मार्क व हुल्डा बंटेन के सपनों का परिणाम है झारखंड का एसेंबली ऑफ गॉड चर्च

स्वतंत्र पेंटिकोस्टल समूह 1960 से 1970 तक रांची में मिनिस्ट्री स्थापित करने के लिए लगातार प्रयासरत था. एसेंबली ऑफ गॉड के मिशनरी रेव्ह पर्सी ब्रश से अनुरोध किया गया कि वे रामगढ़ से (जहां वे सेवकाई कर रहे थे) रांची आयें, पर यह संभव नहीं हो पाया.

By Prabhat Khabar News Desk | December 4, 2021 1:07 PM

स्वतंत्र पेंटिकोस्टल समूह 1960 से 1970 तक रांची में मिनिस्ट्री स्थापित करने के लिए लगातार प्रयासरत था. एसेंबली ऑफ गॉड के मिशनरी रेव्ह पर्सी ब्रश से अनुरोध किया गया कि वे रामगढ़ से (जहां वे सेवकाई कर रहे थे) रांची आयें, पर यह संभव नहीं हो पाया. बाद के दिनों में रेव्ह जेम्स मॉडर धर्मपत्नी ग्रेस के साथ रांची आये और कांटाटोली (टाटा रोड में यूनियन बैंक के सामने) एक छोटे से चर्च का निर्माण हुआ.

दोनों पति-पत्नी ने यहां कुछ वर्षों तक सेवकाई की और जब वे जाने लगे, तब पास्टर शांति प्रकाश कच्छप को (जो उन दिनों एक लोकधर्मी अगुवा थे) निर्देश दिया गया कि वे इस चर्च की जिम्मेवारी संभालें. अगले कुछ वर्षों में पास्टर शांति प्रकाश कच्छप उस छोटे से एसेंबली ऑफ गॉड चर्च में अपनी सेवकाई देते रहे. इस दौरान उन्होंने आसपास के कुछ गांवों में कुछ चर्च भी स्थापित किये.

पास्टरों का प्रशिक्षण

मिनिस्ट्री का पहला बाइबल स्कूल पास्टर शांति प्रकाश कच्छप के एक छोटे मिट्टी के घर से संचालित था. इसके नये चर्च भवन में स्थानांतरित होेने के बाद पुराने चर्च को नवीनीकृत किया गया़ नये कमरे बनाये गये और अल्पकालीन प्रशिक्षण कार्यक्रम को सर्टिफिकेट इन थियाेलॉजी स्तर के कोर्स में बदलने का निर्णय लिया गया. यह बाइबल स्कूल बाद में बंटेन थियोलॉजिकल कॉलेज के रूप में विकसित हुआ.

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