नहीं हुई उम्मीद के अनुरूप बारिश, झारखंड के डैमों में पानी आधे से भी कम, धान की खेती बुरी तरह प्रभावित
मौजूदा स्थिति यह है कि झारखंड के प्रमुख जलाशयों में बीते साल के मुकाबले आधा पानी ही जमा है, जबकि बीते साल भी राज्य के 256 प्रखंडों में सूखा पड़ा था. जलाशयों की स्थिति बीते 10 साल के औसत के मामले बहुत ही खराब है
खरीफ की खेती सावन पर टिकी होती है, लेकिन झारखंड के लिए सावन सूखा रह गया. उम्मीद के मुताबिक बारिश नहीं होने के कारण राज्य में धान की खेती बुरी तरह प्रभावित हुई है. लोग अब भादो से उम्मीद लगाये बैठे हैं. सावन में पर्याप्त बारिश नहीं होने का असर खेतों के अलावा राज्य के जलाशयों पर भी दिख रहा है. अगर भादो ने भी धोखा दिया तो, इस बार पीने की पानी का संकट हो सकता है. वहीं, जानवरों के लिए चारा की कमी हो सकती है.
मौजूदा स्थिति यह है कि राज्य के प्रमुख जलाशयों में बीते साल के मुकाबले आधा पानी ही जमा है, जबकि बीते साल भी राज्य के 256 प्रखंडों में सूखा पड़ा था. जलाशयों की स्थिति बीते 10 साल के औसत के मामले बहुत ही खराब है. इधर, राज्य में तय लक्ष्य का करीब 50 फीसदी खेतों में भी धान नहीं लग पाया है. वहीं, धान लगाने का समय भी अब खत्म हो चुका है. वहीं, भूमिगत जलस्तर की स्थिति भी ठीक नहीं है. आज भी शहरों में फेल हुई कई बोरिंग से पानी नहीं निकल रहा है, क्योंकि अच्छी बारिश नहीं होने के कारण जलस्तर ऊपर चढ़ा ही नहीं.
सामान्य से 36 फीसदी कम हुई बारिश, कई जिलों की स्थिति बहुत खराब
राज्य में बारिश के मामले में कई जिलों की स्थिति बहुत ही खराब है. चतरा, धनबाद, गिरिडीह, गुमला, हजारीबाग, जामताड़ा, कोडरमा, लातेहार, लोहरदगा, पलामू, रामगढ़ में सामान्य से करीब 40 फीसदी तक कम बारिश हुई है. अगस्त के अंतिम हफ्ते तक राज्य में 786 मिमी के आसपास बारिश होनी चाहिए थी. इसकी तुलना में करीब 502 मिमी बारिश हुई है. चतरा में स्थिति सबसे खराब है. यहां अब तक मात्र 272 मिमी ही बारिश हुई है. इस अवधि के दौरान यहां कम से कम 729 मिमी बारिश हो जानी चाहिए थी. राज्य में केवल साहिबगंज और गोड्डा में ही सामान्य के करीब बारिश दर्ज की गयी है.
मात्र 958 हजार हेक्टेयर में ही लगा धान :
राज्य सरकार ने इस बार 1800 हजार हेक्टेयर में धान लगाने का लक्ष्य रखा था, जबकि मात्र 958 हजार हेक्टेयर में ही रोपा हुआ है. यह लक्ष्य का करीब 53% ही है. रोपा का समय भी खत्म हो गया है. राज्य में खेती के मामले में उत्तरी छोटानागपुर और पलामू प्रमंडल की स्थिति बहुत खराब है. उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल में तय लक्ष्य का मात्र 29.81 फीसदी में ही धान लग पाया है. बोकारो में तो तय लक्ष्य के विरुद्ध मात्र आठ फीसदी खेतों में ही धनरोपनी हुई है. पलामू जिले में तो तय लक्ष्य के विरुद्ध मात्र छह फीसदी खेतों में ही रोपा हुआ है. वहीं, पूरे प्रमंडल में तय लक्ष्य का मात्र 23 फीसदी में ही रोपा हुआ है.
प्रमंडलवार राज्य में धान रोपा की स्थिति
प्रमंडल लक्ष्य लगाया उपलब्धि का प्रतिशत
कोल्हान 396.00 294.85 74.76%
द छोटानागपुर 567.00 372.00 65.69%
संताल परगना 364.50 159.65 43.80%
उत्तरी छोटानागपुर 336.50 100.29 29.81%
पलामू प्रमंडल 136.00 31.39 23.08%
(नोट : लक्ष्य हजार हेक्टेयर में)
राज्य के प्रमुख जलाशयों की स्थिति
डैम 2023 2022 10 साल का औसत
तेनुघाट 0.367 0.410 0.381
मैथन 0.218 0.226 0.364
पंचेत 0.129 0.184 0.166
गेतलसूद 0.099 0.194 0.158
कोनार 0.054 0.059 0.113
तिलैया 0.026 0.022 0.95
(नोट : डैमों की स्थिति बिलियन क्यूबिक मीटर में, स्रोत : सेंट्रल वाटर कमीशन)