विधानसभा अध्यक्ष रबींद्रनाथ महतो ने कहा कि शीतकालीन सत्र समयावधि के हिसाब से एक छोटा सत्र था. परंतु विधायी कार्यों की उपयोगिता के लिहाज से यह अत्यंत ही महत्वपूर्ण था. कुल पांच कार्य दिवस में निर्धारित 15 घटों में से 17 घटों तक सदन की कार्यवाही चली, जो निर्धारित अवधि का 100 प्रतिशत से अधिक है. इस सत्र में विनियोग विधेयक को छोड़ कर कुल नौ विधयेक सरकार की ओर से लाये गये. इसमें आठ विधेयकों को सभा द्वारा पारित कर राज्यपाल की सहमति के लिए भेजा जा रहा है.
इस सत्र में सदस्यों के 326 प्रश्न प्राप्त हुए, जिसमें से 230 प्रश्न स्वीकृत किये गये. इसमें से 174 प्रश्न अल्पसूचित व 56 तारांकित हैं. ऑनलाइन प्रश्नोत्तर प्रणाली के माध्यम से उत्तर प्राप्ति का प्रतिशत 83.48 प्रतिशत रहा. यह पिछले मानसून सत्र के दौरान 86.44 प्रतिशत था. सत्र के दौरान 20 स्वीकृत ध्यानाकर्षण की सूचनाओं में सात सूचनाएं उत्तरित हुए. शेष 13 लंबित ध्यानाकर्षण की सूचनाओं को प्रश्न एवं ध्यानाकर्षण समिति को भेजा जायेगा. स्पीकर ने कहा कि सत्र के प्रारंभिक दिनों को छोड़ दिया जाये, तो यह बड़े ही सकारात्मक रूप से चला. इसके लिए सत्ता पक्ष व विपक्ष के सदस्य बधाई के पात्र हैं.
शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन शुक्रवार को राज्य सरकार ने राज्यपाल की ओर से वापस किये गये तीन विधेयक को सदन से पारित हो गये. झारखंड वित्त विधेयक 2021 को राज्यपाल ने वापस कर दिया था. इसके बाद सरकार ने पहले इस विधेयक को सदन से वापस लिया और दोबारा सदन में लाया. माले विधायक विनोद सिंह और आजसू विधायक लंबोदर महतो ने इस विधेयक को प्रवर समिति में भेजने का आग्रह किया.
विनोद सिंह ने कहा कि सदस्यों को विधेयक की कॉपी एक दिन पहले ही दी गयी है. जबकि इस विधेयक में 64 बिंदु हैं. उन्होनें कहा कि नियमावली में इस बात का जिक्र है कि सदस्यों को विधेयक की कॉपी सात दिन पहले मिले. ऐसे में बिना अध्ययन किये फिर यह विधेयक पारित हो जायेगा.
विधायक लंबोदर महतो ने कहा कि यह गंभीर विषय है कि आखिर क्यों राज्यपाल ने विधेयक को वापस किया है. इसके जवाब में संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि राज्यपाल की तरफ से हिंदी और अंग्रेजी शब्द में कुछ गड़बड़ी पर आपत्ति की गयी थी. उन्होंने कहा कि इस विधेयक की आवश्यकता है. इसमें कई प्रस्ताव लाये गये हैं. जिसमें मुख्य रूप से शहरी क्षेत्रों में जमीन विक्रय शुल्क को चार प्रतिशत से बढ़ा कर 6 प्रतिशत किया गया है.
इससे सरकार को प्रतिवर्ष 200 करोड़ का राजस्व प्राप्त होगा. उन्होनें कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में कोई बढ़ोत्तरी नहीं की गयी है. सदन में चर्चा के बाद झारखंड वित्त विधेयक 2022, झारखंड कराधान अधिनियमों की बकाया राशि का समाधान विधेयक 2022 और झारखंड राज्य कृषि उपज और पशुधन विपणन (संवर्धन व सुविधा) विधेयक 2022 ध्वनिमत से पारित हुआ.
इससे पहले कृषि उपज और पशुधन विपणन विधेयक में कई तरह की त्रुटियों का हवाला देते हुए विधायक मनीष जायसवाल, नवीन जयसवाल, विनोद सिंह सहित अन्य ने प्रवर समिति में भेजने का आग्रह किया. विनोद सिंह ने कहा कि वर्ष 2017 में जो बिल भारत सरकार ने लाया था, इसी के प्रावधान को वर्तमान सरकार लागू कर रही है. जबकि उस समय इस सरकार ने भारत सरकार के बिल का विरोध किया था.
इसके जवाब में प्रभारी मंत्री बादल पत्रलेख ने कहा कि राज्य में बाजार समिति किस हाल में है यह सभी को पता है. झारखंड में 28 बाजार समितियां हैं. इसका हाल सबको पता है. उन्होनें कहा कि जब तक कोई भी संस्थान राजस्व की उगाही नहीं करता है, तब तक वह नहीं टिक सकता है. भारत सरकार से लगातार चिट्ठी आ रही है, केन्द्रांश की कटौती की धमकी आ रही है. एक देश एक बाजार को हर हाल में लागू करने की बात कही जा रही है. उन्होंने कहा कि बाजार समितियों में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन किया गया है. अधिकारियों के भरोसे बाजार समिति को नहीं छोड़ रहे हैं, बल्कि जनप्रतिनिधियों को भी जोड़ा जा रहा है.