रांची : अगले वर्ष से बिजली उपभोक्ताओं पर टैरिफ का भार पड़ेगा. झारखंड बिजली वितरण निगम (जेबीवीएनएल) ने लगभग 30 प्रतिशत टैरिफ बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है. जेबीवीएनएल ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए नये एनुअल रेवन्यू रिक्यावरमेंट(एआरआर) के साथ नये टैरिफ का प्रस्ताव झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग के पास जमा कर दिया है. अभी टैरिफ स्ट्रक्चर जमा नहीं किया गया है. यानी यूनिटवाइज कितनी दर बढ़ानी है, इसका प्रस्ताव जनवरी में दिया जायेगा. हालांकि विद्युत नियामक आयोग में अभी न तो अध्यक्ष है और न ही कोई सदस्य है.
पिछले वित्तीय वर्ष 2021-22 के जेबीवीएनएल के बिजली टैरिफ पर आयोग में अध्यक्ष और सदस्य नहीं होने से फैसला नहीं हो सका था. यानी कि चालू वित्तीय वर्ष में वर्तमान बिजली दरों में कोई वृद्धि नहीं हुई थी. इसी तरह वित्तीय वर्ष 2020-21 में भी आयोग ने कोरोना का हवाला देते हुए उपभोक्ताओं के पक्ष में निर्णय लेते हुए बिजली दर नहीं बढ़ायी थी.
लेकिन जेबीवीएनएल ने हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी अपना नया बिजली टैरिफ का प्रस्ताव आयोग के समक्ष भेज दिया है. हालांकि इस वर्ष भी आयोग में अध्यक्ष व सदस्य नहीं हैं. दूसरी ओर ऊर्जा विभाग द्वारा अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है. संभावना है कि जनवरी तक नये अध्यक्ष और सदस्य की नियुक्ति हो जाये.
जेबीवीएनएल के सूत्रों ने बताया कि अभी टैरिफ स्ट्रक्चर नहीं बना है. लेकिन इस बार घरेलू उपभोक्ताओं पर कम भार दिया जायेगा. इस बार औद्योगिक व एलटीआइएस उपभोक्ताओं पर कुछ बोझ पड़ सकता है. हालांकि अंतिम रूप से निर्णय आयोग लेता है.
जेबीवीएनएल ने एनुअल रिपोर्ट में कुल 6500 करोड़ रुपये का नुकसान दिखाया है. विगत दो वित्तीय वर्ष से बिजली दरों में वृद्धि नहीं होने से बिजली खरीद एवं आपूर्ति में 6500 करोड़ का गैप दिखाया गया है. वहीं चालू वित्तीय वर्ष में आयोग द्वारा निर्णय नहीं लेने के कारण कुल 1800 करोड़ का नुकसान दिखाया गया है. ओवर ऑल जेबीवीएनएल ने अपनी रिपोर्ट में वित्तीय वर्ष 2022-23 में 9000 करोड़ का खर्च दिखाया है. वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए विद्युत नियामक आयोग ने 6326 करोड़ रुपये की एआरआर की मंजूरी दी थी. अब जेबीवीएनएल ने इस एआरआर से 2674 करोड़ रुपये अतिरिक्त राशि की जरूरत बतायी है.यानी वर्तमान टैरिफ में लगभग 30 प्रतिशत टैरिफ बढ़ाने का आग्रह आयोग से किया है.
बिजली टैरिफ पर फैसला झारखंड विद्युत नियामक आयोग करता है. लेकिन आयोग 19 फरवरी 2021 से ही पूरी तरह निष्क्रिय है. 19 फरवरी को आयोग के अंतिम सदस्य (विधि) प्रवास कुमार सिंह ने आयोग छोड़ दिया. प्रवास कुमार सिंह केंद्रीय नियामक आयोग का विधि सदस्य बनाये जाने के कारण चले गये. पिछले वर्ष जून में निवर्तमान चेयरमैन अरविंद प्रसाद ने इस्तीफा दे दिया, जबकि मेंबर तकनीक आरएन सिंह नौ जनवरी को सेवानिवृत्त हो चुके हैं. जनसुनवाई या किसी भी नीतिगत निर्णय के लिए कम से कम एक मेंबर का होना आवश्यक है. इधर ऊर्जा विभाग द्वारा आयोग के तकनीकी और विधि सदस्यों की नियुक्ति के लिए आवेदन मंगाया गया है.
Posted by : Sameer Oraon