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झारखंड के मतदाताओं के लिए इस वर्ष क्यों होने जा रहा है खास, इन दो लोगों को राज्यपाल आज करेंगे सम्मानित

दोपहर 12 बजे से आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन होंगे. इस दौरान रांची विधानसभा क्षेत्र के दो वरिष्ठ मतदाताओं को सम्मानित किया जायेगा.

लोकतंत्र में संविधान ने देश के प्रत्येक नागरिक को कई अधिकार दिये हैं. इसमें सबसे बड़ा अधिकार है मतदान. यह किसी व्यक्ति का निजी ”मत” है. राष्ट्रीय मतदाता दिवस व्यक्ति विशेष को उनके इन्हीं लाेकतांत्रिक अधिकार को याद दिलाने के लिए मनाया जाता है. वर्ष 2024 मतदाताओं के लिए खास होने जा रहा है. इस वर्ष मतदाताओं को पांच वर्ष बाद लोकसभा चुनाव में अपने मत का इस्तेमाल करने का मौका मिलेगा. इसी वर्ष झारखंड विधानसभा चुनाव भी है. और नगर निगम चुनाव होंगे. ऐसे में लोकसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने एक जनवरी को रांची लोकसभा क्षेत्र में शामिल सात विधानसभा क्षेत्र के कुल मतदाताओं की सूची जारी कर दी है.

आज राज्यपाल दो वरिष्ठ मतदाताओं को करेंगे सम्मानित

भारत निर्वाचन आयोग गुरुवार को राष्ट्रीय मतदाता दिवस मना रहा है. राज्य स्तरीय आयोजन रांची विश्वविद्यालय के आर्यभट्ट सभागार में होगा. दोपहर 12 बजे से आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन होंगे. इस दौरान रांची विधानसभा क्षेत्र के दो वरिष्ठ मतदाताओं को सम्मानित किया जायेगा. इन्हीं वरिष्ठ मतदाताओं ने अपने पहले मतदान को याद किया.

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जब मैं बूथ पर पहुंची, तो मेरे नाम का वोट पड़ गया था

टिकी टोली, कांके की सावित्री सिंह (76 वर्षीय) का कहना है कि अब व्यवस्था ठीक हो गयी है. इवीएम आने के बाद गड़बड़ी कम हो गयी है. पहले की स्थिति काफी विकट थी. अपना अनुभव साझा करते हुए सावित्री सिंह कहती हैं : पहले मतपत्र के माध्यम से वोट डाले जाते थे. पहचान पत्र की भी अनिवार्यता नहीं थी. तब यह संभव था कि किसी का वोट कोई डाल देता था. एक बार मैं भी मतदान के लिए पूरे उत्साह के साथ घर से निकली. लेकिन जब मतदान केंद्र पहुंची, तब पता चला कि मेरे नाम पर किसी ने वोट डाल दिया है. तब निराश होकर मतदान केंद्र से वापस लौटना पड़ा था. काफी दिनों तक मन में इसका मलाल रहा. एक वोट मिस करना लगता है कि कुछ खो गया या मेरा हक किसी ने छीन लिया. इसलिए अब जब भी चुनाव होता है, तो सुबह-सुबह ही मतदान केंद्र पर जाकर कतार में लग जाती हूं. ताकि, मेरे नाम का वोट कोई दूसरा न डाल सके.

पहली बार साइकिल से चार किमी दूर गया था वोट देने

टिकली टोली, कांके के मोतीलाल साहू की उम्र 70 वर्ष है. मोतीलाल 1970 से अपने मताधिकार का प्रयोग कर रहे हैं. पहली बार वोट का अनुभव साझा करते हुए कहा : साइकिल से चार किमी की दूरी तय कर मतदान देने गया था. यह चार किमी का सफर मुश्किलों भरा था. मतदान केंद्र खोजने में काफी मशक्कत करनी पड़ी थी. आज की तरह इतनी आसानी से मतदाता सूची में नाम और बूथ की जानकारी भी नहीं मिलती थी. 1970 के चुनाव में कमजोर लोगों का वोट प्रभाव वाले लोग डाल देते थे. शिकायत करने के बाद भी वाजिब कार्रवाई नहीं होती थी. आज तो शिकायत व जानकारी लेने के लिए कई हेल्पलाइन नंबर और मोबाइल ऐप हो गये हैं. मतदान भी मशीन से हो रहा है. पहली बार जब वोट देने गया था, उस वक्त तीन बूथ के बाहर घंटों समय बिताने के बाद भी अपना नाम सूची में नहीं खोज पाया था. चौथे बूथ में नाम देखा, तो खुशी से उछल पड़ा.

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