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Jharkhand Weather: झारखंड में कल से यानी सोमवार (15 अप्रैल) से पछुआ हवा चलेगी. मौसम का रुख बदलेगा. पछुआ हवाओं की वजह से गर्मी बढ़ेगी. कृषि वैज्ञानिकों ने इस दौरान किसानों को कई तरह की सावधानी बरतने की सलाह दी है.
सोमवार से बढ़ने लगेगा झारखंड का अधिकतम तापमान
रांची स्थित बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) के मौसम वैज्ञानिक अनुराग सनड्या ने प्रभात खबर (prabhatkhabar.com) को बताया कि झारखंड के मौसम की बात करें, तो सोमवार से अधिकतम तापमान में वृद्धि होने लगेगी. आर्द्रता में कमी आएगी. बढ़ती गर्मी में किसानों, खासकर सब्जी उगाने वाले किसनों को कुछ विशेष सावधानी बरतना चाहिए. सब्जियों की बेहतर फसल के लिए उन्हें अभी से कुछ कदम उठाने की जरूरत है.
कद्दू की सब्जियों में लाल भृंग कीट का प्रकोप
मौसम वैज्ञानिक सनड्या ने कहा कि कद्दू वर्ग की सब्जियों में लाल भृंग कीट का प्रकोप देखा जा रहा है. सब्जियों को इस कीट से बचाने के लिए खेत में राख का छिड़काव शुरू कर दें. अगर राख की व्यवस्था नहीं है, तो नीम आधारित कीटनाशी का इस्तेमाल करें. प्रकोप ज्यादा दिख रहा हो, तो लैंब्डासाईहालोथ्रिन का इस्तेमाल करें.
लाल भृंग कीट के प्रकोप से सब्जियों को ऐसे बचाएं
उन्होंने बताया कि एक लीटर पानी में 1 मिलीलीटर के हिसाब से लैंब्डासाईहालोथ्रिन को मिलाएं और इस घोल को पौधों की जड़ों को भिंगो दें. इतना ही नहीं, सब्जियों के बीज जहां डाले थे, उन जगहों को पुआल से ढंक दें, ताकि पौधों को अत्यधिक गर्मी से बचाया जा सके. इससे नमी को भी संरक्षित किया जा सकता है.
जड़ सड़न का भी कद्दू की सब्जियों में देखा जा रहा है प्रकोप
कद्दू वर्ग की सब्जी की फसलों में जड़ सड़न का भी प्रकोप देखा जा रहा है. इससे बचाव के लिए भई नेटिवों (टेबुकोनजोल 50 फीसदी + ट्राइऑक्सिस्ट्रोबीन 25 फीसदी डब्ल्यू जी) प्रति 2 लीटर पानी में एक ग्राम मिलाकर छिड़काव करें.
टमाटर व बैंगन को फल छेदक कीट से बचाने के लिए करें ये उपाय
मौसम वैज्ञानिक के मुताबिक, टमाटर और बैंगन की फसलों में फल छेदक कीट लग गए हों, तो उससे बचाव के लिए किसानों को खेत में पक्षी बसेरा लगाना चाहिए. अगर फसल नष्ट हो गया है, तो उसे एकत्र करके जमीन में गाड़ दें. फल छेदक कीट की निगरानी के लिए दवा का भी छिड़काव करें. इसके लिए 2-3 प्रपंश प्रति एकड़ की दर से फिरोमोन प्रपंश लगाएं.
कीट की संख्या अधिक हो, तो करें इस दवा का छिड़काव
सनड्या ने बताया कि अगर कीट की संख्या अधिक हो गई है, तो पानी में प्रति लीटर 1 ग्राम बीटी मिलाकर खेतों में उसका छिड़काव करें. इसके बाद भी अगर फल छेदक का प्रकोप कम न हो, तो 15 दिन के बाद प्रति 4 लीटर पानी में 48 ईसी@1 मिली स्पिनोसैड कीटनाशी का छिड़काव करें.
बिना रसायन के फल छेदक से ऐसे करें सब्जियों का बचाव
अगर आप सब्जी की फसल में रासायनिक दवाओं का छिड़काव नहीं करना चाहते हैं, तो फल छेदक से बचाव के लिए फेरोमोन ट्रैप का इस्तेमाल कर सकते हैं. एक एकड़ में 4-5 फेरोमोन ट्रैप लगाने की मौसम वैज्ञानिकों ने सलाह दी है.
फल सड़न एवं पत्ती धब्बा रोग आक्रमण से ऐसे बचाएं फसलों को
मौसम वैज्ञानिकों ने कहा है कि अगर फसल में फल सड़न एवं पत्ती का धब्बा रोग का आक्रमण हो रहा हो, तो ग्रसित पत्तियों को तोड़ लें और फफूंदीनाशी दवा मैनकोजेब का छिड़काव करें. प्रति लीटर पानी में 2 ग्राम मैनकोजेब का छिड़काव कर सकते हैं.