ST को 28, OBC को 27 और SC को 12 फीसदी दिलायेंगे आरक्षण, 12वें महाधिवेशन में JMM ने लिया ये संकल्प

Jharkhand News: झामुमो के 12वें महाधिवेशन में राजनीतिक प्रस्ताव पारित कर राज्य में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण, एसटी को 28 प्रतिशत व एससी को 12 प्रतिशत आरक्षण दिलाने की बात कही गयी. अभी राज्य में एसटी को 26%, ओबीसी को 14 और एससी को 10% आरक्षण िमलता है.

By Prabhat Khabar News Desk | December 19, 2021 6:28 AM

Jharkhand News: झामुमो के 12वें महाधिवेशन में राजनीतिक प्रस्ताव पारित कर राज्य में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण, एसटी को 28 प्रतिशत व एससी को 12 प्रतिशत आरक्षण दिलाने की बात कही गयी. अभी राज्य में एसटी को 26%, ओबीसी को 14 और एससी को 10% आरक्षण िमलता है. वृहत झारखंड का संकल्प भी दोहराया गया.

झारखंडी संस्कृति और सभ्यता से भारतीयता को बचाने की शपथ ली गयी. मौके पर पार्टी के वर्तमान अध्यक्ष शिबू सोरेन 10वीं बार अध्यक्ष चुने गये. हेमंत सोरेन को भी सर्वसम्मति से कार्यकारी अध्यक्ष चुना गया. दोनों को ही नयी कार्यकारिणी के गठन की जिम्मेवारी दी गयी. हरमू स्थित सोहराय भवन में झामुमो झंडोत्तोलन, शहीद वेदी और स्व विनोद बिहारी महतो की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर 12वें महाधिवेशन की शुरुआत हुई.

हेमंत सोरेन ने केंद्रीय समिति के सदस्यों का स्वागत किया. मौके पर राजनीतिक प्रस्ताव में पार्टी ने अपने संकल्पों को दोहराया. वहीं केंद्र सरकार की नीतियों पर प्रहार किया गया. राजनीतिक प्रस्ताव में कहा गया कि झामुमो देश की वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों को लोकतंत्र तथा महान संविधान के लिए गंभीर चुनौती मानता है.

देश को धर्म, जाति, वर्ग और वर्ण में बांटने का काम हो रहा है. असहमति को राजद्रोह बताने और मीडिया को काबू में करने को कोशिश हो रही है. ऐसे में झारखंड राज्य की संस्कृति, परंपरा और सामाजिक व्यवस्था ही एकमात्र साधन है, जहां हम भारतीयता को बचा सकते हैं.

10वीं बार अध्यक्ष चुने गये शिबू सोरेन, हेमंत चुने गये कार्यकारी अध्यक्ष

उपाध्यक्ष, महासचिव और सचिव के पद घटे: झामुमो के 12 वें महाधिवेशन में संविधान संशोधन कमेटी ने उपाध्यक्ष, महासचिव व सचिव पद की संख्या घटाने का प्रस्ताव लाया. इसके बाद सर्वसम्मति से उपाध्यक्ष के 11 पदों को घटा कर नौ पद कर दिया गया. वहीं महासचिव के 15 पदों को घटा कर 11 और सचिव के 25 पदों को घटाकर 11 पद कर दिया गया.

शिबू सोरेन ने कहा : गांव से पूछकर बनायें सरकारी योजनाएं

केंद्रीय अध्यक्ष चुने गये शिबू सोरेन ने कहा कि गांव से पूछकर सरकार की योजनाएं बनायें. स्वर्गीय जयपाल सिंह मुंडा के वक्त से हमारे यहां बहुत नेता बने. अब झारखंड के युवाओं को सोचना होगा. आदिवासी समाज ईमानदार होता है. बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए उन्हें पढ़ाना होगा. हमारे पास सीमित संसाधन है. शिबू ने झारखंड निर्माण को लेकर अपने संघर्ष को याद किया और कहा कि संघर्ष करते रहना पार्टी की आदत में है और यह कायम रहना चाहिए.

हेमंत सोरेन ने कहा : संघर्ष से घबराया नहीं, सत्ता से इठलाया नहीं

झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि आपने एक बड़ी जिम्मेवारी मुझे दी है. पार्टी गठन से लेकर अब तक कई उतार-चढ़ाव देखे, लेकिन हमारे कार्यकर्ता कभी झुके नहीं. उसी का परिणाम है कि आंदोलन से निकले एक झारखंडी को सरकार चलाने का मौका मिला है. यही वजह है कि आंधी में भी नींव नहीं हिली. कुछ पत्ते, डाली जरूर कटे. संघर्ष से घबराया भी नहीं और सत्ता से इठलाया भी नहीं. सत्ता हमारी मंजिल नहीं है.

ये राजनीतिक संकल्प हुए पारित

बिहार, ओड़िशा, बंगाल के कुछ हिस्सों को मिलाकर वृहद् झारखंड का निर्माण पार्टी की प्राथमिकता में है. साथ ही इन राज्यों की जनजाति, मूलवासी, दलित एवं अल्पसंख्यक समुदाय के पहचान-सम्मान और अधिकारों की रक्षा पार्टी के संकल्प में सर्वोपरि है.

बड़ी-बड़ी योजनाओं के नाम पर जमीन का अधिग्रहण और बिचौलियों द्वारा फर्जी ढंग से जमीन पर अतिक्रमण गंभीर समस्या है. पूरे राज्य में जमीन सर्वे को लेकर भू-सुधार के लिए आवश्यक कदम उठाये जायेंगे. जंगल की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है.

विस्थापन-पुनर्वास आयोग का गठन कर विस्थापितों का गहन सर्वे कर व्यवसाय या अन्य रूप में नियोजित किया जायेगा

राजनीतिक तौर पर निर्वाचित संस्थानों में 50 प्रतिशत महिलाओं की उपस्थिति सुनिश्चित की जायेगी.

राज्य में स्थापित सभी प्रकार के निजी प्रतिष्ठानों में 75 प्रतिशत नौकरी मूलवासी, आदिवासी और स्थानीय को देने का संकल्प.

वैकल्पिक ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए निवेश बढ़ाया जायेगा. ग्रामीण इलाकों में खाली पड़ी सरकारी जमीन की बंदोबस्ती सहयोग समिति के नाम की जायेगी, जिस पर किसान खेती कर सकेंगे.

उद्योग, व्यवसाय, खनन और पर्यटन में जन भागीदारी सुनिश्चित कराने के लिए यह जरूरी है कि खनन या उद्योग के पट्टे कालबद्ध तरीके से आवंटित किये जायें, ताकि रैयतों का मालिकाना हक समाप्त न हो. खनन के पश्चात या उद्योग के असफल होने पर जमीन पुन: रैयतों को वापस कर दी जाये. प्रस्ताव में यह भी कहा गया कि सभी बड़े व्यावसायिक प्रतिष्ठान, औद्योगिक घरानों एवं खनन कार्य में लगे समूह अपने-अपने क्षेत्राधिकार में खेल का मैदान, व्यायामशाला और आवासीय सुविधाएं विकसित करें.

Posted by: Pritish Sahay

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