25.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

झारखंड गठन के साथ ही विधानसभा में अवैध नियुक्तियों की रखी गयी बुनियाद, 500 से ज्यादा पैरवी पुत्र बहाल

झारखंड विधानसभा में नियम-कानून ताक पर रख कर 2002 से ही बहाली की प्रक्रिया शुरू की गयी. राज्य के पहले स्पीकर इंदर सिंह नामधारी के कार्यकाल में 274 लोग बहाल किये गये.

रांची : झारखंड गठन के साथ ही झारखंड विधानसभा (Jharkhand Vidhan sabha) में अवैध नियुक्तियों की बुनियाद रख दी गयी. लोकलाज ताक पर रख दिया गया. लोकतंत्र की सर्वोच्च संस्था में ही गलत काम को अंजाम दिया गया. राज्य की नियति तय करनेवाली संस्था ने प्रतिभा के साथ खिलवाड़ किया. पिछले 22 वर्षों में अवैध नियुक्ति की जांच रफ्ता-रफ्ता आगे बढ़ी. विधानसभा कमेटी ने इसकी जांच की. पूर्व न्यायाधीश स्व लोकनाथ प्रसाद और पूर्व न्यायाधीश विक्रमादित्य आयोग ने जांच की. विक्रमादित्य आयोग ने तत्कालीन गवर्नर व वर्तमान में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को जांच रिपोर्ट भेजी. लेकिन तत्कालीन राज्यपाल की अनुशंसा ठंडे बस्ते में रह गयी.

2002 से ही बहाली की प्रक्रिया शुरू की गयी :

विधानसभा में नियम-कानून ताक पर रख कर 2002 से ही बहाली की प्रक्रिया शुरू की गयी. राज्य के पहले स्पीकर इंदर सिंह नामधारी के कार्यकाल में 274 लोग बहाल किये गये. श्री नामधारी के कार्यकाल में हुई नियुक्तियों में पलामू प्रमंडल से ही 60 प्रतिशत से ज्यादा लोगों को बहाल कर दिया गया. राज्यपाल ने अनुसेवक के 75 पद स्वीकृत किये. बहाली 143 लोगों की हो गयी. श्री नामधारी के कार्यकाल में 143 अनुसेवक, 24 प्रतिवेदक, पांच वरीय प्रतिवेदक, 12 रुटीन कलर्क, आठ टंकक सहित कई पदों पर बहाली हुई थी. फिर अवैध नियुक्तियों के सिलसिले को स्पीकर आलमगीर आलम ने आगे बढ़ाया.

आलमगीर आलम के कार्यकाल में 324 की हुई बहाली

आलमगीर आलम वर्ष 2006 से 2009 तक स्पीकर रहे. इनके कार्यकाल में विभिन्न पदों पर 324 बहाली हुई. नये-नये पद सृजित किये गये. इनके कार्यकाल में 150 सहायक नियुक्त हुए. श्री आलमगीर आलम के कार्यकाल में नियुक्तियों में पैसे के लेन-देन का मामला भी सामने आया. विधानसभा के तत्कालीन सचिव से लेकर कई अधिकारियों-कर्मियों के नाम सामने आये. श्री आलम के कार्यकाल में 150 सहायक सहित 25 चालक, 14 माली, 33 सफाईकर्मी, 16 टंकक, 10 सुरक्षा प्रहरी, दो उर्दू सहायक, एक उर्दू प्रशाखा पदाधिकारी और उर्दू अनुवादक सहित कई पदों पर बहाली हुई थी. वहीं स्पीकर शशांक शेखर भोक्ता ने पैरवी पुत्रों को नियमों को ताक पर रखकर प्रोन्नति दी.

सरयू ने सीडी उपलब्ध करायी, विधानसभा की जांच कमेटी बनी :

आलमगीर आलम के कार्यकाल में हुई अवैध नियुक्तियों पर पैसे के लेन-देन का खुलासा एक सीडी से किया गया. तब भाजपा विधायक रहे सरयू राय ने यह सीडी विधानसभा को उपलब्ध करायी. आलमगीर आलम पर उंगलियां उठी. विधानसभा में बड़े पैमाने पर अवैध नियुक्ति को लेकर सनसनी फैल गयी. विधानसभा ने इसके लिए जांच कमेटी बनायी. कमेटी में तत्कालीन विधायक राधाकृष्ण किशोर को संयोजक बनाया गया. श्री राय ने यह सीडी विधानसभा की जांच कमेटी और बाद में जस्टिस लोकनाथ प्रसाद और जस्टिस विक्रमादित्य जांच आयोग को भी सौंपी थी. लेकिन जांच आयोग इसकी फॉरेंसिक जांच नहीं करा पाया.

एक ही दिन में डाक से मिल गये नियुक्ति पत्र

इंदर सिंह नामधारी के कार्यकाल में हुई नियुक्तियों का पत्र सफल विद्यार्थियों को डाक से भेजा गया. एक ही दिन में डाक पहुंच भी गया. यह मामला विक्रमादित्य आयोग ने पकड़ा था.

एक दिन में 600 का साक्षात्कार, नाम पहले से तय थे

आयोग द्वारा इंदर सिंह नामधारी और आलमगीर आलम के कार्यकाल में हुई नियुक्तियों की जांच के क्रम में कई रोचक पहलू सामने आये थे. एक ही बोर्ड ने एक ही दिन में 200 से 660 लोगों का साक्षात्कार पूरा कर लिया. साक्षात्कार बोर्ड में शामिल लोग व्यस्त थे, तो टंकक ने ही इंटरव्यू ले लिया. तत्कालीन राज्यपाल ने इसे लेकर सवाल उठाये थे.

Also Read: झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले झामुमो ने निर्वाचन आयोग से की बड़ी मांग, BJP नेताओं पर लगाया बड़ा आरोप

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें