Jharkhand Vidhan Sabha Chunav: चतरा का यह गांव बरसात के दिनों में बन जाता है टापू, कई मूलभूत सुविधाओं का अभाव

Jharkhand Vidhan Sabha Chunav: चतरा के बुटकुईया गांव नदियों और पहाड़ों से घिरा हुआ है. यहां आज भी कई कई बुनयादी सुविधाओं का अभाव है. बरसात के दिनों तो यह गांव टापू बन जाता है.

By Sameer Oraon | October 22, 2024 12:36 PM
an image

Jharkhand Vidhan Sabha Chunav, रांची : चतरा विधानसभा क्षेत्र के कुंदा प्रखंड मुख्यालय से 12 किमी की दूरी पर सिकीद पंचायत का बुटकुईया गांव स्थित है. यहां बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. गांव में रहनेवाले लोगों की कुल संख्या 607 है, जिनमें 296 पुरुष और 311 महिलाएं हैं. यह गांव जंगल और पहाड़ों से चारों ओर घिरा हुआ हैं. गांव दोमुहाने उर्फ अंबा नदी के किनारे बसा हुआ है. गांव में आने-जाने के लिए सड़क नहीं है. पगडंडियों के सहारे लोग आवागमन करते हैं. नदी पर पुल नहीं बनाये जाने से बरसात के दिनों में गांव टापू बन जाता हैं. कई दिनों तक लोग गांवों में कैद होकर रह जाते हैं. बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं. कभी-कभी बच्चे जान जोखिम में डाल कर विद्यालय आते और जाते हैं. बीमार पड़ने पर इलाज के लिए प्रखंड मुख्यालय के लिए नदी में पानी कम होने का इंतजार करते हैं.

सिंचाई का साधन नहीं, पलायन कर रहे मजदूर :

वहीं गांव में सिंचाई का साधन नहीं है. लोग रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में जाकर मजदूरी करते हैं. गांव में बिजली पहुंची है. स्थानीय ग्रामीणों ने इस बार विधानसभा चुनाव में बुनियादी सुविधाओं को ही चुनावी मुद्दा बनाने का मन बनाया हैं. ग्रामीणों ने बताया कि हर बार चुनाव में गांव में सुविधा बहाल करने का आश्वासन मिलता है, लेकिन आज तक समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं. यहां के कुछ लोग दस किमी दूरी तय कर सरजामातू व तीन किमी दूरी तक सिकिदाग जाकर मतदान करते हैं.

झारखंड विधानसभा से जुड़ी खबरें यहां पढ़ें

Also Read: Jharkhand Election 2024: मांडू से 5 बार के विधायक टेकलाल महतो साइकिल में बैटरी और चोंगा बांध करते थे प्रचार

इलाज में देरी होने पर ग्रामीण की चली गयी जान

15 सितंबर 2022 को गांव के ही बंगाली गंझू को सांप ने डंस लिया था. जिसे इलाज के लिए परिजन मुख्यालय लेकर जा रहे थे. गांव से कुछ दूरी पर स्थित अंबा नदी का जलस्तर तेज होने से परिजन घंटों बैठकर नदी का जलस्तर कम होने का इंतजार करने लगे. ऐसे में इलाज में देरी होने के कारण बंगाली की मौत हो गया. दूसरी घटना में तीन नवंबर 2023 को गांव का कैलू गंझू दीपावली पर्व की तैयारी को लेकर घर में साफ-सफाई के दौरान बिजली के तार की चपेट में आने से बेहोश हो गया. बाद में सदर अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी. पोस्टमार्टम के बाद कैलू का शव एंबुलेंस से गांव लाया जा रहा था, लेकिन सड़क के अभाव में गांव तक एंबुलेंस नहीं पहुंची. इसके बाद उसके परिजनों ने ग्रामीणों को सूचित कर उन्हें मुख्य सड़क तक बुलाया और करीब चार किमी दूर पैदल चलकर शव को चारपाई पर लेकर गांव पहुंचा कर अंतिम संस्कार किया गया.

Also Read: झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले कोडरमा में मिले नोटों के बंडल-अफीम, रुपए गिनने की मशीन मंगाई गई

रबी फसल पर निर्भर रहते हैं ग्रामीण

यह गांव नदी के एक छोर पर पथरीली भूमि पर बसा हुआ है. ये मौसम आधारित रबी फसल की खेती करते हैं. मक्का, तिल, अरहर, कुर्थी और सरसों समेत अन्य रबी फसल खेतों में बोने के बाद गांव के अधिकांश पुरुष बाहर पलायन कर जाते हैं. गांव की महिलाएं जंगल से सखुआ का पत्ता लाकर दोना व पत्तल बनाकर, तो कई महिलाएं जंगल की जड़ी-बूटी को साप्ताहिक बाजार में बेच कर जीविकोपार्जन करती हैं. दोना- पत्तल बनाकर उसे बाजार में ले जाकर बेचती हैं और अपना जीविकोपार्जन करती हैं.

झारखंड विधानसभा से जुड़ी खबरें यहां पढ़ें

Exit mobile version