Jharkhand News: शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नियोजन नीति पर सदन में अपनी बातें रखते हुए कहा कि बिहार-यूपी के लोग साजिश के तहत झारखंडी हित में बनी नीतियों को न्यायालय में ले जाते हैं. नियोजन को लेकर सरकार गंभीर है. यह पहला मौका नहीं है, जब हाइकोर्ट से नियोजन नीति रद्द हुई है. तीसरी बार नियोजन नीति रद्द हुई है. रघुवर दास सरकार में भी जो नियोजन नीति बनी थी, वह भी रद्द हुई थी.
कार्यपालिका द्वारा तीन-तीन बार बनायी गयी नीतियों को हाइकोर्ट द्वारा खारिज किया गया है. यह दुर्भाग्य की बात है. हाइकोर्ट में एक आदिवासी युवक को आगे कर 20 लोग याचिका दायर कराते हैं. इसमें 19 लोग बिहार-यूपी रहते हैं. वह शिकायतकर्ता बनते हैं. यह षड्यंत्र है. इस साजिश को समझने की जरूरत है.
इसी समस्या से निबटने के लिए स्थानीय नीति और आरक्षण विधेयक जो सदन से पारित हुआ है. इसे नौवीं अनुसूची में जोड़ कर सुरक्षा कवच पहनाना चाहते हैं, ताकि यहां के आदिवासी-मूलवासी को रोजगार मिल सके. उन्होंने कहा कि कार्यमंत्रणा में राज्यपाल के यहां जाने पर चर्चा हुई थी.
इसको लेकर पार्टियों से पत्राचार भी किया गया है. विपक्ष भी कार्यमंत्रणा में सहमत था, लेकिन रातभर में क्या खिचड़ी पक गयी, मुझे नहीं मालूम. विपक्ष ने भी 1932 के खतियान आधारित नीति व ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का समर्थन किया था. इसे लेकर राज्यपाल से मिलेंगे, ताकि यहां के युवाओं का भविष्य बेहतर बन सके.
सत्र के दूसरे दिन भी झारखंड विधानसभा में गतिरोध बना रहा. पक्ष-विपक्ष में तकरार, हंगामा के कारण पहली पाली में सदन की कार्यवाही करीब सवा घंटे तक स्थगित रही. हंगामा के बीच ही सरकार ने द्वितीय अनुपूरक बजट पास कराया.
सुबह सदन की कार्यवाही शुरू होते ही भाजपा विधायकों ने साहिबगंज में पहाड़िया युवती की हत्या और दुष्कर्म के साथ नियोजन नीति पर सरकार को घेरा. भाजपा विधायक वेल में घुसकर पोस्टर लेकर नारेबाजी करने लगे. उधर सत्ता पक्ष के विधायक प्रदीप यादव ने भाजपा सांसद निशिकांत दुबे द्वारा लोकसभा में अमर्यादित टिप्पणी किये जाने का मामला उठाया. श्री यादव का कहना था कि मुख्यमंत्री को लेकर अभद्र भाषा का प्रयोग किया गया है. यह केवल मुख्यमंत्री नहीं, राज्य की सवा तीन करोड़ जनता का अपमान है. सदन से निंदा का प्रस्ताव जाना चाहिए़.
मामले में झामुमो विधायक सुदिव्य सोनी व संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम का भी कहना था कि निंदा प्रस्ताव भेजा जायेगा. इसके बाद सत्ता पक्ष के विधायक भी वेल में घुस गये. सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायक वेल में नारेबाजी करने लगे. स्पीकर रबींद्रनाथ महतो पक्ष-विपक्ष को बार-बार सीट पर बैठने का आग्रह कर रहे थे. लेकिन पक्ष-विपक्ष मानने के लिए तैयार नहीं था. अंतत: स्पीकर ने 11:26 बजे सदन की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी.
मंगलवार को कार्यवाही के दौरान सरकार ने तीन विधेयक वापस लिए, ये विधेयक राज्यपाल ने ऋृटियों के कारण लौटा दिये थे. सरकार ने नौ सितंबर 2021 को पारित झारखंड वित्त विधेयक, 24 मार्च 2022 को पारित झारखंड कृषि उपज और पशुधन विपणन विधेयक और झारखंड कराधान अधिनियमों की बकाया राशि का समाधान विधेयक वापस ले लिया़ इन विधेयकों को राज्यपाल ने तथ्यात्मक और भाषाई चूक के कारण वापस किया था.