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शिक्षा के मामले में अन्य राज्यों को टक्कर देगा झारखंड, सेव द चिल्ड्रेन के कार्यक्रम में बोले जगरनाथ महतो

झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने दावा किया है कि बहुत जल्द शिक्षा के मामले में यह प्रदेश अन्य राज्यों को टक्कर देगा. वह रांची में सेव द चिल्ड्रेन के एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. श्री महतो ने सेव द चिल्ड्रेन को बच्चों को शिक्षित करने के अपना कार्यक्रम आगे बढ़ाने के लिए कहा.

By Mithilesh Jha | December 16, 2022 5:10 PM

झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो (Jagarnath Mahato) ने कहा है कि बच्चों को शिक्षित करने में जिस तरह से समाज के लोगों का सहयोग मिल रहा है, यह सहयोग जारी रहा, तो आने वाले दिनों में अन्य राज्यों को शिक्षा के मामले में झारखंड टक्कर देगा. उन्होंने कहा कि जब हेमंत सोरेन के नेतृत्व में प्रदेश में सरकार का गठन हुआ और जगरनाथ महतो को शिक्षा मंत्री बनाया गया, तो कई लोगों ने सवाल खड़े किये थे.

झारखंड की शिक्षा को भी बदल देंगे: जगरनाथ महतो

श्री महतो ने कहा कि लोगों ने कहा कि 10वीं पास को शिक्षा मंत्री बना दिया है. वह क्या काम कर लेगा. तब मैंने कहा था कि जगरनाथ महतो किसी भी मंत्री से बेहतर होगा. मैंने स्कूल का रंग बदल दिया, कपड़े का रंग बदल दिया और पढ़ाई को भी बदल देंगे. उन्होंने कहा कि हमने जो कहा था, करके दिखा दिया. हमने कहा था कि मैट्रिक और इंटर की पढ़ाई में सरकारी स्कूलों के बच्चे प्राइवेट स्कूलों को टक्कर देंगे. हमने करके दिखाया.

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इस बार मैट्रिक और इंटर का जैक का रिजल्ट (Jharkhand Academic Council Result) प्राइवेट स्कूलों से बेहतर था. उन्होंने कहा कि देश में पहली बार झारखंड सरकार ने मुख्यमंत्री छात्रवृत्ति योजना (Chief Minister Scholarship Scheme) की शुरुआत की. इस योजना के तहत 5,000 विद्यार्थियों को हर साल 12,000 रुपये की छात्रवृत्ति दी जायेगी. इसके लिए हजारों बच्चों ने आवेदन किया था. इनमें से 5,000 का चयन किया गया है. 8वीं, 9वीं और 10वीं के इन सभी बच्चों को सरकार की ओर से छात्रवृत्ति दी जायेगी.

शिक्षा मंत्री ने रांची में की गुमलमोहर कार्यक्रम की शुरुआत

शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने ये बातें सेव द चिल्ड्रेन के कार्यक्रम में कहीं. होटल रेडिशन ब्लू में आयोजित कार्यक्रम में श्री महतो ने ‘गुलमोहर: कल की नींव घर आधारित बचपन के शुरुआती विकास का मॉड्यूल’ का लोकार्पण भी किया. गुलमोहर बच्चों को शिक्षित करने का एक अभियान है, जिसके तहत बच्चों में सीखने की प्रवृत्ति जागृत की जाती है. यह वीडियो मॉड्यूल अभिभावकों के लिए है कि वे किस तरह से अपने बच्चों को घर पर ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दे सकते हैं.

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गांवों में जाकर अभिभावकों को किया प्रेरित

सेव द चिल्ड्रेन के अविनाश सिंह ने बताया कि कोरोना संक्रमण के दौर में जब स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र बंद हो गये थे, तब लर्निंग स्किल को टार्गेट करने वाले 60 वीडियो बनाकर बच्चों एवं उनके अभिभावकों को प्रेरित किया गया. सुब्रत बसु ने तीन साल के दौरान सेव द चिल्ड्रेन की ओर से बच्चों को शिक्षित करने के लिए आंकांक्षी जिलों में किये गये कार्यों एवं उसकी उपलब्धियों के बारे में बताया.

