Loading election data...

झारखंड : झामुमो ने नवनिर्वाचित राज्यसभा सांसद प्रदीप वर्मा के उपर बोला हमला, इस मामले में बीजेपी को घेरा

सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि गांडेय सीट से डॉ सरफराज अहमद के इस्तीफे के बाद गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने दो मुद्दे उठाये थे.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 15, 2024 10:41 AM
an image

रांची : राज्यसभा के लिए भाजपा के निर्विरोध चुने गये सांसद प्रदीप वर्मा के नामांकन शपथ पत्र पर झामुमो ने सवाल उठाये हैं. झामुमो का आरोप है कि प्रदीप वर्मा ने अपनी चल-अचल संपत्ति का विवरण छिपाया है. झामुमो कार्यालय में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में पार्टी के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि प्रदीप वर्मा की उत्तर प्रदेश से लेकर यहां तक क्या-क्या संपत्ति है, इसके सारे दस्तावेज पार्टी के पास हैं. लोकसभा चुनाव के बाद झामुमो आयोग से सभी दस्तावेजों के साथ मिलेगा और उनके निर्वाचन को चुनौती देगा. श्री भट्टाचार्य ने कहा कि प्रदीप वर्मा ने अपने मूल निवास को एफिडेविट में छिपाया. उसे रांची बताया. प्रदीप वर्मा वर्ष 2000 में बिरला फर्म में चाकरी के नाम पर रांची आये. उनके हॉस्पिटल और स्कूल के प्रबंध निदेशक के तौर पर काम शुरू किया और केयर टेकर भी थे. पर 2000 के बाद जिस प्रकार उनकी संपत्ति बढ़ी, वह अप्रत्याशित है. प्रदीप वर्मा ने रघुवर काल में इतनी परिसंपत्ति अर्जित की, जिसे उन्होंने लिखना भी उचित नहीं समझा. इनका अनगड़ा थाना के महेशपुर में एक फॉर्म हाऊस है. खेल गांव में फ्लैट है, पंडरा के पास एक फ्लैट है. सरला-बिरला के अंदर दवा दुकान है, कई एनजीओ के संचालक हैं. अरगोड़ा में भी भूखंड है. धनबाद में भी है. दो भूखंड आजमगढ़ में है, जिसमें एक शानदार महल भी खड़ा है. इन सबका जिक्र एफिडेविट में नहीं है. प्रदीप वर्मा डीड में खुद को व्यवसायी बताया. पर किसी भी डीड में आजमगढ़ का पता नहीं है. कहीं महिलौंग का पता है, तो कहीं आरा गांव का, तो कहीं पर पुरुलिया रोड का पता है. प्रदीप वर्मा ने कॉलोनी भी बसाया है. उन्होंने अपने पिता का नाम कहीं पर रामअवतार प्रसाद बताया. कहीं पर रामअवतार कुमार प्रसाद बताया. कहीं पर रामअवतार वर्मा बताया. इन सारी जानकारियों के बारे में अब बाबूलाल मरांडी को बताना चाहिए.

सुप्रियो भट्टाचार्य ने महाराष्ट्र का किया जिक्र

वहीं, सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि गांडेय सीट से डॉ सरफराज अहमद के इस्तीफे के बाद गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे ने दो मुद्दे उठाये थे. महाराष्ट्र के एक केस का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा था कि कल्पना सोरेन मुख्यमंत्री नहीं बन सकती हैं, क्योंकि एक वर्ष से कम का कार्यकाल बचा है. श्री भट्टाचार्य ने कहा कि अब गोड्डा सांसद बतायें कि हरियाणा में कैसे एक गैर विधायक को किस कानून के तहत मुख्यमंत्री बना दिया गया, जबकि वहां भी एक वर्ष के अंदर ही चुनाव होने है. भट्टाचार्य ने कहा कि हरिहर महापात्रा को भाजपा ने मैदान में लाया था. ताकि अन्य राज्यों की तरह खेल किया जा सके. पर खेल नहीं बना, तो महापात्रा ने नामांकन नहीं किया.

Exit mobile version