मौसम का बदला मिजाज लोगों को बीमार कर रहा है. बुखार, सर्दी, खांसी, गले में खराश और सांस लेने की समस्या से पीड़ित मरीजों की संख्या अचानक बढ़ गयी है. बीमार सरकारी और निजी अस्पताल के ओपीडी में इलाज कराने पहुंच रहे हैं. कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग सामान्य फ्लू की चपेट में सबसे ज्यादा आ रहे हैं, जिसमें बुजुर्ग और बच्चे शामिल हैं.
रिम्स और सदर अस्पताल के ओपीडी में 20 दिन पहले की अपेक्षा मौसमी बीमारी से पीड़ित मरीजों की संख्या 40 फीसदी बढ़ गयी है. रिम्स के फिजिशियन डॉ विद्यापति ने बताया कि बदलते मौसम में विशेष ध्यान रखना चाहिए. मौसम के अनुरूप दिनचर्या बनायें और संयमित खानपान को शामिल करें. रिम्स में सोमवार को 371 मरीजों को मेडिसिन ओपीडी में परामर्श दिया गया, जिसमें 140 से ज्यादा सामान्य फ्लू की समस्या लेकर आये थे.
वहीं, सदर अस्पताल के ओपीडी में मौसमी बीमारी के मरीजों की संख्या भी बढ़ गयी है. पूर्व की अपेक्षा अभी 100 से 125 मरीज रोजाना इलाज कराने आ रहे हैं. सोमवार को (दोपहर 12 बजे तक) अस्पताल के ओपीडी में मौसमी बीमारी के 97 मरीजों ने परामर्श लिया था. वहीं, शिशु विभाग में 53 बच्चों को परामर्श दिया गया. रिम्स के फिजिशियन डॉ संजय कुमार ने बताया कि मौसमी बीमारी से पीड़ित लोग पहले दवा दुकान से दवा लेकर खा ले रहे हैं, लेकिन सटीक दवा नहीं मिलने के कारण बीमारी ठीक नहीं हो रही है.
देश में बढ़ते कोरोना के मामलों को देखते हुए अधिकतर राज्याें ने सतर्कता बढ़ा दी है, लेकिन राज्य में अभी भी इसको लेकर गंभीरता नहीं बरती जा रही है. सीमित स्थानों पर कोरोना की जांच हो रही है, जिससे राज्य में मुश्किल से 1,100 से 1,200 सैंपल की जांच हो रही है. सूत्रों ने बताया कि अगर जांच की संख्या बढ़ायी जाये, तो संक्रमितों की संख्या बढ़ेगी. इधर, देश के जिन राज्यों में संक्रमितों की संख्या अधिक है, वहां से आने वाले लोगों की जांच नहीं हो रही है. एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन पर जांच काउंटर भी नहीं बनाये गये हैं. ऐसे में लोगों का कहना है कि यह लापरवाही कहीं भारी नहीं पड़ जाये, इसलिए सरकार को सतर्कता बरतनी चाहिए