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उन्होंने कहा कि जनवरी 2020 में नयी शिक्षा परियोजना के अंतर्गत शुरू की गयी निपुण भारत मिशन के तहत ‘बैक टू बेसिक्स’ की शुरुआत की गयी थी. कुछ ही दिनों बाद कोरोना महामारी आ गयी और उसकी वजह से स्कूल एवं आंगनबाड़ी केंद्र बंद हो गये. गांव-गांव में जाकर लोगों को जागरूक किया गया कि वे अपने बच्चों को पढ़ायें. फोकस पश्चिमी सिंहभूम जिला के तांतनगर प्रखंड और गुमला जिला के भरनो प्रखंड पर था.

बच्चों को पढ़ाने के लिए कबाड़ से बना रहे मॉडल

उन्होंने बताया कि इस मुश्किल घड़ी में भी बच्चों के सीखने की ललक कम न हो, इसके लिए सेव द चिल्ड्रेन ने ‘हमारा रेडियो हमारी पाठशाला’ की शुरुआत की. 6 रेडियो स्टेशन की मदद से बच्चों को सिखाने की प्रक्रिया जारी रखी गयी. उन्होंने बताया कि कबाड़ से ज्ञान दे रहे हैं. बच्चों को पढ़ाने के लिए जो मॉडल बनाये जाते हैं, उनका निर्माण कबाड़ से ही होता है. उन्होंने कहा कि बच्चा एक मिनट में 30 से 40 शब्द पढ़ पायेगा, तभी आगे बढ़ पायेगा.

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झारखंड समेत 5 राज्यों में हुई है बैक टू बेसिक्स की शुरुआत

‘बैक टू बेसिक्स’ अभियान की शुरुआत झारखंड समेत पांच राज्यों में में हुई. अन्य चार राज्य बिहार, पश्चिम बंगाल, ओड़िशा और दिल्ली हैं. इन 5 राज्यों में 1,237 आंगनबाड़ी केंद्रों और 505 सरकारी प्राथमिक स्कूलों को शामिल किया गया है. गैर सरकारी संस्था बाल रक्षा भारत, जिसे सेव द चिल्ड्रेन के नाम से भी जाना जाता है, ने झारखंड सरकार के समाज कल्याण, महिला एवं बाल विकास विभाग के साथ-साथ स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विकास विभाग के साथ मिलकर कार्यक्रम की शुरुआत की है, ताकि बच्चे पढ़ना सीख सकें और उनका गणित मजबूत हो.

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झारखंड में इस अभियान को सफल बनाने में 280 आंगनबाड़ी केंद्रों, 754 शिक्षकों, 119 शिक्षा पदाधिकारियों की मदद ली गयी. इससे 25,397 बच्चों को फायदा हुआ, जबकि 13,968 अभिभावकों को इसका लाभ मिला. 8,361 सामुदायिक केंद्रों के सदस्य भी लाभान्वित हुए. बता दें कि पश्चिमी सिंहभूम के टोंटो और तांतनगर प्रखंड में कार्यक्रम को लागू किया गया है, जबकि गुमला जिला के सिसई और भरनो में इस पर अमल किया गया है.

कार्यक्रम में ये लोग थे मौजूद

उल्लेखनीय है कि बच्चों को स्कूल जाने के लिए तैयार करने का एक अभियान शुरू किया है, जिसकी नींव आंगनबाड़ी केंद्र में रखी जाती है. सरकार इसमें एनजीओ के साथ-साथ आंगनबाड़ी सेविका/सहायिकाओं के एवं एसएमसी सदस्यों की मदद लेती है. कार्यक्रम में शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के अलावा सेव द चिल्ड्रेन के अविनाश सिंह, इसके झारखंड प्रमुख महादेव हांसदा, यूनिसेफ की पारुल शर्मा और वरिष्ठ पत्रकार मधुकर भी मौजूद थे.

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