैं कि सभी मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है. लेकिन जब तक स्थानीय स्तर पर रोजगार की व्यवस्था नहीं हो जाएगी गांव के युवा इसी तरह काम की तलाश में बाहर जाने के लिए मजबूर होते रहेंगे. उन्होंने यह भी कहा कि उत्तराखंड में अधिकतर वैसे लोग ही काम करने जाते हैं, जिनके परिवार की स्थिति अच्छी नहीं रहती है. खेती के लिए जमीन रहती भी है तो बमुश्किल 1 से 2 एकड़. इसके अलावा गांव में पानी की भी समस्या है जिस वजह से खेती करना मुश्किल है.

वहीं, गांव के ही त्रिवेणी बेदिया ने कहा कि अगर हमलोग मनरेगा के तहत मजदूरी भी करते हैं तो हमें प्रतिदिन 300 रुपये मिलते हैं. वहीं सुरंगों में काम करने के एवज में हमें 600 रुपये का भुगतान किया जाता है. जबकि राजेंद्र बेदिया की मां ने अपने बेटे की सकुशल वापसी पर प्रसन्नता जतायी है. उन्होंने कहा कि मेरे इकलौते चिराग को भगवान ने दोबारा लौटाया है. उसे सबकुछ मिल गया है.

अनिल बेदिया की मां संजू देवी ने कहा कि जैसे ही उन्हें पता लगा कि उनका बेटा सुरंग में फंसा हुआ था तब से उनकी रातों की नींद हराम हो गयी थी. अब बेटे का चेहरा देख वह ठीक से खाना खा पायेगी. वहीं, घर के अन्य सदस्यों ने कहा कि इतने दिनों की बेचैनी के बाद आज मन शांत हुआ है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें