सरना धर्म कोड के लिए लोकसभा अध्यक्ष से मिलेंगे झामुमो के नेता
झामुमो, कांग्रेस, जदयू ने बनायी केंद्र पर दबाव की रणनीति
रांची : सरना आदिवासी धर्म कोड का प्रस्ताव झारखंड विधानसभा से पारित कर केंद्र सरकार को भेजा जा चुका है. यह मामला अब केंद्र सरकार के पाले में है. ऐसे में झारखंड के प्रमुख राजनीतिक दल सरना धर्म कोड को लागू कराने को लेकर केंद्र सरकार पर दबाव बनायेंगे. इसको लेकर झामुमो, कांग्रेस, जदयू ने रणनीति बनायी है. राजनीतिक दलों का शिष्टमंडल लोकसभा अध्यक्ष से मिल कर सरना धर्म कोड लागू करने की मांग करेगा .
सदन में प्रस्ताव को रखने का स्पीकर से करेंगे आग्रह
झामुमो के केंद्रीय महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि सरना आदिवासी धर्म कोड को लागू कराने को लेकर पार्टी का एक शिष्टमंडल लोकसभा अध्यक्ष से मुलाकात करेगा. लोकसभा की कार्यवाही शुरू होने पर पार्टी का दल उनसे मुलाकात कर सदन में इस प्रस्ताव को रखने का आग्रह करेगा. श्री भट्टाचार्य ने कहा कि भाजपा नेताओं को सरना धर्म कोड को लागू कराने के लिए अब आगे आने की जरूरत है. वर्ष 2013 में यूपीए के कार्यकाल में भाजपा की ओर से सरना धर्म कोड लागू करने की बात उठायी गयी थी.
आला नेताओं से मिल कर केंद्र पर दबाव बनायेगी कांग्रेस
कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष के स्वस्थ होने के बाद पार्टी का एक शिष्टमंडल प्रभारी आरपीएन सिंह के नेतृत्व में आला नेताओं से मुलाकात करेगा. साथ ही सरना धर्म कोड को लागू कराने को लेकर केंद्र पर दबाव बनायेगा. शिष्टमंडल में पार्टी के विधायक व पदाधिकारी भी दिल्ली जाकर अपनी बात रखेंगे. विधायक बंधु तिर्की इसको लेकर काफी मुखर हैं.
धर्म कोड की अनुशंसा केंद्र को भेजने से पहले राज्यपाल करें पुनर्विचार
रांची . झारखंड आदिवासी सरना विकास समिति धुर्वा, जनजाति सुरक्षा मंच झारखंड, केंद्रीय युवा सरना चाला विकास समिति झारखंड, पुंदाग सरना समिति व अन्य सामाजिक संगठनों ने राज्यपाल से अनुरोध किया है कि सरना आदिवासी धर्म कोड की अनुशंसा केंद्र सरकार को भेजने से पहले वे इस पर पुनर्विचार करें. इस संबंध में जल्द ही एक प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल और मुख्यमंत्री से मिलेगा. रविवार को धुर्वा सरहुल पूजा स्थल के निकट आयोजित संवाददाता सम्मेलन में संदीप उरांव ने कहा कि अलग सरना आदिवासी धर्म कोड मिल जाने के बाद भारतीय संविधान के
अनुच्छेद 25 के तहत कोई भी धर्म माननेवाले सरना धर्म को स्वीकार कर सकते हैं और इसमें शामिल हो सकते हैं. ऐसी परिस्थिति में जनजातियों के लिए गंभीर समस्या उत्पन्न हो सकती है. मेघा उरांव ने कहा कि आदिवासी, जनजातियों की पहचान उनकी रूढ़ि प्रथा व संस्कृति के आधार पर है. अनुसूचित जनजाति का जो सदस्य अपने मूल धर्म की पूजा, अनुष्ठान, रूढ़ि प्रथा, विवाह, विरासत की पद्धति आदि को त्याग दिया हो, उसे अनुसूचित जनजाति का सदस्य स्वीकार नहीं किया जा सकता है.
एक दिसंबर को जदयू की बाइक रैली
जदयू के प्रदेश अध्यक्ष सालखन मुरमू ने कहा कि सरना धर्म कोड लागू कराने को लेकर पार्टी की ओर से एक दिसंबर को राजधानी रांची में बाइक रैली निकाली जायेगी. अगर केंद्र सरकार की ओर से पहल नहीं हुई, तो छह दिसंबर को चक्का जाम किया जायेगा. उन्होंने सरना धर्म कोड को लेकर सभी राजनीतिक, सामाजिक संगठनों से मिल कर केंद्र पर दबाव बनाने का आग्रह किया है.
posted by : sameer oraon