30.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

झारखंड के गांव में रहने वाली महिलाओं की बदल रही जिंदगी, कभी फंसी रहती थी रसोई में अब मैदान में मार रही गोल

यह सब परिवर्तन सखी मंडलों के कारण दिख रहा है. इस बदलाव में झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (जेएसएलपीएस) का सहयोग मिल रहा है. ग्रामीण महिलाएं पंचायत और प्रखंड से लेकर अब जिला स्तर पर भी खेलने लगी हैं.

रांची : जमाना बदल रहा है और इसका प्रभाव अब झारखंड के ग्रामीण इलाकों में भी देखने को मिल रहा है. ग्रामीण महिलाएं बदल रही हैं. पहले जहां गांवों की महिलाएं अपने घरों से बाहर नहीं निकलती थीं, रसोई में ही फंसी रहती थीं, वह आज गांवों के मैदान में जर्सी पहने दौड़ती नजर आ रही हैं. कोई हाथ में हॉकी स्टिक लिये गोल मारने के लिए दौड़ लगा रही हैं, कोई फुटबॉल को किक मार कर गोल दाग रही हैं. ऐसा राज्य के करीब सारे जिलों में देखने को मिल रहा है.

यह सब परिवर्तन सखी मंडलों के कारण दिख रहा है. इस बदलाव में झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (जेएसएलपीएस) का सहयोग मिल रहा है. ग्रामीण महिलाएं पंचायत और प्रखंड से लेकर अब जिला स्तर पर भी खेलने लगी हैं. वह फुटबॉल, हॉकी, कबड्डी और खोखो खेल रही हैं. इसके लिए पंचायत ही नहीं, बल्कि प्रखंड और जिला स्तर पर भी टूर्नामेंट आयोजित हो रहे हैं. महिलाएं टूर्नामेंट जीत रही हैं और पुरस्कार हासिल कर रही हैं. रांची, खूंटी, गुमला, सिमडेगा, लोहरदगा आदि जिले में हॉकी और फुटबॉल का बोलबाला है.

62 साल की दशमी ने दिखाया जज्बा

खूंटी और गुमला में 62 वर्ष की महिलाएं हॉकी और फुटबॉल खेल रही हैं. खूंटी के तिरला की रहनेवाली 62 वर्षीया दशमी तिरु ने फुटबॉल में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया और ट्रॉफी भी जीती. उन्हें देखकर दूसरी वृद्ध महिलाएं भी सामने आयी हैं.

कोच सिखा रहे हैं खेलना 

महिलाओं को अलग-अलग खेल के लिए कोच की मदद लेनी पड़ रही है. पुरुष कोच उन्हें हॉकी और फुटबॉल सहित अन्य खेल के तरीके सीखा रहे हैं. उनकी मदद से वह व्यवस्थित तरीके से खेल रही हैं.

पुरुष और बच्चे ताली बजाते आते हैं नजर

जेएसएलपीएस के अफसरों ने बताया कि गांवों की महिलाओं का अचानक घर-रसोई से निकल कर मैदान में आना हैरानी वाली बात थी. शुरू में सबको अटपटा लगा, पर महिलाएं एक-दूसरे को प्रेरित करते हुए आगे बढ़ीं. घर के सदस्यों ने भी उन्हें नहीं रोका. आज परिणाम है कि सब खेल रही हैं. 

सखी मंडल के साथ दूसरी महिलाएं भी जुड़ रहीं

सभी जिलों में महिलाओं के खेल को लेकर अभियान चलाया जा रहा है. सखी मंडल की महिलाएं इसमें जुड़ी हुई हैं. वहीं वह अन्य महिलाओं को भी खेल से जोड़ रही हैं. इस तरह पूरे गांव-पंचायत में महिलाओं का खेल अभियान बनता जा रहा है. पहले वह केवल आजीविका से जुड़ीं थीं. अब आजीविका के साथ ही खेल की दुनिया में आ रही हैं. 

नौ लाख से अधिक महिलाएं जुड़ीं खेल से : 

जेएसएलपीएस से मिले डाटा के मुताबिक, राज्य के 24 जिलों को मिला कर 937764 महिलाएं खेल से जुड़ी हैं. वह अलग-अलग खेलों से जुड़ कर आगे बढ़ रही हैं. इसमें सखी मंडल से जुड़ी महिलाओं के अलावा दूसरी भी हैं. धीरे-धीरे उनकी संख्या बढ़ रही हैं. 

महिलाओं ने कहा-बढ़ा है आत्मविश्वास

खूंटी की 62 वर्षीय दशमी तिरु डायन कुप्रथा से पीड़ित थीं. इससे उबर कर अब सामने खेल मैदान में आयी हैं. कहती हैं कि साहस में वृद्धि हुई है. वहीं कटकमसांडी की भानु देवी कहती हैं कि बचपन की याद तरोताजा हो रही है. विपरीत स्थितियों में लड़ने की शक्ति मिल रही है. हजारीबाग के दारु की खुशबू कुमारी कहती हैं कि जेंडर कैंपेन से प्रतिभा दिखाने का मौका मिला है. आत्म विश्वास बढ़ा है. 

जेंडर आधारित हिंसा को रोकना मकसद 

महिलाओं के बीच खेल को अभियान बनाने के पीछे मकसद जेंडर आधारित हिंसा को रोकना है. इससे महिलाओं में सशक्त होने का भाव सामने आ रहा है. वह स्वस्थ हो रही हैं. खेल से उनमें एकजुटता आ रही है. उनकी सोच में भी बदलाव आ रहा है.


Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें