रांची. झामुमो ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में झारखंड और झारखंड के भूमिपुत्रों की उपेक्षा का आरोप लगाया है. पार्टी ने आजसू का नाम लिए बिना कहा कि भले ही मेरा राजनीतिक विरोधी है, मगर झारखंडी और भूमिपुत्र है, राज्यहित सर्वोपरि है. इसलिए हमलोग आशा करेंगे कि सात जगह बची है, उसमें एक कैबिनेट मिनिस्टर और एक राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार जरूर झारखंडी भूमिपुत्रों को मिलना चाहिए. झामुमो के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने प्रदेश कार्यालय में प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि अजीब विडंबना है. एनडीए ने यहां के सहयोगी संगठन को ठेंगा दिखाने का काम किया. अब ये लोग उनके पीछे-पीछे घूमते रहेंगे. फिर विधानसभा चुनाव में सीट मांगेगे. फिर ये कैसे कह सकते हैं कि हमारा कमिटमेंट झारखंडी जनों के साथ जुड़ा हुआ है. श्री भट्टाचार्य ने कहा कि सहयोगी संगठन का भी सांसद दो बार का है. भूमिपुत्र है, स्थानीय है. उनकी उपेक्षा हुई.
सरना धर्म कोड, ओबीसी आरक्षण जैसे मुद्दे के लिए मंत्रिपरिषद में उचित हिस्सेदारी नहीं मिली
श्री भट्टाचार्य ने कहा कि झारखंडी मुद्दे सरना धर्म कोड, ओबीसी का 27 प्रतिशत आरक्षण, जातीय जनगणना आदि को लागू करने के लिए झारखंड से मंत्रिपरिषद में उचित हिस्सेदारी मिलनी चाहिए थी, उन्होंने कहा कि संताल-परगना की बेटी और कोडरमा की बहु अन्नपूर्णा देवी को कैबिनेट में जगह मिली. उन्हें बधाई, लेकिन क्या कोई भूमिपुत्र नहीं मिला. उन्होंने राज्यमंंत्री संजय सेठ पर कहा कि उनको जगह देना झारखंडियो का अपमान जैसा है. उन्होंने निशिकांत दुबे पर भी कहा कि वह सांसद हो सकते हैं, पर भूमिपुत्र नहीं.
मंत्री बननेवाले और सांसदों को पांच गारंटी झारखंड को लेकर चाहिए
श्री भट्टाचार्य ने कहा कि झारखंड से मंत्री बने और सांसदों से हमें झारखंड के लिए चार गारंटी चाहिए. पहला एचइसी क पुनरुद्धार, दूसरा सरना धर्म कोड की गारंटी. तीसरा 27 प्रतिशत पिछड़ा वर्ग आरक्षण, चौथा काम होगा श्रम कानून में फेरबदल, जिसके तहत 44 श्रम कानूनों में किये गये संशोधन को वापस करना और हर हाल में एचइसी को बचाना.
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